उद्धव ठाकरे ने कहा है कि कोर्ट का निर्णय कुछ भी आए लेकिन जिस तरह से कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाने का फैसला केंद्र सरकार के किया, उसे उसी हिम्मत से राम मंदिर का निर्माण भी शुरू करवाना चाहिए।
कोर्ट में मुस्लिम पक्षकारों ने कहा कि जन्मस्थान के लिए अदालत में याचिका दाखिल नहीं हो सकती। जन्मस्थान कोई कानूनी व्यक्ति नहीं है। उन्होंने प्रार्थना को एक वैदिक अभ्यास बताते हुए कहा कि अगर कल को चीन मानसरोवर में जाने से रोक देता है, तो क्या कोई पूजा के अधिकार का दावा कर सकता है?
इक़बाल अंसारी ने आरोप लगाया कि वर्तिका उन पर सुप्रीम कोर्ट से मामला वापस लेने का आरोप लगा रही थी। इक़बाल अंसारी के अनुसार, वर्तिका ने धमकी दी कि वह अंतरराष्ट्रीय शूटर हैं और बाबरी केस वापस न लेने पर उन्हें गोली मार देंगी।
मुस्लिमों ने कहा कि श्रीराम उनके भी पूर्वज हैं और वे अयोध्या में भव्य राम मंदिर के निर्माण में हिस्सा लेना चाहते हैं। हवन में हिस्सा ले रहे मुस्लिमों ने साफ़ कर दिया कि अयोध्या श्रीराम की भूमि है। इस दौरान उन्होंने 'जय श्री राम' के नारे भी लगाए।
तुसी ने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की इच्छा जताते हुए कहा कि हमारा परिवार उसकी पहली ईंट रखेगा और हम मंदिर की नींव के लिए सोने की शिला दान करेंगे। तुसी ने हाल ही में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर खुद को अयोध्या मामले में पक्षकार बनाने की भी अपील की थी।
मेवाड़ राजघराने के सदस्य अरविंद सिंह मेवाड़ का कहना है कि वो राम के वंशज हैं और वो चाहते हैं कि राम मंदिर जल्द से जल्द बने। वहीं, अरविंद सिंह ने यह भी कहा कि उन्हें अयोध्या में किसी भी तरह की कोई संपत्ति नहीं चाहिए।
यूपी में बीजेपी के सत्ता पर आसीन होने के साथ ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दीपोत्सव कार्यक्रम के समय श्री रामचंद्र एयरपोर्ट के निर्माण की घोषणा की थी।
सीजेआई रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली इस पीठ ने अयोध्या मामले में रोजाना सुनवाई का फैसला लिया था। इससे पहले परंपरा के अनुसार मंगलवार, बुधवार और गुरुवार को ही मामले की सुनवाई तय की गई थी।
सुनवाई के दौरान जजों ने निर्मोही अखाड़ा से पूछा कि क्या आपके पास इस बात को कोई सबूत हैं जिससे आप साबित कर सके कि राम जन्मभूमि की जमीन पर आपका कब्जा है? इसके जवाब में निर्मोही अखाड़ा ने कहा कि 1982 में एक डकैती हुई थी, जिसमें उनके कागजात खो गए। इसके बाद जजों ने निर्मोही अखाड़ा से अन्य सबूत पेश करने को कहा।
मामले की सुनवाई के दौरान कुल 63 गवाहों के बयान दर्ज किए गए थे। इस पाँचों आरोपितों पर आतंकी हमले की साज़िश रचने और आतंकियों की मदद करने का मामला चलाया जा रहा था। कई बार इस मामले में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए भी सुनवाई हुई।