आरजे फहाद ने आरोप लगाया कि पहले अगर मुस्लिमों की लिंचिंग पर निंदा होती, तो 16 अप्रैल की रात हो सकता है पालघर में साधुओं की भीड़ द्वारा लिंचिंग नहीं की जाती।
पालघर में बेरहमी से मौत के हवाले कर दिए गए दोनों ही साधु दशनामी थे। जिन्होंने औरंगज़ेब से ज्ञानवापी की रक्षा की और ब्रिटिश से युद्ध किया, उन्हें ये कैसी कृतज्ञता अर्पित कर रहे हैं हम?
मध्य-पूर्व के अलावा भारत में भी हिंदुओं को निशाना बनाया जा रहा है। जो भी हिंदू कोरोना वायरस के अत्यधिक तेजी से फैलने में तबलीगी जमात की भूमिका की ओर इशारा करता है, उसे निशाना बनाया जाता है।
कल गुरूद्वारे पर हमले के बाद पूरा अफगानिस्तान अपने सिख-हिन्दू भाइयों के लिए उमड़ पड़ा और अपनी सहानुभूति व्यक्त कर उसके साथ खड़े होने की दृढ़ता दिखाई। इस हमले पर अभी तक तालिबान की कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। इस्लामिक स्टेट ने इसकी जिम्मेदारी लेकर एक बार फिर अपना घिनौना चेहरा दुनिया के सामने रख दिया। इधर भारत में लिबरल-वामपंथी गिरोह इसको लेकर चुप्पी साधे हुए है। जैसे उसने सुकमा में नक्सली हमले के वक्त साधा था।
"मैंने जामिया से MA किया है। प्रथम वर्ष में 67% अंकों के साथ टॉप भी किया था। लेकिन हिजाब वाली एक डायरेक्टर मुझे हमेशा नीचा दिखाती थी, क्योंकि उन्हें मेरा नाम नहीं पसंद था। नक्सलियों के प्रति झुकाव रखने वाले एक अन्य प्रोफेसर ने मुझे हमेशा कम नंबर दिए। जिहादी नक्सलियों की सॉंठगॉंठ काफी मजबूत है।"