सैफ की 21 मार्च को मौत हो गई थी। अब पता चला है कि जॉंच रिपोर्ट आने से पहले ही उसका शव परिवार को सौंप दिया गया था। इससे परिवार के सदस्यों, रिश्तेदारों और उनके संपर्क में आने वाले अन्य व्यक्तियों के संक्रमित होने का खतरा मंडरा रहा है।
राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में 15 मंत्रियों की एक उच्च स्तरीय कमेटी का गठन किया गया है। लॉकडाउन के दौरान आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति सुनिश्चित करना इस समिति की जिम्मेदारी होगी। देश के सभी जनपदों को कवर करते हुए प्रत्येक कैबिनेट मंत्री को न्यूनतम 15 जनपदों की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
जम्मू-कश्मीर में जिस व्यक्ति की कोरोना वायरस के कारण मौत हुई है, वो भी मजहबी प्रचारक ही था। 65 वर्षीय मौलवी की मौत श्रीनगर चेस्ट हॉस्पिटल में हुई। जिस मजहबी कार्यक्रम की बात प्लानिंग सचिव कर रहे थे, उसमें ये मौलवी भी उपस्थित था।
बीसीसीआई ने यह रकम 'प्राइम मिनिस्टर सिटीजन असिस्टेंस एंड रिलीफ इन इमरजेंसी सीचुएशन्स फण्ड' में दिया है। इससे पहले सचिन तेंदुलकर और सुरेश रैना सहित कई खिलाड़ी सहायता का ऐलान कर चुके हैं।
"हमने टेस्टिंग बढ़ा दी है पर विदेशों से लौट कर आए हुए लोग और एनआरआई 14 दिन के होम क्वारन्टाइन से बचने के लिए यहाँ-वहाँ छिपे घूम रहे हैं। उन्हें स्वयं तथा समाज के हित में स्वास्थ्य प्रोटोकॉल के अनुसार आचरण करने की जरूरत है।"
"मैं कौन होता हूँ चैरिटी या डोनेट करने वाला? दूसरी बात ये कि हम अपने देश को भारत माता कहते हैं। मेरा ये योगदान असल में मेरा नहीं है। ये मेरी माँ की तरफ से भारत माता के लिए है।"
घर पहुॅंचे यूपी-बिहार के लोगों का कहना है कि दिल्ली सरकार ने उनके घरों का बिजली-पानी कनेक्शन काट दिया। उन्हें गुमराह किया। अब आप विधायक राघव चड्ढा पर फर्जी खबर फैलाने का आरोप लगा है और उन पर कार्रवाई की बात कही गई है।
किसी भी कॉर्पोरेट समूह की ओर से कोरोना के ख़िलाफ़ लड़ाई में ये सबसे बड़ी आर्थिक मदद है। रतन टाटा ने कहा है कि प्राथमिकता इमरजेंसी सेवाओं में तेजी और संसाधन जुटाने पर होनी चाहिए। इससे पहले रिलायंस ने मुंबई में देश का पहला 'कोरोना वायरस डेडिकेटेड अस्पताल' कुछ ही दिनों में बना दिया था।
इस लेख को लिखा तो गया है कोरोना के ऊपर लेकिन इसकी शुरुआत होती है सीएए और हिंदुत्व को गाली देने से। साथ ही मोदी सरकार को 'हिन्दू राष्ट्रवादी सरकार' कह कर सम्बोधित किया गया है, जो इनलोगों का फेवरेट टर्म है।
लॉकडाउन के बाद दिल्ली-यूपी बॉर्डर पर गॉंव लौटने के लिए लोगों की भारी भीड़ दिख रही है। अब पता चला है कि इन्हें किस तरह गुमराह किया गया। दिल्ली सरकार के अधिकारी बक़ायदा एनाउंसममेंट कर अफ़वाह फैलाते रहे कि यूपी बॉर्डर पर बसें खड़ी हैं, जो उन्हें घर ले जाएँगी।