बुद्ध बोलते रहे, "अब इस मायावती नामक जीव को ही देखो। जब तक एक जाति को दूसरे से लड़ा कर, भटका कर, झूठे वादों पर विश्वास दिला कर इनका काम निकलता रहा, तब तक ठीक था। नाम मेरा लेते हैं और आंदोलनों के नाम पर हिंसा और आगजनी से इनका इतिहास पटा पड़ा है।"
तीन तलाक को अपराध बनाने वाले कानून की आलोचना करते हुए ओवैसी ने कहा कि यह सभी मुस्लिम महिलाओं के खिलाफ है। उन्होंने मराठों की तरह ही मुस्लिमों को भी आरक्षण देने की मॉंग रखी।
क्या किसी पार्टी का पूर्व अध्यक्ष और सर्वेसर्वा ऐसा कह सकता है कि उसकी पार्टी ने कुछ नहीं किया? राहुल गाँधी कह सकते हैं। उन्होंने महाराष्ट्र में चुनाव प्रचार के दौरान कहा कि जनता ने अब बहुत देख लिया है और पिछले 70 सालों में कुछ नहीं हुआ।
खुर्शीद ने कहा, कॉन्ग्रेस बीजेपी की तरह नहीं है और न उसे कभी होना चाहिए। उन्होंने लिखा, “जब हमारे प्रवक्ता बीजेपी को काउंटर करने के हमारे दायित्वों की तरफ इशारा करते हैं तो उन्हें यह जरूर याद रखना चाहिए कि यह तभी संभव है जब हम बहुआयामी वैश्विक नजरिए और भयहीन अभिव्यक्ति पेश करेंगे।”
मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट बीएच कपाड़िया ने मई में भाजपा विधायक पूर्णेश मोदी द्वारा दायर एक शिकायत को स्वीकार करने के बाद राहुल गाँधी को समन जारी किया था। अदालत ने याचिका को स्वीकार करते हुए पहली नजर में इसे राहुल गाँधी के खिलाफ आपराधिक मानहानि का मामला माना।
अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि जब पार्टी चुनाव में उतरने वाली हो, तब इस तरह की टिप्पणियाँ कॉन्ग्रेस को फायदा पहुँचाने वाली नहीं हैं। बाहर बयानबाजी करने की बजाए खुर्शीद को अपनी राय पार्टी के भीतर ही जाहिर करनी चाहिए।
खुर्शीद ने सोनिया के अंतरिम अध्यक्ष बनने पर नाखुशी जताते हुए कहा था कि पार्टी को करारी हार की समीक्षा करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि राहुल के इस्तीफे के कारण पार्टी जनादेश का विश्लेषण नहीं कर पाई। इससे पार्टी में एक शून्य पैदा हो गया।
उत्तर प्रदेश कॉन्ग्रेस के अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री रह चुके खुर्शीद ने कहा कि कॉन्ग्रेस एकजुट होकर हार का विश्लेषण नहीं कर सकी क्योंकि उनका नेता ही उन्हें छोड़ कर चला गया। खुर्शीद ने सोनिया गाँधी को कार्यकारी अध्यक्ष बनाए जाने पर भी नाराज़गी जताई।
सोनिया, राहुल और प्रियंका अगर विदेश दौरों पर भी जाते हैं तो एसपीजी दस्ता उनके साथ ही जाएगा। कॉन्ग्रेस ने इस फ़ैसले का विरोध करते हुए कहा कि मोदी सरकार गाँधी परिवार की निगरानी कराने के लिए ऐसा कर रही है।
कॉन्ग्रेस में ओल्ड गार्ड और न्यू गार्ड की लड़ाई 2007 में राहुल के पार्टी महासचिव बनने के बाद ही शुरू हो गई थी। पंजाब, राजस्थान और मध्य प्रदेश में इनके सामने राहुल को सरेंडर करना पड़ा था। अब सोनिया की वापसी के साथ ही ओल्ड गार्ड हिसाब चुकता करने में लग गए हैं।