Sunday, October 13, 2024
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‘ग्लोबल साउथ और पश्चिम के बीच पुल है भारत’: फ्रांस के अखबार को दिए इंटरव्यू में PM मोदी ने रखा ‘SAGAR’ दृष्टिकोण, कहा- UN में बदलाव जरूरी

भारत की आजादी के 100 साल पूरे होने पर अपने विजन को साझा करते हुए पीएम मोदी ने कहा, “हम 2047 में भारत को एक विकसित देश बनते देखना चाहते हैं। भारत एक जीवंत और सहभागी संघीय लोकतंत्र बना रहेगा, जिसमें सभी नागरिक अपने अधिकारों के बारे में सुरक्षित हैं, राष्ट्र में अपने स्थान के प्रति आश्वस्त हैं और अपने भविष्य के बारे में आशावादी हैं।"

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) फ्रांस की यात्रा पर हैं। यहाँ वे बैस्टिल डे परेड के मुख्य अतिथि हैं। फ्रांस पहुँचने से पहले पीएम मोदी ने एक फ्रांसीसी अखबार को दिए इंटरव्यू में इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चुनौतियों पर चर्चा करते हुए कहा कि भारत और फ्रांस के प्रशांत क्षेत्र में संयुक्त और व्यापक हित हैं। इस दौरान उन्होंने भारत की परंपरा और दर्शन पर भी बात की।

फ्रांसीसी अखबार लेस इकोस (Les Echos) को दिए इंटरव्यू में पीएम मोदी ने कहा कि दुनिया के हर कोने के दर्शन पर विचार करना होगा। दुनिया तभी तेजी से प्रगति करेगी, जब वह पुरातनपंथी और पुरानी धारणाओं को छोड़ना सीखेगी। पीएम मोदी ने कहा, “पृथ्वी एक है, लेकिन दर्शन एक नहीं।” उन्होंने भारतीय शक्ति और भारतीय सिनेमा एवं संगीत की वैश्विक पहुँच, आयुर्वेद चिकित्सा में नई रुचि और योग की सार्वभौमिक सफलता पर बात की।

हिंद-प्रशांत क्षेत्र को लेकर उन्होंने कहा, “मैंने इस क्षेत्र के लिए अपने दृष्टिकोण को एक शब्द में वर्णित किया है – SAGAR, जिसका अर्थ है- Security and Growth for All in the Region (क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास)। हम जिस भविष्य का निर्माण करना चाहते हैं उसके लिए शांति आवश्यक है। भारत हमेशा बातचीत और कूटनीति के माध्यम से मतभेदों के शांतिपूर्ण समाधान और सभी देशों की संप्रभुता, अंतर्राष्ट्रीय कानून और नियम-आधारित अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था का सम्मान करने के लिए खड़ा रहा है।”

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि ग्लोबल साउथ (Global South) के अधिकारों को लंबे समय से अस्वीकार किया जाता रहा है और इससे इन देशों में पीड़ा की भावना पैदा हुई है। उन देशों के और पश्चिमी दुनिया के बीच एक पुल के रूप में भारत की भूमिका महत्वपूर्ण है। पीएम मोदी ने फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन को एशिया-प्रशांत क्षेत्र में रणनीतिक साझेदार बताया।

पीएम मोदी ने अंतरराष्ट्रीय संस्थानों में व्यापक फेरबदल की वकालत की। उन्होंने कहा कि दुनिया में सबसे अधिक आबादी होने के नाते भारत को अपना उचित स्थान हासिल करने की जरूरत है। PM ने कहा, “संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद दुनिया के लिए बोलने का दावा कैसे कर सकती है, जब सबसे अधिक आबादी वाला देश और सबसे बड़ा लोकतंत्र इसका स्थायी सदस्य नहीं है?”

पीएम मोदी का यह साक्षात्कार गुरुवार (13 जुलाई 2023) को फ्रांस के लिए रवाना होने के बाद प्रकाशित हुई। फ्रांस पहुँचकर प्रधानमंत्री मोदी वहाँ के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन के साथ कई मसलों पर बातचीत करेंगे, जिनमें रक्षा एवं रणनीतिक साझेदारी महत्वपूर्ण है।

चीन से उत्पन्न खतरे के सवाल पर पीएम मोदी ने कहा कि भारत हमेशा बातचीत और कूटनीति के माध्यम से मतभेदों के शांतिपूर्ण समाधान का हिमायती है। भारत सभी देशों की संप्रभुता, अंतरराष्ट्रीय कानून और नियम-आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था का सम्मान करता है। उन्होंने कहा, “हमारा मानना है कि इसके माध्यम से स्थायी क्षेत्रीय और वैश्विक शांति और स्थिरता की दिशा में सकारात्मक योगदान दिया जा सकता है।”

चीनी के खतरे और फ्रांस के साथ सहयोग के सवाल पर उन्होंने कहा, “नई दिल्ली और पेरिस के बीच एक व्यापक और रणनीतिक साझेदारी है, जिसमें राजनीतिक, रक्षा, सुरक्षा, सतत आर्थिक सहयोग और मानव केंद्रित विकास शामिल हैं। जब समान दृष्टिकोण और मूल्यों वाले देश द्विपक्षीय रूप से बहुपक्षीय व्यवस्था में या क्षेत्रीय संस्थानों में एक साथ काम करते हैं तो वे किसी भी चुनौती से निपट सकते हैं।”

