Wednesday, November 27, 2024

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Hindu

संतों की लिंचिंग: पालघर पर लेफ्टिस्ट-सेक्युलर खामोशी और कुछ अनुत्तरित सवाल

पालघर में संतों की लिंचिंग से कई सवाल खड़े होते हैं। इनके जवाब के लिए उच्च स्तरीय जॉंच जरूरी है। नरराक्षसों पर कठोर से कठोर कार्यवाही होनी चाहिए।

पालघर पुलिस ने मॉब लिंचिंग पर बार-बार बोला झूठ: पहले कहा- साधुओं की हत्या हो गई थी, फिर बोले- वे घायल थे

साधुओं की मॉब लिंचिंग को दबाने के लिए वीडियो वायरल होने से पहले पालघर पुलिस अलग-अलग बातें बोल रही थी।

हरियाणा: औरंगजेब के डर से बने थे मुस्लिम, अब 6 मुस्लिम परिवारों के 35 सदस्यों ने की हिंदू धर्म में घर वापसी

हरियाणा में औरंगजेब के समय उनके पूर्वज हिंदू थे और दवाब के चलते पूर्वजों ने मुस्लिम धर्म को अपना लिया था, लेकिन अब पूरे परिवार ने.....

पादरियों की हत्या होती तो बोलतीं… संतों की मॉब लिंचिंग पर सोनिया गाँधी को अर्नब ने घेरा

मॉब लिंचिंग पर सोनिया गॉंधी को घेरते हुए मीडिया, सेक्युलर गैंग और राजनीतिक दलों की चुप्पी पर भी सवाल उठाए।

रेडियो मिर्ची RJ फहाद ने साधुओं की हत्या को दिया साम्प्रदायिक रंग, कहा- मुस्लिमों की लिंचिंग मुख्य कारण

आरजे फहाद ने आरोप लगाया कि पहले अगर मुस्लिमों की लिंचिंग पर निंदा होती, तो 16 अप्रैल की रात हो सकता है पालघर में साधुओं की भीड़ द्वारा लिंचिंग नहीं की जाती।

औरंगज़ेब से हरिद्वार और वाराणसी को बचाया, आज अपने ही देश में मारे जा रहे: दशनामी नागा साधुओं का उपकार भूल गया देश

पालघर में बेरहमी से मौत के हवाले कर दिए गए दोनों ही साधु दशनामी थे। जिन्होंने औरंगज़ेब से ज्ञानवापी की रक्षा की और ब्रिटिश से युद्ध किया, उन्हें ये कैसी कृतज्ञता अर्पित कर रहे हैं हम?

पालघर में साधुओं की हत्या और मीडिया: ‘3 लोगों’ की मॉब लिंचिंग, ‘चोर’ का भ्रम – हेडलाइन से पाठकों को यूँ बरगलाया

पालघर में साधुओं की हत्या कर दी गई। मीडिया ने छापा, जरूर छापा - भ्रामक हेडलाइन के साथ। साधुओं की हत्या को मात्र 3 लोगों की लिंचिंग बता कर...

खाड़ी देशों में हिंदुओं को फँसाने का खेल: संघी और इस्लामोफोबिक बताओ, जेल भिजवाओ

मध्य-पूर्व के अलावा भारत में भी हिंदुओं को निशाना बनाया जा रहा है। जो भी हिंदू कोरोना वायरस के अत्यधिक तेजी से फैलने में तबलीगी जमात की भूमिका की ओर इशारा करता है, उसे निशाना बनाया जाता है।

क्या अफगान-तालिबान शांतिवार्ता की घुटन का परिणाम है ISIS द्वारा गुरूद्वारे पर हमला, भारत में लिबरल-वामपंथी गिरोह की चुप्पी के मायने?

कल गुरूद्वारे पर हमले के बाद पूरा अफगानिस्तान अपने सिख-हिन्दू भाइयों के लिए उमड़ पड़ा और अपनी सहानुभूति व्यक्त कर उसके साथ खड़े होने की दृढ़ता दिखाई। इस हमले पर अभी तक तालिबान की कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। इस्लामिक स्टेट ने इसकी जिम्मेदारी लेकर एक बार फिर अपना घिनौना चेहरा दुनिया के सामने रख दिया। इधर भारत में लिबरल-वामपंथी गिरोह इसको लेकर चुप्पी साधे हुए है। जैसे उसने सुकमा में नक्सली हमले के वक्त साधा था।

‘जामिया में जिहादियों और नक्सलियों की साँठगॉंठ, हिजाब वाली डायरेक्टर हमेशा नीचा दिखाती थी’

"मैंने जामिया से MA किया है। प्रथम वर्ष में 67% अंकों के साथ टॉप भी किया था। लेकिन हिजाब वाली एक डायरेक्टर मुझे हमेशा नीचा दिखाती थी, क्योंकि उन्हें मेरा नाम नहीं पसंद था। नक्सलियों के प्रति झुकाव रखने वाले एक अन्य प्रोफेसर ने मुझे हमेशा कम नंबर दिए। जिहादी नक्सलियों की सॉंठगॉंठ काफी मजबूत है।"

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