ज्ञानवापी मस्जिद के परिसर में ASI को सर्वेक्षण की मंजूरी मिलने के बाद तमाम वामपंथी, कट्टरपंथी सब बिलबिला गए हैं। कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्सवादी) ने बयान जारी करके वाराणसी की स्थानीय कोर्ट के फैसले की निंदा की।
सीपीआईएम ने बयान में कहा , “वाराणसी की सिविल कोर्ट ने यह पता लगाने के लिए कि ज्ञानवापी मस्जिद में हिंदू मंदिर था या नहीं, जो ASI को पुरातात्विक सर्वेक्षण के लिए मंजूरी दी है, वो कानून का उल्लंघन है।”
Order of the Varanasi Civil Court tantamounts to violation of “The Places of Worship (Special Provisions) Act”.
— Sitaram Yechury (@SitaramYechury) April 9, 2021
Strict guidelines must be passed by the higher courts to the lower courts to not pass orders that violate the law.https://t.co/KpIlfZEOaJ pic.twitter.com/cmphHy8YTe
सीपीआईएम ने सभी धार्मिक स्थलों में यथास्थिति को बनाए रखने में सक्षम धार्मिक स्थल (विशेष प्रावधान) 1991 का हवाला देकर उच्च न्यायपालिका को निचली अदालत के आदेश पर तुरंत हस्तक्षेप करने का आग्रह किया।
हमेशा की तरह इस बार भी रो रहे इस्लामी कट्टरपंथी और वामपंथी
CPI (M) के अलावा कई वामपंथी, कट्टरपंथी भी वाराणसी कोर्ट के फैसले के बाद उस पर नाराजगी जाहिर कर रहे हैं। इस्लामी पत्रकारिता के लिए पहचानी जाने वाली राणा अयूब ने लिखा, “भारत में एक और मस्जिद के विध्वंस के लिए तैयारी हो रही है, न्यायपालिका से इसे मंजूरी मिली है, सत्ता इसे समर्थन दे रही है… मुस्लिम अल्पसंख्यक को अपमानित करने का एक और दिन है। है कहीं लोकतंत्र? ”
Setting the stage for demolition of yet another mosque in India, sanctioned by the judiciary, endorsed by the regime, abetted by the silence of its liberals and enabled by the complicity of the citizenry. Yet another day of humiliating the Muslim minority. Democracy anyone ? https://t.co/14AHCS3LYg
— Rana Ayyub (@RanaAyyub) April 9, 2021
लिबरल गिरोह के वकील प्रशांत भूषण इस पर लिखते हैं कि काशी विश्वनाथ-ज्ञानवापी मस्जिद विवाद पर वाराणसी कोर्ट ने ASI सर्वेक्षण को मंजूरी दे दी है। ये बिलकुल धार्मिक स्थल (विशेष प्रावधान) 1991 के विरुद्ध और हानिकारक है। इसपर हाईकोर्ट को फौरन रोक लगानी चाहिए।
Kashi Vishwanath-Gyanvapi Mosque Land Title Dispute: Varanasi Court Allows ASI Survey;
— Prashant Bhushan (@pbhushan1) April 9, 2021
This is totally against the Places of worship (special provisions Act) 1991 & mischievous. Must be immediately stayed by the HChttps://t.co/w7pPk7AanN
एक अन्य वामपंथी कपिल कोमिरेड्डी इस फैसले से आहत होकर कहते हैं, हिंदू राष्ट्रवादी अतीत के साथ सामंजस्य नहीं रखना चाहते, वे इसे हथियार बनाना चाहते हैं। कपिल ने आगे जोर देकर कहा कि अयोध्या में जो हुआ वह दर्जनों अन्य स्थानों पर दोहराया जाएगा।
I wrote this tweet on the day of the Ayodhya decision. It was censored in India.
— Kapil Komireddi (@kapskom) April 8, 2021
Today’s decision to throw open Gyanvapi to archeological surveyors demonstrates yet again that Hindu nationalists don’t want to achieve reconciliation with the past. They want to weaponise it. pic.twitter.com/6wveIiQldl
बता दें कि इससे पहले काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद केस में सर्वेक्षण के लिए वाराणसी जिला अदालत से मंजूरी मिलने के बाद AIMIM के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने कोर्ट के फैसले की वैधता पर संदेह जताया था।
ओवैसी ने कहा कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और मस्जिद कमेटी को इस आदेश पर तुरंत अपील करके इसपर सुधार करवाना चाहिए। ओवैसी ने ASI पर भी आरोप लगाया कि वो हिंदुत्व के हर प्रकार के झूठ के लिए दाई की तरह काम कर रही है।
बनारस के ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का होगा ASI के सर्वे को कोर्ट की मंजूरी
उल्लेखनीय है कि वाराणसी कोर्ट ने 8 अप्रैल को अपना फैसला सुनाते हुए ज्ञानवापी परिसर में ASI को सर्वेक्षण करने की मंजूरी दी है। कोर्ट ने कहा कि सर्वेक्षण का सारा खर्चा सरकार करेगी। कोर्ट ने ASI को भी यह सुनिश्चित करने को कहा है कि मस्जिद को कोई नुकसान न हो।
इस मामले में वाराणसी फार्स्ट ट्रैक कोर्ट में मामले को लेकर बहस 2 अप्रैल को पूरी हुई थी। कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रखा था। कोर्ट में काशी विश्वनाथ मंदिर पक्ष के वकील विजय शंकर रस्तोगी, सुनील रस्तोगी और राजेन्द्र पांडेय ने पक्ष रखते हुए कहा था कि पुरातात्विक साक्ष्य के लिए ऐसा करना न्यायोचित है।
कोर्ट का फैसला पक्ष में आने के बाद अधिवक्ता विजय शंकर रस्तोगी ने इसका स्वागत किया। रस्तोगी ने कहा कि पुरातात्विक सर्वेक्षण के बाद ये साफ हो जाएगा कि विवादित स्थल कोई मस्जिद नहीं, बल्कि आदि विशेश्वर महादेव का मंदिर है।
मालूम हो, इस संबंध में रस्तोगी ने दिसंबर 2019 में सिविल जज की अदालत में स्वयंभु ज्योतिर्लिंग भगवान विश्वेश्वर की ओर से एक आवेदन दायर किया था, जिसमें भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा संपूर्ण ज्ञानवापी परिसर का सर्वेक्षण करने का अनुरोध किया गया था