विपक्ष की उलूल-जुलूल बयानबाजी से पाकिस्तान और अलगाववादियों को भी शह मिल रही है। इसके कारण सोशल मीडिया में यूजर्स जमकर विपक्ष पर निशाना साध रहे हैं और कह रहे हैं कि देश के विपक्षी नेताओं ने अपने रुख से पाकिस्तान को भी हैरान कर दिया है।
दिग्विजय सिंह ने अंतर्राष्ट्रीय मीडिया का हवाला देते हुए कहा कि सरकार देखे कि कश्मीर में क्या हो रहा है। कश्मीर हमारे हाथ से निकल जाएगा। जबकि प्रशासन अंतर्राष्ट्रीय मीडिया की ख़बरों को मनगढंत बताकर पहले ही ख़ारिज कर चुका है।
कश्मीर का हवाला देते हुए शिवराज सिंह चौहान ने देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू को अपराधी बताया। इसी पर पलटवार करते हुए दिग्विजय सिंह ने कहा कि शिवराज सिंह चौहान जवाहरलाल नेहरू के पैर...
दिग्विजय अकेले नहीं हैं कॉन्ग्रेस में। पार्टी के तौर पर जहाँ कॉन्ग्रेस ने दोनों सदनों में बिल के खिलाफ मतदान किया, वहीं लोकसभा में कॉन्ग्रेस संसदीय दल के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कश्मीर मसले पर बिल लाने की सरकार की हैसियत को ही चुनौती दे डाली थी।
कॉन्ग्रेस को भय है कि समर्थन करने में मुस्लिम वोट बैंक से हाथ धोना पड़ सकता है और विरोध करने में हाल ही में अपनाया गया ताजातरीन हिंदुत्व खतरे में पड़ सकता है इसलिए बेहतर है कि इस सब चर्चा से ऊपर उठकर नेहरू जी के नाम का कलमा पढ़ा जाए।
इससे पहले उन्होंने 14 जून को ज़िला कलेक्टर तरुण कुमार पिथोड़े को पत्र लिखकर रविवार (16 जून) को दोपहर में 2.11 मिनट पर जल समाधि की अनुमति माँगी थी। इसकी अनुमति न देते हुए भोपाल कलेक्टर ने उनकी सुरक्षा करने को कहा, जिससे बाबा की जानमाल को कोई हानि न पहुँच सके।
ऐसे छद्म तथाकथित बाबाओं की इन हरकतों से पूरा संत समाज बदनाम होता है। यज्ञ की विधियों का दुरुपयोग कर इस तरह की ग़ैरवाजिब भविष्यवाणी कर मिर्ची बाबा न सिर्फ अपना बल्कि अध्यात्म और कर्मकाण्ड की एक पूरी संस्कृति का मजाक बनाया है।
दिग्विजय सिंह को भोपाल सीट से विजयी बनाने के लिए महामंडलेश्वर स्वामी वैराग्यानंद ने कुल 5 क्विंटल मिर्च डालकर एक विशाल हवन किया था और वहीं प्रतिज्ञा ली थी कि अगर कॉन्ग्रेस ये सीट हारती है, तो वह इसी हवनकुण्ड में समाधि ले लेंगे।
कमलनाथ एक ऐसा नाम है, जिसने उत्तर प्रदेश में सिंधिया को भिजवाकर उनका क़द घटा दिया क्योंकि वहाँ कॉन्ग्रेस की बुरी हार तय थी। दिग्विजय को 'सबसे बड़ा नेता' और 'सबसे कठिन सीट' के ऐसे जाल में फँसाया, जिससे वह मध्य प्रदेश में एकछत्र राज कर सकें।