इस्लामपरस्त लिबरल ज़ैनब सिकंदर सिद्दीकी चर्चा में हैं और ट्विटर पर #KamleshTiwari ट्रेंड कर रहा है। स्वघोषित स्तंभकार (columnist) और पोएट्री जंकी (कविता से लगाव रखने वाली) ज़ैनब वामपंथी प्रोपेगेंडा वेबसाइट ‘द प्रिंट’ के लिए भी लिखने का पूरा प्रयास करती हैं। फ़िलहाल अपने एक ट्वीट की वजह से चर्चा में हैं। ट्वीट में उन्होंने कॉमेडियन मुनव्वर फारूकी का ज़िक्र किया है।
Munawar Faruqui is still in jail over a joke he never cracked at an open mic.
— Zainab Sikander Siddiqui (@zainabsikander) January 22, 2021
लिबरल गैंग की प्राथमिक सदस्यों में एक जैनब ने ट्वीट में मिथ्या प्रचार करते हुए लिखा है, “मुनव्वर फारूकी अभी तक जेल में बंद है। एक ऐसे जोक (चुटकुले) के लिए जो उसने ओपन माइक में सुनाया ही नहीं।” लिबरल गैंग की सदस्यता का सबसे बड़ा पैमाना यही है, खुद को ‘अल्ट्रा इंटेलेक्चुअल’ दिखाने के लिए हिन्दू शब्द के इर्द-गिर्द पूरी निर्लज्जता से नफ़रत उगलनी पड़ती है। जब नफ़रत उगली जा चुकी हो तो उसकी वकालत में उतरना पड़ता है।
कुछ ऐसा ही किया था तथाकथित स्टैंडअप कॉमेडियन मुनव्वर फारूकी ने। वह इंदौर में कॉमेडी के नाम पर नाबालिगों के सामने अश्लीलता परोस रहा था। हिन्दू देवी-देवताओं पर अपमानजनक टिप्पणी कर रहा था, ऐसी टिप्पणी जो दूसरे मज़हब पर की जाएँ तो सिर तन से जुदा कर दिया जाता है और इसके कितने उदाहरण हैं, उनकी कोई गिनती नहीं।
फिर भी ज़ैनब के मुताबिक़ मुनव्वर फारूकी ने कोई ‘जोक क्रैक’ नहीं किया। ज़ैनब सरीखे लिबरल इस्लामपरस्तों के मुताबिक़ मुनव्वर ने तो सीता-राम के लिए अभद्र भाषा का इस्तेमाल भी नहीं किया और न ही मृत कारसेवकों के लिए ज़हर उगला। जिन ‘उन्मादी चुटकुलों’ से आम जनता की दूरी महज़ एक क्लिक है, ज़ैनब जैसे लिबरपंथियों के मुताबिक़ मुनव्वर ने वह चुटकुले कहे ही नहीं।
शायद इसलिए इंटरनेट की जनता ने ज़ैनब सिकंदर सिद्दीकी को एक नाम याद दिलाया, कमलेश तिवारी। ऐसा नाम जो इस बात की नज़ीर है कि ‘शांतिप्रिय मज़हब की आस्था’ पर किसी भी तरह की टिप्पणी कितनी जानलेवा साबित हो सकती है। शांतिप्रिय मज़हब पर की गई टिप्पणी के बदले कमलेश तिवारी का गला रेत दिया गया।
Muslim comedian detained for alleged anti-Hindu jokes he might crack. We are a laughing stock https://t.co/9bG03EMF1G
— Saba Naqvi (@_sabanaqvi) January 22, 2021
हिंदूफोबिक मुनव्वर के ‘पीड़ित मुसलमान’ होने वाली प्रोपेगेंडा को हवा देने वाली जैनब अकेली नहीं हैं। इस फेहरिस्त में पत्रकारिता के चोले में इस्लामी एजेंडे को बढ़ाने वाली आरफा खानम शेरवानी से लेकर नबा सकवी तथा लिबरल रोहिणी सिंह तक के नाम शामिल हैं।
A young comedian in India is being subjected to the worst sort of persecution only because he is Muslim. He is in jail for jokes he did not crack. Speak up for Munawar Farouqi. @hasanminhaj @rickygervais @jimmyfallon @JerrySeinfeld
— Rohini Singh (@rohini_sgh) January 22, 2021
तभी नेटिज़न्स ने ज़ैनब से पूछा कि कोई बता सकता है ‘कमलेश तिवारी का अपराध क्या था?’
Kamlesh Tiwari is still dead. As dead as he was when his throat was slit and he was shot in the face. https://t.co/QZtTg4Lry6
— saket साकेत ಸಾಕೇತ್ 🇮🇳 (@saket71) January 23, 2021
Kamlesh Tiwari was stabbed 15 times, had his throat slit and then shot in his face for his comments on Prophet Muhammad. https://t.co/KLNGBHTvpU
— Ishita Yadav (@IshitaYadav) January 22, 2021
नेटिज़न्स ने लिबरल्स को याद दिलाया कि सिर्फ ‘टिप्पणी’ के चलते ही एक व्यक्ति आज इस ग्रह पर नहीं है।
Munawar Faruqui is atleast in jail, but Kamlesh Tiwari is no more.
— Beena🇮🇳 (@BeenaPP1) January 22, 2021
Did you use your voice and register your protest then, or your voice box is tuned to function on select agenda😡 https://t.co/p9zYNoBOKb
Kamlesh Tiwari Murder Was Ok
— Ashish Shukla (@HinduBALAK1) January 23, 2021
That’s Why The world takes you never Serious and your community remains a joke and wherever you go, you are firstly stripped naked. https://t.co/y59oKYSm1O
कितनी विचित्र विडंबना है, धार्मिक भावनाएँ आहत होती हैं और उनका विरोध होता है तो साम्प्रदायिकता! लेकिन मज़हबी जज़्बात आहत होते हैं तो…। दोनों घटनाओं की स्वभाव में कितना फासला है, कमलेश तिवारी की टिप्पणी का नतीजा और मुनव्वर फारूकी की टिप्पणी का नतीजा।
भ्रम में रहने वाले आबादी को दुनिया के उदाहरणों पर गौर करना चाहिए। चाहे कार्टून दिखाने के बाद कट्टरपंथी इस्लामियों द्वारा शिक्षक (सैमुएल पैटी) का गला रेतने की घटना हो या शार्ली हेब्दो कार्यालय पर हुई अंधाधुंध गोलीबारी। ‘इतनी ज़्यादा सहिष्णुता’ पूरी दुनिया शायद मिल कर भी हज़म नहीं कर पाए। आखिर समस्याओं का इतना सरल हल किस मजहब में मिलता होगा? एक टिप्पणी और सिर का शरीर से रिश्ता खत्म।