अब तक कुल 20 घरों को आग के हवाले किया जा चुका है और इतनी ही गाड़ियों को भी फूँका जा चुका है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के दौरे के कारण अहमदाबाद में अतिरिक्त पुलिसकर्मी तैनात किए गए थे, जिसका फायदा उठा कर हिन्दुओं के घरों व गाड़ियों को जला डाला गया।
"लोग असंवेदनशील और अदूरदर्शी लोगों को सत्ता में बैठाने की कीमत चुका रहे हैं। भारत में नागरिकता कानून 1955 लागू था और उसमें किसी संशोधन की जरूरत नहीं पड़ी थी। तो कानून में अब संशोधन की जरूरत क्यों पड़ी? संशोधन (सीएए) को तुरंत रद्द कर देना चाहिए।’’
"अपने-आप को कमतर मत आँकिए। विरोध प्रदर्शन जारी रहेगा। ये तब तक चलता रहेगा, जब तक दोनों उल्टी न कर दें। इंशाअल्लाह, हमारे बहुत सारे लोग जो ज़मीन पर उतरे हुए हैं और इस कोशिश में लगे हुए हैं कि एनआरसी एवं एनपीआर लागू नहीं हो, वे सफल होंगे।"
देश के लिए जान देने वाले, दंगाइयों के हाथों मारे जाने वाले और अपना पूरा जीवन जनता की सुरक्षा में खपा देने वाले जवान के लिए कोई नेता आवाज़ क्यों नहीं उठा रहा? हिंसा करने वालों का नाम क्यों नहीं ले रहा?
सोशल मीडिया पर लिबरल गिरोह ने दंगाइयों के बचाव का सिलसिला तेज़ कर दिया है। पुलिस किसी पत्थरबाज को शिकंजे में ले रही है, तो उसकी फोटो वायरल कर उसे 2002 के गुजरात दंगे से जोर कर दिखाया जा रहा है। दंगाइयों को बढ़ावा दिया जा रहा है।
अलीगढ़ में भीम आर्मी, पीएफआई और एएमयू के एक छात्र संगठन के लोगों के बीच बैठक हुई। इसके बाद हिंसा भड़की। ठीक उसी पैटर्न पर दिल्ली में हिंसा की घटनाओं को अंजाम दिया गया है। इससे पहले दिल्ली के जामिया और यूपी में हुई हिंसा में भी पीएफआई की संलिप्तता सामने आई थी।
दिल्ली में शांति बहाली को लेकर अमित शाह के नेतृत्व में हाई लेवल मीटिंग हुई। इस दौरान पुलिस-विधायकों के बीच समन्वय, पर्याप्त बल की तैनाती और अफवाहों को नियंत्रित करने पर मुख्य रूप से चर्चा की गई।
उपद्रवियों ने पथवारी देवी मंदिर पर पथराव किया। वो यहीं पर नहीं रुके, आगे दो और मंदिरों पर ईंट-पत्थर फेंके। इससे हिंंदुओं में रोष व्याप्त हो गया। स्थानीय लोग विरोध में आ गए और महिलाएँ धरने पर बैठ गईं। हिंदू समुदाय के लोग उपद्रवियों पर कार्रवाई की माँग करने लगे।
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने कहा है कि हिंसा में शामिल लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा रही है। उन्होंने बताया कि दो महीने से ज्यादा समय से धरना चल रहा था। लेकिन, कल जिस तरह हिंसा हुई वह बर्दाश्त नहीं है।