"चारों को पहले पीछे की ओर (पीठ की तरफ) दोनों हाथ, फिर रस्सी से दोनों पाँव बाँध दूँगा। चारों को गले में फंदा डालकर खड़ा कर दूँगा। जैसे ही जेलर रुमाल हिलाकर इशारा करेगा, एक साथ चारों ही फंदों के तख्ते का लीवर खींच दूँगा।"
पुलिस ने फ़ुफ़ेरे भाई के खिलाफ पॉक्सो एक्ट में मामला दर्ज कर लिया है। खबरों में यह भी कहा जा रहा है कि चूँकि वह खुद भी नाबालिग है, अतः उसे किशोर न्यायालय के सामने पेश किया जाएगा।
नए क़ानून के तहत रिकॉर्ड समय सात दिनों के भीतर यौन अपराधों के मामलों की जाँच और चार्जशीट दाखिल करने की तारीख से 14 कार्य दिवसों के भीतर मुक़दमे को पूरा करने की बात कही गई है। नए पारित क़ानून के तहत सज़ा के ख़िलाफ़ अपील को छ: महीने के अंदर निपटाना होगा।
इस मामले में 13 दिसंबर को दिल्ली की रोहिणी कोर्ट में गवाही होनी है। लेकिन, उससे पहले ही आरोपितों ने पीड़िता के घर के बाहर धमकी भरा पोस्टर लगाकर पूरे परिवार को दहशत में डाल दिया। इसके अलावा, आरोपित पक्ष पीड़िता को कई बार जान से मारने की धमकी दे चुका है।
आफाक़ ख़ान के ख़िलाफ़ IPC की धारा-342 (ग़लत तरीके से कारावास), 376 (बलात्कार), 500 (मानहानि की सज़ा) और 508 (जो किसी व्यक्ति को ऐसा कार्य करने के लिए कहता है जिसके लिए वो व्यक्ति क़ानूनी रूप से बाध्य नहीं है) के तहत मामला दर्ज किया गया है।
याचिका में महात्मा गॉंधी का भी हवाला दिया गया है। कहा गया है, "गॉंधी जी कहते थे कि कोई भी फैसला लेने से पहले गरीब के बारे में सोंचे। सोंचे कि आपका फैसला कैसे उस व्यक्ति की मदद करेगा। आप ऐसा करेंगे तो आपके भ्रम दूर हो जाएँगे।"
रिव्यू पिटिशन से पहले 29 अक्टूबर 2019 को जेल प्रशासन ने सभी कानूनी रास्ते बंद हो जाने पर दोषियों को राष्ट्रपति के पास दया याचिका भेजने के लिए सात दिन का वक़्त दिया था। इनमें से केवल विनय शर्मा ने ही इसके लिए अर्जी दाखिल की थी।
प्रॉपर्टी डीलर के बेटे ने घर में घुसकर की बलात्कार की कोशिश। नाकाम रहने पर केरोसिन डाल जलाया। लड़की की हालत नाजुक। पीड़ित पक्ष पर समझौता करने के लिए बनाया जा रहा दबाव।
अधीर रंजन चौधरी का बयान अरुचिपूर्ण तो है ही तथ्यों और आँकड़ों के आलोक में भी कहीं नहीं टिकता। जिस भारत को वो 'रेप इन इंडिया' बता रहे हैं, वह एक सालाना सर्वे में 117 देशों में बलात्कार के मामलों में 94वें नंबर पर है।
"उत्तर प्रदेश में 42389 पोस्को और 25749 बलात्कार के मामले अभी लंबित पड़े हुए हैं। इसके कारण राज्य सरकार ने ये बड़ा निर्णय लिया है। नए फ़ास्ट ट्रैक अदालतों के लिए जजों की भर्ती जल्द ही शुरू की जाएगी। हर कोर्ट का खर्च 75 लाख रुपए आएगा।"