Thursday, December 5, 2024

विषय

व्यंग्य

मसूद अज़हर जी, जीजा जी, आपको लगता है मैं इस जन्म में सेंसिबल बात कर पाऊँगा?

राहुल गाँधी की हालात उस बोर्ड परीक्षा के विद्यार्थी की तरह हुई पड़ी है, जिसे कल सुबह पेपर देने जाना है और वो आज शाम नोट्स बनाने बैठा है। उसे अभी सिलेबस भी खरीदना है, ‘मोस्ट इम्पोर्टेन्ट’ और वेरी-वेरी इम्पोर्टेन्ट सवाल लाल-नीले और तमाम रंगीन पेनों से रंग कर परीक्षा के मैदान में कूदना है।

मोदी ने धोए पाँव, लेकिन नहीं पिया चरणामृत: माओवंशी पत्रकार गिरोह

इतने लोग सुबह-सुबह किसी खेत में जाते होंगे, और वहाँ खाद बनाते होंगे, जिससे मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ती है।किसानों की बात करने वाले मोदी जी का यही है असली चेहरा। खेतों से लोगों को वापस लौटा कर नीम कोटेड यूरिया बेच रहे हैं, जबकि पूरी दुनिया को पता है कि पेशाब में यूरिया होता है।

‘तेरे प्यार में क्या-क्या न बना मीना..’ राहुल गाँधी का नया नारा

चुनाव जीतने के लिए फोटोशॉप से लेकर आई टी सेल के कुकर्मों पर निर्भर हो चुके राहुल गाँधी ने अब परिवार के दिवंगत सदस्यों को भी मैदान में उतार लिया है।

फ़ेक न्यूज़ तलाशने के लिए एलियंस के व्हाट्सएप्प ग्रुप से जुड़े पतित सिन्हा, UNESCO ने दिया बेस्ट खोजी का अवार्ड

फ़ॉल्ट न्यूज़ के ही एक पत्रकार ने बताया कि पतित सिन्हा अभी एलियंस की कुछ ऐसी तश्वीरों के इन्तजार में हैं जिन्हें वो अपनी महिला मित्र से साझा कर के पता कर सकेंगे कि एलियंस की यह प्रजाति राष्ट्रवादी है या गैर-राष्ट्रवादी।

एक फँसे हुए पत्रकार की देश के नाम मार्मिक अपील

बेचारा भटका हुआ कश्मीरी नौजवान दरअसल शिकार था और बयालीस हुतात्माएँ दरअसल आत्मघाती दस्ता थे, जिन्होंने इस निर्दोष बालक के प्राण ले लिए।

The Quint के ‘आदर्श पत्नी’ वाले लेख के बाद महागठबंधन नेताओं ने वाड्रा को भेजे विवाह प्रस्ताव

अगर प्रियंका अपने पति को प्रवर्तन निदेशालय (ED) के दफ़्तर छोड़ मोदी को टक्कर दे सकती है, तो राबड़ी ने तो लालू को जेल तक छोड़ा था।

बजट में हुई MEME आयोग के लिए विशेष फंड की घोषणा

अस्वस्थ चल रहे वित्त मंत्री अरुण जेटली के स्थान पर कार्यवाहक वित्त मंत्री पीयूष गोयल कैबिनेट द्वारा अंतरिम बजट स्वीकार कर लिए जाने के बाद एकदम जोश में दिखे।

कलिकाल के संजय हैं दिव्यदृष्टिधारी जनेऊधारी शिवभक्त रामभक्त दत्तात्रेय गोत्री राहुल गाँधी

राहुल गाँधी की दिव्यदृष्टि एक के बाद एक सपने देखने में अब तक लगातार कामयाब रही है। जैसे उनका एक सपना था कि राफेल डील की फ़ाइलें पर्रीकर के बेडरूम में थीं।

‘उरी’ से हमारी जली, ‘मणिकर्णिका’ से हुए धुआँ-धुआँ: कट्टर वामपंथी गिरोह एवं एकता मंच

आज तक इस निर्धारित पैटर्न में होता यह था कि 'संप्रदाय विशेष' हमेशा दोस्ती के लिए जान देने को तैयार दिखाया जाता था। ब्राह्मण और पुजारी को व्यभिचारी, बनिया को हेरफ़ेर करने वाला दिखाया जाता रहा था। तब तक इस गिरोह को कभी समस्या नहीं हुई थी।

राजनैतिक फ़ैंसी ड्रेस मे अवतरित नया कलाकार

राफ़ेल की चिड़िया दाना चुग कर उड़ चुकी है, यह बैंगन छगनलाल जी कहाँ से ले आए, मै समझ नहीं पाया।

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