Tuesday, October 8, 2024
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लोगों में डर पैदा करने के लिए RSS कार्यकर्ता से लेकर हिंदू नेता तक हत्या: मर्डर से पहले PFI-SDPI के लोग रचते थे साजिश, बताते थे ‘जिहाद’

पॉपुलर फ्रंट में पेंटर से लेकर मजदूर तक, वकील से लेकर चूड़ी बेचने वाले और बेकरी बनाने वाले तक नेता है। इसका काम भी अलग-अलग है, लेकिन मकसद एक है- भारत को इस्लामी राज्य बनाना और इसके लिए मुस्लिम समाज के लोगों को कट्टर बनाना। PFI सदस्यों के कुछ कारनामे देश भर में चर्चा के विषय बने हैं।

भारत सरकार ने आतंकी गतिविधियों में शामिल होने के कारण पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) पर फिलहाल पाँच साल के लिए प्रतिबंध लगा दिया है। इसके पहले NIA और राज्य ATS ने 11 राज्यों में दो बार छापेमारी कर 350 से अधिक PFI के सदस्यों को हिरासत में लिया है।

PFI का इतिहास हिंसा में सना रहा है। कई हिंसक मुस्लिमों संगठनों के विलय के बाद साल 2006 में PFI अस्तित्व में आया था। इसके बाद से यह सामूहिक हत्या, टारगेटेड मर्डर और दंगे फैलाने जैसे कामों में संलिप्त करा। इतना ही नहीं, PFI पर लव जिहाद को बढ़ावा देने, महिलाओं का ब्रेनवॉश करने और धर्मांतरण कराने का भी आरोप है।

पॉपुलर फ्रंट में पेंटर से लेकर मजदूर तक, वकील से लेकर चूड़ी बेचने वाले और बेकरी बनाने वाले तक नेता है। इसका काम भी अलग-अलग है, लेकिन मकसद एक है- भारत को इस्लामी राज्य बनाना और इसके लिए मुस्लिम समाज के लोगों को कट्टर बनाना। PFI सदस्यों के कुछ कारनामे देश भर में चर्चा के विषय बने हैं।

तमिलनाडु में हिंदू संगठन के नेता शशिकुमार की हत्या

शशिकुमार कर्नाटक में हिंदू संगठन ‘हिंदू मुन्नानी’ के प्रवक्ता थे। शशिकुमार 22 सितंबर 2016 को तमिलनाडु के कोयंबटूर में अपनी स्कूटर के घर लौट रहे थे। उस दौरान दो बाइकसवारों ने उनका पीछा किया और बिना किसी कारण के चक्रविनायक मंदिर के पास उन पर हथियारों से घातक हमले किए। इस हमले में उन्हें गंभीर रूप से चोट लगी और अंतत: अस्पताल में उनकी मौत हो गई।

जाँच के दौरान पता चला कि इस हत्या के पीछे PFI का हाथ है। इस तरह की हत्याओं को अंजाम देकर PFI समाज के खास वर्ग में दहशत फैलाना चाहता था और इसके साथ ही अपने आधार को भी बढ़़ाना चाहता था। इसके लिए PFI ने शशिकुमार को चुना, क्योंकि शशिकुमार एक हिंदू संगठन के प्रवक्ता थे और उनकी काफी ख्याति थी।

शशिकुमार कोयंबटूर में गणेश चतुर्थी पर बड़े पैमाने पर गणेश पूजा का आयोजन करते थे। इसलिए एक संदेश देने के लिए PFI के सदस्य सद्दीम हुसैन, सुबैर, मुबारक और मोहम्मद रफीक ने हत्या के लिए विनायक मंदिर का स्थान चुना।

हत्या से ठीक एक साल पहले शशिकुमार ने कोयंबटूर के राजस्व कार्यालय के नजदीक लहराए गए PFI के राजनीतिक विंग SDPI के झंडे को हटवाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसके बाद PFI ने उनकी हत्या का निर्णय ले लिया।

धर्मांतरण का विरोध करने पर रामलिंगम हत्या

तमिलनाडु के तंजावुर जिले में 5 फरवरी 2019 को एक स्थानीय नेता 40 वर्षीय रामलिंगम को PFI के सदस्यों ने मार दिया। रामलिंगम को पता चला था कि PFI दावा के सदस्य उनके निकटवर्ती गाँव के गरीबों का इस्लाम में जबरन धर्मांतरण करा रहे हैं। रामलिंगम ने इसका खुलकर विरोध किया।

