अच्छा होता कि अखिलेश यादव अपनी संवेदनहीनता को इस बात तक ही सीमित रखते कि उत्तर प्रदेश में ज़हरीली शराब कौन बना रहा है। उनका ये सवाल उचित होता कि प्रशासन आख़िर क्यों इन शराब की भट्टियों को चलने देता है।
दामाद जी को प्रवर्तन निदेशालय के दफ़्तर में हाज़िरी लगानी पड़ रही है। चिटफंड घोटालों की आँच ममता तक जा पहुँची है। फ़र्जी कंपनियों की पोल खुल रही है। इसीलिए, लोकतंत्र ख़तरे में है।
सरकारी सम्पत्ति को नुकसान पहुँचाने वाले देशहित और जनता की बात करते हैं! अखिलेश यादव जी आप किसी पर भी सवाल उठाने से पहले अपने कार्यकाल का समय आखिर क्यों भूल जाते हैं?
साथ ही, प्रदेश में साधु-संतों को पेंशन देने की खबरों के बीच अखिलेश यादव ने योगी आदित्यनाथ सरकार से हर जगह पर रामलीला में काम करने वाले सभी कलाकारों को भी पेंशन देने की माँग कर दी है।
तेजस्वी ने अपना गणित लगाते हुए कहा कि अगर भाजपा को उत्तर प्रदेश की 80 सीटें, बिहार की 40 सीटें और झारखंड की 14 सीटें न मिलें, तो बीजेपी अपने आप ही 100 सीटों से नीचे पहुँच जाएगी।
अखिलेश का कहना है कि इस गठबंधन का बीज तो उसी दिन रख दिया गया था, जब भाजपा के नेताओं ने मायवती जी को अपमानित करना शुरू किया था,और बीजेपी ने उन्हें सज़ा देने की बजाए उन्हें मंत्री पद पर बिठा दिया।
माया-अखिलेश दो राज्यों में तो कॉन्ग्रेस के साथ सत्ता भोगेंगे लेकिन यूपी में उसके ख़िलाफ़ ताल ठोकेंगे। महागठबंधन की खिचड़ी और यश चोपड़ा की क्लासिक फ़िल्म सिलसिला में बहुत कुछ समान है