अपडेट: केरल की पुलिस ने मीडिया में प्रकाशित नीचे की खबर को नकार दिया है। मीडिया रिपोर्ट का खंडन करने के लिए अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल का सहारा केरल की पुलिस ने लिया। ट्वीट में केरल की पुलिस ने लिखा:
“एनआईए ने राज्य के पुलिस प्रमुख को एक रिपोर्ट सौंपी, जिसमें 873 पुलिसकर्मियों के प्रतिबंधित पीएफआई के साथ संबंधों का खुलासा किया गया है, यह खबर झूठी और असत्यापित है।”
केरल पुलिस के अलावे सोशल मीडिया पर भी कुछ लोग ऐसे दावे कर रहे हैं कि खुद NIA ने भी इस खबर की पुष्टि नहीं की है।
Update: @NIA_India just called me, and informed me that the reports I have quoted, from @TheStatesmanLtd, @mathrubhumi, @ZeeNews, and @DainikBhaskar, are incorrect.
— Anand Ranganathan (@ARanganathan72) October 4, 2022
Although none of these reports have been retracted, I trust the NIA. I am therefore deleting my tweets. WDTT
पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) पर प्रतिबंध लगाने के कुछ दिनों बाद राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (एनआईए) ने बड़ा खुलासा किया है। एनआईए के मुताबिक, केरल के कम से कम 873 पुलिस कर्मचारियों के कट्टरपंथी संगठन PFI के साथ कनेक्शन थे। जाँच एजेंसी ने मंगलवार (4 अक्टूबर 2022) को इन पुलिस अधिकारियों का पर्दाफाश करते हुए केरल के पुलिस महानिदेशक को एक रिपोर्ट सौंपी है।
केंद्रीय जाँच एजेंसी की रिपोर्ट में सब-इंस्पेक्टर से लेकर स्टेशन हेड ऑफिसर (एसएचओ) रैंक के अधिकारियों सहित अन्य कर्मचारियों तक की लिस्ट है। एनआईए इन अधिकारियों के वित्तीय लेन-देन का ब्योरा भी जुटा रही है।
एनआईए ने कहा कि केरल के पुलिस अधिकारियों ने अपने एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए पीएफआई कैडरों को कई महत्वपूर्ण जानकारियाँ लीक कीं। छापेमारी के दौरान भी इन पुलिस अधिकारियों ने पीएफआई से संबंधित आतंकियों और जिहादियों की मदद की। इन लोगों ने पीएफआई कैडरों को एनआईए और ईडी के छापे के बारे में पहले ही सूचित कर दिया था, जिससे उन्हें अपने गोपनीय दस्तावेजों और अन्य सामानों को छिपाने में मदद मिली।
Shocking: 873 police officers of Kerala police have got connection with PFi the banned terrorist organization. NIA passed over the report to DGP. In the meantime Kerala CM, who is HM too,is busy abroad with his family. pic.twitter.com/WXuYdlQOhF
— J Nandakumar (@kumarnandaj) October 4, 2022
NIA और केरल की ATS ने कई राज्यों में दो बार छापेमारी कर 350 से अधिक PFI के सदस्यों को हिरासत में लिया था। इसके बाद भारत सरकार ने आतंकी गतिविधियों में शामिल होने के कारण पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) पर पाँच साल के लिए प्रतिबंध लगा दिया था।
PFI का इतिहास हिंसा से सना रहा है। कई हिंसक मुस्लिमों संगठनों के विलय के बाद साल 2006 में PFI अस्तित्व में आया था। इसके बाद से यह सामूहिक हत्या, टारगेटेड मर्डर और दंगे फैलाने जैसे कामों में संलिप्त रहा। इतना ही नहीं, PFI पर लव जिहाद को बढ़ावा देने, महिलाओं का ब्रेनवॉश करने और धर्मांतरण कराने का भी आरोप है।
एनआईए अधिकारियों ने छापेमारी के दौरान देश के लगभग 17 राज्यों में स्थित पीएफआई के ठिकानों से कई आपत्तिजनक सामग्रियाँ बरामद की थीं। इसमें एक ब्राउचर और एक सीडी भी मिली थी। जिसका नाम है – ‘मिशन 2047’। इसमें जो कंटेंट था, उसका मकसद खौफनाक था – आज़ादी के 100 वर्ष पूरे होने तक भारत को एक इस्लामी मुल्क में तब्दील कर देना।
बता दें कि कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु के पीएफआई जिहादी ठिकानों से अवैध रूप से इकट्ठा किया गया कैश भी बरामद किया गया था। साथ ही राज्य में PFI के ‘प्रदेश अध्यक्ष’ के यहाँ से ट्रेनिंग के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले कई दस्तावेज भी मिले थे। यह जानकारी भी सामने आई थी कि PFI द्वारा IED विस्फोटक तैयार करने के लिए मुस्लिम कट्टरपंथियों को प्रशिक्षित किया जा रहा है। तमिलनाडु में PFI के ठिकानों पर छापेमारी के दौरान मरीन रेडियो सेट्स भी जब्त किए गए थे, जिससे पता चला कि ये समुद्र में भी सक्रिय थे।