Sunday, September 15, 2024
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‘जामिया में जिहादियों और नक्सलियों की साँठगॉंठ, हिजाब वाली डायरेक्टर हमेशा नीचा दिखाती थी’

शिवांगिनी के अनुभव को कई लोगों ने रीट्वीट करते हुए कहा है कि अगर शिवांगी द्वारा कही गई आधी बातें भी सच हैं, तो ये एक गंभीर विषय है। हमें इस नफरत भरे रवैए पर चिंता करनी चाहिए। क्या ऐसे प्रोफेसर यूनिवर्सिटी में पढ़ाने के लायक हैं?

नागरिकता संशोधन कानून का समर्थन करने के कारण गैर मुस्लिम छात्रों को फेल करने का मामला जामिया मिलिया इस्लामिया से आया है। अबरार अहमद नाम के असिस्टेंट प्रोफेसर ने ट्वीट कर ऐसे 15 गैर मुस्लिम छात्रों को फेल करने का दावा किया था। मामले के तूल पकड़ने के बाद सफाई देते हुए उसने इसे मजाक बताया था। हालॉंकि यूनिवर्सिटी प्रशासन ने जॉंच पूरी होने तक उसे सस्पेंड कर दिया है।

जाकिर नायक के फैन अबरार के कट्टरपंथी विचारों और कारनामों को लेकर ऑपइंडिया ने विस्तार से रिपोर्ट की थी। इसके बाद सोशल मीडिया में कई लोग जामिया की अपनी आपबीती लेकर सामने आ रहे हैं। आधिकारिक तौर पर इनकी ऑपइंडिया पुष्टि नहीं करता। लेकिन, इससे संकेत मिलता है कि जामिया में गैर मुस्लिम छात्रों के साथ भेदभाव का सिलसिला पुराना है।

खुद को जामिया का पूर्व छात्रा बताने वाली शिवांगिनी पाठक ने बताया है उन्हें उनके नाम के कारण कभी पसंद नहीं किया गया। हमेशा उन प्रोफेसर्स ने उन्हें कम नंबर दिए जिनका झुकाव नक्सलियों की ओर था।

दरअसल, संजय दीक्षित ने इस मामले पर ऑपइंडिया की खबर को शेयर करते हुए लिखा कि गैर मुस्लिमों की मुस्लिम बहुल आबादी में ये किस्मत होती है। शिवांगिनी ने इस पर रिप्लाई करते हुए आपबीती बताई है। उन्होंने लिखा, “मैंने जामिया से MA किया है। प्रथम वर्ष में 67% अंकों के साथ टॉप भी किया था। लेकिन हिजाब वाली एक डायरेक्टर मुझे हमेशा नीचा दिखाती थी, क्योंकि उन्हें मेरा नाम नहीं पसंद था। नक्सलियों के प्रति झुकाव रखने वाले एक अन्य प्रोफेसर ने मुझे हमेशा कम नंबर दिए। जिहादी नक्सलियों की सॉंठगॉंठ काफी मजबूत है।”

शिवांगिनी के इस अनुभव को कई लोगों ने रीट्वीट करते हुए कहा है कि अगर शिवांगी द्वारा कही गई आधी बातें भी सच हैं, तो ये एक गंभीर विषय है। हमें इस नफरत भरे रवैए पर चिंता करनी चाहिए। क्या ऐसे प्रोफेसर यूनिवर्सिटी में पढ़ाने के लायक हैं?

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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