अनुभवी आदमी शब्दों को अपने हिसाब से लिख सकता है कि वो एक स्तर पर श्रद्धांजलि लगे, एक स्तर पर राजनैतिक समझ की परिचायक, और गहरे जाने पर वैयक्तिक घृणा से सना हुआ दस्तावेज। रवीश अनुभवी हैं, इसमें दोराय नहीं।
आम धारणा यही है कि जम्मू-कश्मीर पूरी तरह भारत में घुलमिल नहीं पाया तो इसकी वजह नेहरू की नीतियॉं थी। मोदी सरकार ने कॉन्ग्रेस को इससे पीछा छुड़ाने का मौका दिया। पर अफसोस, कॉन्ग्रेस न विपक्ष का धर्म निबाह पाई न राष्ट्रधर्म। उलटे खुद के वजूद के लिए नया संकट खड़ा कर लिया।
इमरान, खालिद और अनवर ने बर्थडे पार्टी को अनुच्छेद 370 से जुड़ा जश्न समझ कर धमकी दी। उसमें कहा कि यहाँ कोई जश्न नहीं होगा। इमरान ने धमकी दी कि यह कश्मीर नहीं पिड़ावा है और यहाँ जश्न नहीं चलेगा।
एक ओर जहाँ असमिया गायक भूपेन हजारिका को मरणोपरांत भारत रत्न उनकी असाधारण प्रतिभा के लिए दिया जा रहा है तो वहीं राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को राजनीति में लंबी पारी के लिए और नानाजी देशमुख को ये सम्मान देश की बड़े स्तर पर समाज सेवा करने के लिए दिया जाएगा।
जुमे की नमाज और बकरीद को लेकर राज्यपाल ने समीक्षा बैठक की। अधिकारियों को निर्देश दिया गया कि वे दूसरे राज्यों में पढाई कर रहे जम्मू कश्मीर के छात्रों को उनके परिवार से बात कराने के लिए टेलीफोन लाइन स्थापित किए जाएँ। राज्यपाल ने बकरीद पर घर न लौट पाने वाले छात्रों के लिए कार्यक्रम आयोजित करने हेतु फंड भी जारी किया।
आतंकी मुंबई में हमले करने की फिराक में हैं। ख़ुफ़िया एजेंसियों ने सरकार को इस बाबत आगाह किया है। मुंबई भारत की वित्तीय राजधानी कही जाती है और वहाँ स्थित स्थलों को पहले भी आतंकियों द्वारा निशाना बनाया जा चुका है।
कभी वो सड़क किनारे खाना खाते हुए दिखे तो कभी पुलिस से बात करते हुए अपना अतीत याद करते हुए दिखे। जनता से सीधा संवाद कर उन्होंने सबका दिल जीत लिया। जम्मू कश्मीर में NSA अजीत डोभाल का एक अलग ही रूप दिखा। देखें वीडियो।
राज्य में स्थिति अभी संतोषप्रद है। बिजली और पानी से जुड़ी सेवाएँ सही से कार्य कर रही हैं और लोग रोजमर्रा की जरूरतों के सामान ख़रीदने के लिए घरों से निकल रहे हैं। सभी अस्पतालों में नियमित क्रियाकलाप चल रहे हैं।
हम आजम खान जैसे नेताओं के सेक्सिस्ट कमेंट पर हैरान नहीं होते क्योंकि जिस पार्टी के वो नेता हैं उसके संस्थापक ही रेप जैसी घटनाओं को जस्टिफाई करते हैं, लेकिन भाजपा से जुड़े लोग भी जब ऐसी ही भाषा में बात करने लगे और वह भी 370 के संदर्भ में तो यह केवल महिलाओं को लेकर उनकी ओछी सोच ही नहीं है, बल्कि उनको भी नीचा दिखाता है जिन्होंने एक विधान-एक निशान के लिए अपनी जिंदगी खपा दी।
सुषमा स्वराज ने ट्विटर डिप्लोमेसी का दरवाजा खोला। ट्विटर पर सक्रिय रहते हुए लोगों की मदद करना इतना चर्चित हुआ कि वाशिंगटन पोस्ट ने उन्हें 'सुपरमॉम ऑफ द स्टेट' कहा। उनके देहांत के साथ ही भारतीय राजनीति का एक शालीन अध्याय समाप्त हो गया है।