इस समय पूरे विपक्ष की हालत एक जैसी हो चुकी है। सब भाजपा को सत्ता से हटाने के लिए लुभावने वादे कर रहे हैं। कॉन्ग्रेस का हाल हम उसके घोषणा पत्र में देख ही चुके हैं। अब अखिलेश, मायावती और चंद्रशेखर की राजनीति भी उनपर सवालिया निशान लगा रही है।
अच्छा होता कि अखिलेश यादव अपनी संवेदनहीनता को इस बात तक ही सीमित रखते कि उत्तर प्रदेश में ज़हरीली शराब कौन बना रहा है। उनका ये सवाल उचित होता कि प्रशासन आख़िर क्यों इन शराब की भट्टियों को चलने देता है।
दामाद जी को प्रवर्तन निदेशालय के दफ़्तर में हाज़िरी लगानी पड़ रही है। चिटफंड घोटालों की आँच ममता तक जा पहुँची है। फ़र्जी कंपनियों की पोल खुल रही है। इसीलिए, लोकतंत्र ख़तरे में है।
सरकारी सम्पत्ति को नुकसान पहुँचाने वाले देशहित और जनता की बात करते हैं! अखिलेश यादव जी आप किसी पर भी सवाल उठाने से पहले अपने कार्यकाल का समय आखिर क्यों भूल जाते हैं?