उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में 17 नवम्बर 2023 को हलाल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड कम्पनी और जमीयत उलेमा-ए-हिन्द सहित कुछ अन्य संस्थाओं एवं लोगों पर FIR दर्ज हुई थी। इस FIR में हलाल सर्टिफिकेट को हिन्दू आस्था पर आघात बताते हुए इससे जुड़े लोगों पर कार्रवाई करने की माँग की गई थी। केस दर्ज होने के बाद उत्तर प्रदेश शासन ने अगले दिन 18 नवम्बर को हलाल के बजाय FSSAI (Food Safety and Standards Authority of India) प्रमाण पत्र को मानकों के लिए उचित बताया।
ऑपइंडिया के पास मौजूद इस केस में दर्ज हुई FIR में हलाल इंडिया के चेन्नई और मुंबई कार्यालय के साथ जमीयत उलेमा ए हिन्द के दिल्ली और मुंबई ऑफिस को नामजद किया है। इसके अलावा हलाल सर्टिफिकेट को बढ़ावा देने वाली कुछ अज्ञात कम्पनियाँ, राष्ट्र विरोधी साजिश रचने वाले कुछ अन्य अज्ञात लोग, आतंकी गतिविधियों को बढ़ावा दे रहे अज्ञात समूह और जनआस्था से खिलवाड़ करने के साथ दंगे करवाने की साजिश रच रहे कुछ अज्ञात लोगों को नामजद किया गया है। ऑपइंडिया के पास FIR कॉपी मौजूद है।
शिकायतकर्ता शैलेन्द्र कुमार ने अपनी शिकायत में बताया है कि हलाल सर्टिफिकेट मजहब के नाम पर मजहब विशेष के लोगों द्वारा जारी किया जा रहा है। इस साजिश में एक मजहब विशेष के लोगों के सामानों की बिक्री बढ़ाने के लिए हलाल के नाम पर छल किया जा रहा है। FIR में कहा गया है कि जिन कंपनियों ने इनसे हलाल सर्टिफिकेट नहीं लिया है, उनकी बिक्री घटाने के लिए आपराधिक कृत्य किया जा रहा है।
शिकायत में हलाल सर्टिफिकेट को मुस्लिमों की अपनी तरफ आकर्षित करने का खास तरीका बताया गया है। FIR में आरोप है कि हलाल सर्टिफिकेट देने वाली कंपनियों ने सरकार के नाम का भी फर्जी कागजातों से दुरूपयोग किया है। हालात सर्टिफिकेट देने वाली कंपनियों के कागजातों में भी गड़बड़ी होने की बात कही गई है। इसके साथ ही गया है कि इसके जरिए समाज में विभाजन पैदा करने की कोशिश की जा रही है।
शिकायतकर्ता ने सभी आरोपितों पर समाज में विद्वेष फैलाने, आपराधिक कृत्य कर के करोड़ों रुपए कमाने, राष्ट्र विरोधी साजिश रचने के साथ हलाल सर्टिफिकेट से मिल रहे पैसे से आतंकियों को फंडिंग होने की आशंका जताई गई है। FIR में कहा गया है कि इससे होने वाले अनुचित लाभ को देश विरोधी गतिविधियों में इस्तेमाल किया जा रहा है।
FIR में कहा गया है कि तेल, साबुन, टूथपेस्ट, शहद आदि तक के लिए हलाल सर्टिफिकेट दिए जा रहे हैं, जबकि इनके लिए हलाल सर्टिफिकेट की आवश्यकता नहीं होती, क्योंकि ये शाकाहारी वस्तुएँ हैं। शाकाहारी वस्तुओं के लिए हलाल सर्टिफिकेट की आवश्कयता नहीं होती। इसमें आगे कहा गया है कि एक विशेष वर्ग द्वारा प्रचार किया जा रहा है कि उन वस्तुओं का इस्तेमाल ना करो, जिन्हें हलाल सर्टिफिकेट नहीं दिया गया हो। इससे दूसरे वर्ग के व्यापारियों के हितों को नुकसान पहुँचाया जा रहा है।