नीतीश कुमार के अलग होने के बाद मानों खुशियों ने लालू के परिवार से मुॅंह ही मोड़ लिया था। राजनीतिक दखल कमजोर पड़ गया और पार्टी की चूलें हिल गई। बेटे और बहू की तकरार भी सार्वजनिक चर्चाओं का हिस्सा बन गई। ऐसे में मोदी के कारण कैसे बदले समीकरण?
"दिल्ली सरकार द्वारा नियुक्त पब्लिक प्रोसिक्यूटर 23 सितम्बर के बाद से पेश नहीं हुए हैं। अजीब स्थिति है। सरकार इस केस में गंभीरता दिखा ही नहीं रही। ऐसा लगता है कि राज्य सरकार ने सारी जिम्मेदारियों से हाथ धो लिया है।"
“हरियाणा के लोगों का जनादेश राज्य सरकार के खिलाफ है। मैंने पहले ही पूरे विपक्ष से अपील की है कि लोगों के जनादेश का सम्मान किया जाए और हम सभी को हाथ मिलाना चाहिए - चाहे वह जेजेपी, आईएनएलडी, निर्दलीय हों या कांडा का हरियाणा लोकहित पार्टी।”
1996 और 2005 का हरियाणा विधानसभा चुनाव - दोनों बार ओम प्रकाश चौटाला हार गए। दिलचस्प कि दोनों बार चौटाला बतौर मुख्यमंत्री चुनाव लड़ रहे थे। आखिर दोनों उन्हें हराया किसने - रणदीप सुरजेवाला ने। लोग उन्हें जाइंट किलर कहने लगे। लेकिन फिर वो राहुल गाँधी के करीबी हुए और इतिहास गवाह है कि...
"कॉन्ग्रेस पार्टी ने अपने स्वार्थ के लिए जनता में वोटों के बँटने के भय को खूब प्रचारित किया। इससे बीएसपी के समर्पित वोटर तो कतई नहीं डिगे परन्तु अन्य वोटर जरूर भ्रमित हो गए। इसका परिणाम यह हुआ कि बीएसपी इस बार हरियाणा विधानसभा आमचुनाव में सीट जीतने में सफल नहीं हो सकी।"
पहले जिन 5 निर्दलीय विधायकों ने हरियाणा में खट्टर सरकार को समर्थन देने की बात कही थी, उसमें दो नाम और जुड़ गए हैं - रणधीर गोलन व धर्मपाल गोंदर की। भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा और हरियाणा बीजेपी के प्रभारी से मुलाकात कर इन सभी ने...
"जो निर्दलीय विधायक खट्टर सरकार का हिस्सा बनने जा रहे हैं, वे अपनी राजनीतिक कब्र खोद रहे हैं। वे जनता के विश्वास को बेच रहे हैं। हरियाणा की जनता ऐसा करने वालों को कभी माफ नहीं करेगी। जनता उन्हें जूतों से पीटेगी।"
रणजीत सिंह चौटाला के अलावा रणधीर गोलन, बलराज कुंडू, राकेश दौलताबाद और गोपाल कांडा ने भी राज्य में भाजपा सरकार बनाने के लिए अपने समर्थन की स्वीकृति दी है।
यह सही है कि महाराष्ट्र और हरियाणा में बीजेपी की सीटें गिरी है। लेकिन, इसी आधार पर नतीजों का आकलन करना तथ्यों को अपने ही चश्मे से देखना है। इसका एक पक्ष यह भी है कि यह अगले पॉंच साल के लिए भाजपा के लिए ही जनादेश है।
विधानसभा चुनाव के अंतिम परिणाम अभी घोषित नहीं किए गए हैं, लेकिन रुझान त्रिशंकु विधानसभा का संकेत दे रहे हैं जिसमें कोई भी पार्टी पूर्ण बहुमत प्राप्त करती नहीं दिख रही है।