Saturday, April 20, 2024
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‘जिहादी’ और ‘एंटी-नेशनल’ अपराध श्रेणियाँ हुईं आधिकारिक: NCRB ने जारी किए 2017 के आँकड़े

नक्सलियों, माओवादियों और अन्य वामपंथी आतंकियों ने 82 हत्याएँ की हैं। एक बार फिर, इन मृतकों में 79 केवल एक ही राज्य छत्तीसगढ़ के हैं। इसी तरह जिहादी आतंकवाद के हाथों मारे गए 36 लोगों में से 34 मृतक केवल जम्मू कश्मीर के हैं।

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के ताज़ा आँकड़े जारी हो गए हैं। वर्ष 2017 अपराध की घटनाओं की संख्या के इन आँकड़ों में पहली बार ‘एंटी नेशनल एलिमेंट्स (राष्ट्र विरोधी तत्व)’ और ‘जिहाद’ का ज़िक्र किया गया है। एंटी नेशनल तत्वों में उत्तर पूर्व के आठ राज्यों (सिक्किम, असम, नागालैंड, मिज़ोरम, मेघालय, मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश और त्रिपुरा) के उग्रवादी संगठनों से जुड़े लोग, नक्सली, माओवादी आदि वामपंथी चरमपंथी आतंकी, ‘जिहादी’ (इस्लामी आतंकवादी) आदि शामिल किए गए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक उत्तर पूर्व के उग्रवादियों ने 10 लोगों की हत्याएँ की हैं, जिनमें से 8 लोग एक ही राज्य झारखंड के हैं।

नक्सलियों, माओवादियों और अन्य वामपंथी आतंकियों ने 82 हत्याएँ की हैं। एक बार फिर, इन मृतकों में 79 केवल एक ही राज्य छत्तीसगढ़ के हैं। इसी तरह जिहादी आतंकवाद के हाथों मारे गए 36 लोगों में से 34 मृतक केवल जम्मू कश्मीर के हैं।

NCRB के अनुसार नक्सलियों ने 2017 में 652 आपराधिक वारदातों को अंजाम दिया था। जिहादी और आतंकवादी वारदातें 377 हुईं और उत्तर पूर्व के उग्रवादियों ने 421 अपराध किए थे। न्यूज़ पोर्टल The Week की रिपोर्ट के अनुसार NCRB ने अपराध के कुछ मापदंडों को शामिल इसलिए नहीं किया है क्योंकि उन पैमानों पर उपलब्ध जानकारी और आँकड़े “अस्पष्ट” और “भरोसे लायक नहीं” थे। गृह मंत्री के एक अधिकारी के हवाले से यह भी दावा किया गया है कि जिन मापदंडों को रिपोर्ट से बाहर रखा गया है, उनमें मॉब लिंचिंग से हुई हत्याएँ, RTI कार्यकर्ताओं, पत्रकारों, सामाजिक कार्यकर्ताओं इत्यादि के साथ हुए अपराध भी शामिल हैं।

अपराधों की तहरीर (FIR) की बात करें तो उत्तर प्रदेश इसमें चोटी पर है, जहाँ 3 लाख से अधिक आपराधिक मामले दर्ज किए गए हैं। इसके बाद महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, केरल और राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली का नंबर आता है। अगर राष्ट्रीय स्तर पर दर्ज कुल आपराधिक मामलों की बात करें तो 2017 में 30,62,579 केस दर्ज किए गए थे। यह संख्या पिछले दो सालों 2016 और 2015 के क्रमशः 29,75,711 और 29,49,400 FIR से अधिक है। यह आँकड़े कल रात (22 अक्टूबर, 2019 को) जारी किए गए थे।

देश के सबसे अधिक आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश में 3,10,084 मामले दर्ज हुए थे, जो कि राष्ट्रीय कुल योग का 10% अकेले है। देश की ही तरह उत्तर प्रदेश में भी दर्ज FIR की संख्या लगातार तीसरे साल बढ़ी है- 2016 में 2,82,171 और 2015 2,41,920 मुकदमे लिखवाए गए थे। 2017 में महाराष्ट्र में देश की कुल 9.4% और मध्य प्रदेश में 8.8% तहरीरें लिखवाईं गईं।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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