Saturday, April 27, 2024

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विवेकानंद

गोरों ने जिसे समझा गुलाम, स्वामी विवेकानन्द ने उनसे हाथ मिला कर कहा था – ‘धन्यवाद भाई’

“ऐसे विद्वान राष्ट्र में मिशनरी भेजना मूर्खता। वहाँ से तो हमारे देश में धर्मप्रचारक भेजे जाने चाहिए।” - स्वामी विवेकानन्द पर एक टिप्पणी।

विश्व एक व्यायामशाला है, जहाँ हम खुद को मजबूत बनाने के लिए आते हैं: स्वामी विवेकानंद

जिस राष्ट्र ने अतीत में हमारे लिए इतने बड़े-बड़े काम किए हैं, उसे प्राणों से भी प्यारा समझो - स्वामी विवेकानंद की यही थी अपील।

जातिगत भेदभाव हमारी सबसे बड़ी दुर्बलता, संगठित होना इस काल की आवश्यकता: स्वामी विवेकानंद

पश्चिम का अन्धानुकरण भारत के लिए भयंकर खतरा... जातिगत भेदभाव हमारी सबसे बड़ी दुर्बलता - इन विचारों के साथ भारत का चिंतन करते थे विवेकानंद।

नेताजी बोस हों या पंडित नेहरू… दोनों की किताबों में वो शख्स थे कॉमन, जिनके लिए भारत माता ही थी आराध्य देवी

"यह जननी जन्मभूमि भारत माता ही मानो आराध्य देवी बन जाए। अपना सारा ध्यान इसी एक ईश्वर पर लगाओ, हमारा देश ही हमारा जाग्रत देवता है।"

…जब स्वामी विवेकानंद खुद अफ्रीका जाकर वहाँ काम करना चाहते थे: अफ्रीकी दिवस पर विश्व बंधुत्व और भविष्य की कल्पना

स्वामी विवेकानंद के भाषणों/विचारों ने कई अफ्रीकी नेताओं के लिए नीतियाँ बनाने, अपने नागरिकों को एक साथ लाने का मार्ग प्रशस्त किया।

जननी जन्मभूमि भारत-माता ही आराध्य देवी… जब स्वामी विवेकानंद ने अन्य देवी-देवताओं को भूलने का किया था आह्वान

“निःसंदेह स्वामी विवेकानन्द धर्म महासभा के सर्वाधिक लोकप्रिय एवं प्रभावशाली। कट्टर से कट्टर ईसाई भी कहते हैं कि वे मनुष्य में महाराज हैं।”

‘मेरा वाला ही एकमात्र पैगम्बर, बाकी सब को खत्म कर दो’: इस्लाम को लेकर 120 साल पहले स्वामी विवेकानंद

स्वामी विवेकानंद ने फ़रवरी 3, 1900 को कैलिफोर्निया के पासाडेना स्थित शेक्सपियर क्लब में इस्लाम और मुस्लिमों को लेकर बात की थी।

JNU में विवेकानंद मूर्ति के नीचे वामपंथियों ने लिखा था – ‘भगवा जलेगा, Fu*# BJP…’ उसका अनावरण करेंगे PM मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 12 नवंबर को जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के परिसर में स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा का अनावरण करेंगे।

‘भय से मुक्त रहें, क्योंकि भय सबसे बड़ा पाप है’: कोरोना से जंग में जरूरी है स्वामी विवेकानंद का ‘प्लेग मैनिफेस्टो’ पढ़ना

स्वामी विवेकानंद ने प्लेग घोषणा पत्र में घर और उसके परिसर, कमरे, कपड़े, बिस्तर, नाली आदि को हमेशा स्वच्छ बनाए रखने की जो बात कही थी वह आज के लिए भी उतनी ही प्रासंगिक हैं।

जब विवेकानंद ने कहा- संन्यासी हूँ तो क्या हृदय की कोमलता का भी त्याग कर दूँ

स्वामी विवेकानंद का जीवन बहुत लंबा न होने के बावजूद, सौभाग्य से विभिन्न समय पर लिखे गए पत्रों, संस्मरणों, लेखों और हँसी-ठिठोली से हम वंचित नहीं हुए हैं। खास बात ये है कि उनके लिखे कई पत्र, संस्मरण आज उनके न रहने के लगभग एक शताब्दी के बाद भी कई नए रहस्य उद्घाटित कर रहे हैं।

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