तिरुभुवनम के हिंदू बहुल गाँव में गरीबों का धर्मांतरण करा रहे PFI दावा के एक सदस्य की नमाज टोपी लेकर रामलिंगम ने खुद पहन लिया और उसके माथे पर विभूति लगा दिया। इस दौरान रामलिंगम ने कहा कि सभी धर्म एक हैं और किसी में धर्मांतरण करने की जरूरत नहीं है। इसका वीडियो भी खूब वायरल हुआ था।

उसी रात रामलिंगम अपने बेटे के साथ घर लौट रहे थे। उस दौरान 4 अज्ञात लोगों ने उन पर अवैध हथियारों से हमला कर दिया। इस हमले में उनकी कोहनी में गहरे घाव लगे और लगातार खून बहने के कारण उन्होंने अस्पताल में दम तोड़ दिया।

जाँच में पता चला कि PFI दावा के सदस्य के साथ रामलिंगम की बहस को लेकर SDPI के ऑफिस में तंजावुर के जिला अध्यक्ष मोहम्मद अली जिन्ना से इसकी चर्चा की गई। इसके बाद वहाँ रामलिंगम के दोनों हाथों को काटने के लिए कहा गया।

इसके बाद चार आरोपितों ने रामलिंगम पर हमला कर उनके दोनों काटने की कोशिश की। इस हमले में लगे घाव के कारण रामलिंगम के शरीर से अधिक खून बह जाने के कारण उनकी मौत हो गई। इस मामले में NIA ने 18 लोगों को आरोपित बनाया, जिनमें जिन्ना भी शामिल है।

RSS नेता रुद्रेश की हत्या

कर्नाटक के बेंगलुरु में PFI के सदस्यों ने RSS के कार्यकर्ता रुद्रेश की सिर्फ इसलिए हत्या कर दी, ताकि लोगों में दहशत फैलाई जा सके। 16 अक्टूबर 2016 को PFI के 5 सदस्यों ने रुद्रेश को मौत के घाट उतार दिया। रुद्रेश पर हमला करते हुए मुस्लिम कट्टरपंथी ‘छिनाल के काफिर’ चिल्लाए और उन पर घातक हथियारों पर कई वार कर दिए।

जाँच में पता कि पाँचों हमलावर PFI के राजनीतिक विंग SDPI के सदस्य हैं। हत्या से पहले आरोपितों ने कर्नाटक के छोटा चारमीनार मस्जिद के पास इसके लिए साजिश रची थी। इस हमले का असली सूत्रधार PFI का बेेंगलुरु जिला अध्यक्ष असिम शेरिफ था। असिम ने सबका ब्रेनवॉश करते हुए कहा था कि RSS के लोगों की हत्या करना, उनका धार्मिक कर्तव्य है।

जाँच में यह बात भी सामने आई कि उत्तर प्रदेश के मेरठ, मुजफ्फरनगर, देओबंद से भी इनका संपर्क रहा था। वे इन जगहों पर मजहबी शिक्षा के लिए आते रहे थे।

ईशनिंदा के नाम पर हत्या

साल 2020 में PFI ने सदस्यों ने कथित ईशनिंदा के नाम पर बेंगलुरु के थाने पर हमला कर उसे नष्ट कर दिया था। दरअसल, फिरदौस पाशा नाम के एक शख्स ने थाने में शिकायत दी कि कॉन्ग्रेस विधायक के भतीजे नवीन ने पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ सोशल मीडिया पर पोस्ट किया है।

इस की जानकारी मिलते ही थाने के बाहर एक हजार से अधिक मुस्लिम इकट्ठा हो गए। इस दौरान पुलिस वालों को मारने और थाने को जलाने के लिए नारे लगाए जाते रहे। बाद में भीड़ ने थाने पर हमला कर दिया और जब तक पुलिस लाठी चार्ज करती, तब तक भीड़ बड़ा नुकसान कर चुकी थी।

मामले में पता चला कि PFI से जुड़े SDPI के जिला अध्यक्ष मोहम्मद शेरिफ और मुज्जमिल पाशा ने लोगों को हिंसा के लिए उकसाया था। इन लोगों के उकसाने के कारण हजार से अधिक की भीड़ थाने पर हंगामा करने लगी।

इस तरह PFI ने देश में आतंक फैलाने के लिए ना सिर्फ लोगों का ब्रेनवॉश किया, बल्कि सुनियोजित तरीके से हत्या कर लोगों में अपने नाम का खौफ पैदा करने की कोशिश की। ऊपर के सारे मामलों में PFI की सक्रिय भूमिका मिली है और इन सारे मामलों की जाँच NIA ने की है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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