Saturday, April 20, 2024
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जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी घटनाओं में 63.93% की कमी, पत्थरबाज और आतंकी बनने के चलन में भी भारी गिरावट

वर्ष 2019 की तुलना में 63.93 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है। इसी अवधि के दौरान सुरक्षा बलों के घायल होने की घटनाओं में 29.11 प्रतिशत और नागरिकों की हताहतों की संख्या में 14.28 प्रतिशत की कमी आई है।

जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को खत्म करने और केंद्र शासित प्रदेश बनाए जाने के बाद से राज्य विकास की राह पर चल पड़ा है। साथ ही आतंकी घटनाओं और पत्थरबाजी में भी कमी आई है। जम्मू-कश्मीर में पिछले साल आतंकवादी घटनाओं में 63.93 फीसदी की कमी दर्ज की गई। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सोमवार (जनवरी 11, 2021) को यह जानकारी दी।

ANI की रिपोर्ट के मुताबिक गृह मंत्रालय ने बताया कि जम्मू-कश्मीर में 15 नवंबर, 2020 तक आतंकवादी घटनाओं में भारी कमी दर्ज की गई है। वर्ष 2019 की तुलना में 63.93 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है। इसी अवधि के दौरान सुरक्षा बलों के घायल होने की घटनाओं में 29.11 प्रतिशत और नागरिकों की हताहतों की संख्या में 14.28 प्रतिशत की कमी आई है।

गृह मंत्रालय ने वार्षिक उपलब्धियों की जानकारी देते हुए बताया कि केंद्र शासित प्रदेशों और राज्यों के कानूनों को जम्मू-कश्मीर में लागू किया जाना केंद्र सरकार की महत्वपूर्ण उपलब्धियों में से एक है। गृह मंत्रालय ने जम्मू-कश्मीर में केंद्र शासित प्रदेश से संबंधित 48 और राज्य से संबंधित 167 कानूनों को लागू करने के लिए आदेश जारी किया। वहीं मंत्रालय ने कहा कि केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में 44 केंद्रीय कानूनों और 148 राज्य संबंधित कानून के लागू करने के आदेश दिए गए।

अनुच्छेद 370 और 35A के निरस्त होने के बाद गृह मंत्रालय ने कई कानूनों में संशोधन किए तो कई निरस्त कर दिए तो कई नए कानून लागू किए हैं। गृह मंत्रालय ने वार्षिक उपलब्धियों के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि केंद्र शासित प्रदेशों और राज्य कानूनों को जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में अपनाना केंद्र सरकार की महत्वपूर्ण उपलब्धियों में से एक है।

जम्मू-कश्मीर के मामले में 48 केंद्रीय कानूनों और 167 राज्य कानूनों को लागू करने के आदेश जारी किए जा चुके हैं। वहीं, लद्दाख में 44 केंद्रीय कानूनों और 148 राज्य कानूनों के लागू करने के आदेश दिए गए. केंद्र सरकार ने 31 मार्च को जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम (राज्य कानून का अनुकूलन) आदेश, 2020 जारी कर किया था। यह जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 की धारा 75 के से जुड़ी कठिनाइयों को दूर करता है।

क्षेत्र में प्रधानमंत्री विकास पैकेज के प्रभावी कार्यान्वयन पर प्रकाश डालते हुए, MHA ने खुलासा किया प्रधानमंत्री विकास पैकेज के तहत जम्मू और कश्मीर में छंब से विस्थापित 36,384 विस्थापित परिवारों को प्रति परिवार 5.5 लाख रुपए की वित्तीय सहायता दी गई। इसी के साथ जम्मू कश्मीर में पश्चिम पाकिस्तान शरणार्थियों (WPR) के 5,764 परिवारों के लिए 5.5 लाख रुपए प्रति परिवार की दर से एक बार की वित्तीय सहायता भी बराबर दी जा रही है।

इसके अलावा जम्मू-कश्मीर में कट्टरपंथियों द्वारा सेना और सुरक्षा बलों पर होने वाली पत्थरबाजी की घटनाओं में साल 2016 से लेकर साल 2020 तक 90% की गिरावट दर्ज की गई। यह जानकारी खुद पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह ने मीडिया के साथ साझा की थी।

पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह ने बताया था कि साल 2019 की तुलना में इस साल हुई पत्थरबाजी की घटनाओं में 87.13% की गिरावट हुई है। साल 2019 में, पत्थरबाजी की 1,999 घटनाएँ हुईं थीं, जिनमें से 1,193 बार यह पत्थरबाजी केंद्र सरकार द्वारा साल 2019 के अगस्त माह में जम्मू और कश्मीर के विशेष दर्जे को रद्द करने की घोषणा के बाद हुईं।

पुलिस महानिदेशक के अनुसार, “साल 2019 में हुई पत्थरबाजी की घटनाओं और वर्ष 2020 की तुलना में 87.13% की गिरावट दर्ज की गई। 2020 में 255 बार पत्थरबाजी की घटनाएँ हुई हैं।”

गौरतलब है कि 5 अगस्त, 2019 को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने संसद में अनुच्छेद 370 और 35A को समाप्त करने की घोषणा की थी, जिसके परिणामस्वरूप जम्मू और कश्मीर राज्य का दो संघ क्षेत्रों में विभाजन हो गया था।

केंद्र सरकार ने पहले कहा था कि उसने आतंकवाद के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति को अपनाया है और विभिन्न उपायों को अपनाया है। जैसे कि सुरक्षा तंत्र को मजबूत करना, राष्ट्र विरोधी तत्वों के खिलाफ कानून का सख्त प्रवर्तन, आतंकी संगठनों द्वारा उत्पन्न चुनौतियों से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए घेरा और तलाशी अभियान।

राज्य में आर्टिकल 370 हटने के बाद से कश्मीरी युवकों के आतंकी संगठन से जुड़ने का प्रतिशत काफी गिरा है। जानकारी के मुताबिक मोदी सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 के खत्म किए जाने के बाद मुख्य रूप से पिछले साल में कश्मीरी युवाओं के आतंकवादी समूहों में शामिल होने में 40 प्रतिशत से अधिक की कमी आई है। आतंकवादी समूहों में शामिल होने वाले युवाओं की संख्या एक साल पहले 105 थी। मगर इस साल 1 जनवरी और 15 जुलाई के बीच 67 तक गिर गई, जबकि इस अवधि के दौरान आतंकी घटनाएँ भी 188 से घटकर 120 हुई हैं।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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