क्या ज़माना आ गया है। चुनाव के मौसम में छापे मारने पर समोसे और जलेबियाँ बरामद हो रही हैं! जब ज़माना अच्छा था और सब ख़ुशी से जीवनयापन करते थे तब चुनावी मौसम में पड़ने वाले छापे में शराब जैसे चुनावी पेय पदार्थ बरामद होते थे।
राहुल गाँधी किसान हितों के लड़ते-लड़ते ये भूल बैठे हैं कि उनके आए दिन ऐसे बयानों को सुनने और सहन करने वालों के भी कुछ अधिकार होते हैं, जिन्हें कि मानवाधिकार कहा जाता है।