पीएम ने कहा कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र समेत भारत-फ्रांस साझेदारी किसी देश के खिलाफ या उसकी कीमत पर नहीं है। उन्होंने कहा, “हमारा उद्देश्य आर्थिक और सुरक्षा हितों की रक्षा करना, नेविगेशन और वाणिज्य की स्वतंत्रता सुनिश्चित करना और क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय कानून के शासन को आगे बढ़ाना है। हम अन्य देशों की क्षमताओं को विकसित करने और स्वतंत्र संप्रभु विकल्प चुनने के उनके प्रयासों का समर्थन करने के लिए उनके साथ काम करते हैं।”

रूस-यूक्रेन युद्ध के सवाल पर पीएम मोदी ने कहा, “मैं हिरोशिमा में राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की से मिला था। हाल ही में मैंने राष्ट्रपति पुतिन से दोबारा बात की। भारत का रुख स्पष्ट, पारदर्शी और सुसंगत है। मैंने कहा है कि यह युद्ध का युग नहीं है। हमने दोनों पक्षों से बातचीत और कूटनीति के जरिए मुद्दों को सुलझाने का आग्रह किया है। मैंने उनसे कहा कि भारत उन सभी वास्तविक प्रयासों का समर्थन करने के लिए तैयार है जो इस संघर्ष को समाप्त करने में मदद कर सकते हैं।”

पीएम मोदी ने कहा कि भारत अब अपना उचित स्थान हासिल कर रहा है। उन्होंने कहा, “प्राचीन काल से भारत वैश्विक आर्थिक विकास, तकनीकी उन्नति और मानव विकास में योगदान देने में सबसे आगे रहा है। आज विश्व भर में हमें अनेक समस्याएँ एवं चुनौतियाँ देखने को मिलती हैं। मंदी, खाद्य सुरक्षा, मुद्रास्फीति और सामाजिक तनाव उनमें से कुछ हैं। ऐसी वैश्विक पृष्ठभूमि में मैं अपने लोगों में एक नया आत्मविश्वास, भविष्य के बारे में एक आशावाद और दुनिया में अपना उचित स्थान लेने की उत्सुकता देख रहा हूँ।”

अमेरिका का साथ प्रगाढ़ होते रिश्तों पर उन्होंने कहा, “जून में संयुक्त राज्य अमेरिका की मेरी राजकीय यात्रा के दौरान राष्ट्रपति जो बिडेन और मैं इस बात पर सहमत हुए कि लोगों के बीच संबंधों के साथ दुनिया के दो सबसे बड़े लोकतंत्रों के बीच साझेदारी इस सदी की निर्णायक साझेदारी हो सकती है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि यह साझेदारी हमारे समय की चुनौतियों का समाधान करने और वैश्विक व्यवस्था को आकार देने में महत्वपूर्ण योगदान देने के लिए हितों, दृष्टि, प्रतिबद्धताओं के मामले में पूरी तरह से स्थापित है।”

अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था में दोनों देशों के बीच महत्वपूर्ण साझेदारी पर पीएम मोदी ने कहा, “विश्वास, आपसी विश्वास और रिश्ते में विश्वास प्रमुख तत्व रहे हैं। एक स्वतंत्र, खुले, समावेशी और संतुलित हिंद-प्रशांत क्षेत्र को आगे बढ़ाना एक साझा लक्ष्य है। हम क्षेत्र और उसके बाहर अन्य साझेदारों के साथ मिलकर इसे आगे बढ़ा रहे हैं।” पीएम मोदी ने द्वितीय विश्व युद्ध के बाद बनी बहुपक्षीय शासन संरचनाओं के बारे में ईमानदार चर्चा का आह्वान किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि आज अधिकांश देश संयुक्त राष्ट्र में बदलाव की माँग कर रहे हैं।

उन्होंने कहा, “संस्थानों के निर्माण के लगभग आठ दशक बाद दुनिया बदल गई है। सदस्य देशों की संख्या चार गुना बढ़ गई है। वैश्विक अर्थव्यवस्था का चरित्र बदल गया है। हम नई तकनीक के युग में रहते हैं। नई शक्तियों का उदय हुआ है, जिससे वैश्विक संतुलन में सापेक्ष बदलाव आया है। हम जलवायु परिवर्तन, साइबर सुरक्षा, आतंकवाद, अंतरिक्ष सुरक्षा और महामारी सहित नई चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। मैं बदलावों के बारे में आगे बढ़ सकता हूँ।”

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को विसंगति का प्रतीक बताते हुए कहा, “हम इसे वैश्विक निकाय के प्राथमिक अंग के रूप में कैसे बात कर सकते हैं, जब अफ्रीका और लैटिन अमेरिका के पूरे महाद्वीपों को नजरअंदाज कर दिया जाता है? वह दुनिया की ओर से बोलने का दावा कैसे कर सकता है जब उसका सबसे अधिक आबादी वाला देश और उसका सबसे बड़ा लोकतंत्र इसका स्थायी सदस्य नहीं है? इसकी विषम सदस्यता से निर्णय लेने की प्रक्रिया अपारदर्शी हो जाती है, जो आज की चुनौतियों से निपटने में इसकी असहायता को बढ़ा देती है।”

भारत की आजादी के 100 साल पूरे होने पर अपने विजन को साझा करते हुए पीएम मोदी ने कहा, “हम 2047 में भारत को एक विकसित देश बनते देखना चाहते हैं। एक विकसित अर्थव्यवस्था जो अपने सभी लोगों की जरूरतों – शिक्षा, स्वास्थ्य, बुनियादी ढाँचे और अवसरों को पूरा करती है। भारत एक जीवंत और सहभागी संघीय लोकतंत्र बना रहेगा, जिसमें सभी नागरिक अपने अधिकारों के बारे में सुरक्षित हैं, राष्ट्र में अपने स्थान के प्रति आश्वस्त हैं और अपने भविष्य के बारे में आशावादी हैं।”

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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