राम मंदिर पर हद दर्जे की नकारात्मकता फैलाई गई। आपको जानना ज़रूरी है कि इस फ़ैसले को लेकर कैसी-कैसी वाहियात और डरावनी बातें कही गईं। इन 8 मीडिया पोर्टल्स को पहचान लीजिए और उन्होंने कैसे हिन्दुओं को बदनाम करने का प्रयास किया, यह भी देख लीजिए।
श्रीनगर के डीएम शाहिद चौधरी ने ख़ुद कई ऐसे फोटो शेयर किए, जिसमें लोग दरगाह के पास इकट्ठे होकर ईद-उल-मिलाद मनाते दिख रहे हैं। इन लोगों ने वहाँ नमाज पढ़ी। इन फोटोग्राफ्स से निधि के झूठ का पर्दाफाश हो गया।
जेकेएलएफ ने इस कार्यक्रम की प्रशंसा करते हुए कहा कि निधि राजदान के रूप में मंच पर एक 'कश्मीरी आवाज़' भी मौजूद था। जेकेएलएफ यासीन मलिक का संगठन है, जो अभी तिहाड़ जेल में बंद है।
ऐसा पहली बार नहीं हुआ जब NDTV के एंकर्स ने झूठ फैलाने में दिलचस्पी दिखाई हो। इससे पहले 2018 में NDTV ने अपने सोशल चैनल्स पर ‘असम बीजेपी सांसद के भतीजे, नागरिक सूची में नहीं हैं, ऐसा भी होता है’ हेडिंग के साथ एक न्यूज़ अपलोड और शेयर की थी।
NDTV की एंकर सोनल मेहरोत्रा कपूर ने असम में सरकारी नौकरियों के लिए दो-बच्चे से संबंधित खबर को पढ़ते हुए दावा किया कि दो से अधिक बच्चे वाले लोग असम में सरकारी नौकरी पाने के पात्र नहीं होंगे, जबकि असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल के ख़ुद 6 बच्चे हैं।
झुनझुनवाला ने कहा कि मोदी के वोटर जो चाहते थे, वह सब उन्होंने किया। उनके वोटर 370 हटाना चाहते थे। उनके वोटर राम मन्दिर चाहते हैं। उन्होंने इन वादों पर काम किया है।" झुनझुनवाला ने मोदी सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं का भी ज़िक्र किया।
"प्रिय NDTV, ये शीर्षक गुमराह करने वाला है और तस्वीर से मेल नहीं खाता। हमें मुस्लिमों से प्यार है लेकिन जो नीचे तस्वीर में पगड़ी पहनकर आदमी खड़ा है वो मैं हूँ और मैं एक सिख हैं। तुमने बहुत बड़े स्तर पर सिखों और उनकी पगड़ी की जहालत की हैं। कृपा करके अब इस तस्वीर को हटाएँ और इस खबर का भी शीर्षक ठीक करें।"
एनडीटीवी के मालिक ने कॉन्ग्रेस की नेहरू विरासत को चुनौती देते हुए अपने पत्रकार का बचाव किया। उन्होंने लिखा कि पल्लव ने इसरो के लिए काफ़ी कुछ किया है, उन्होंने भारत में विज्ञान के लिए काफ़ी कुछ किया है।
अनिंद्यो चक्रवर्ती रवीश कुमार को समझा रहे हैं कि यदि सरकार खूब सारे रुपए छापकर जनता में बाँट दे तो अर्थव्यवस्था तुरंत ठीक हो सकती है। इस पर रवीश कुमार भी अपनी सहमति दर्ज कराते नजर आए रहे हैं। बता दें कि हाल ही में रवीश कुमार को प्रतिष्ठित रैमन मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।
अगर एनडीटीवी को सीबीआई के दीवार फाँदने पर मर्यादा और 'तेलगी को भी सम्मान से लाया गया था' याद आ रहा है तो उसे यह बात भी तो याद रखनी चाहिए पूर्व गृह मंत्री को कानून का सम्मान करते हुए, संविधान पर, कोर्ट पर, सरकारी संस्थाओं पर विश्वास दिखाते हुए, एक उदाहरण पेश करना चाहिए था।