राजदीप सरदेसाई इसे 'ब्लडी दिवाली' कहते हैं। अरशद वारसी को देश की जनता 'स्टुपिड' नज़र आती है। सोनम कपूर का कुत्ता डर जाता है। शशि थरूर का पॉवर ग्रिड फेल हो जाता है। आख़िर जमातियों का मजहब न देखने की सलाह देने वालों ने '9 बजे 9 मिनट्स' में धर्म कैसे ढूँढ लिया?
कुछ लोगों का मानना है कि सरकार ने इस फैसले से कोरोना के कारण छवि को होने वाले नुकसान की भरपाई का जरिया बनाते हुए यह भी साबित करने का प्रयास किया है कि रामानंद सागर द्वारा निर्मित इस धारावाहिक के पीछे आरएसएस के हिंदुत्ववादी विचारधारा का प्रचार-प्रसार था।
वो तो भला हो कि अधिकतर नागरिक ऐसे फर्जी यूट्यूबर्स की बातों पर ध्यान नहीं देते, लेकिन कुछ कम बुद्धि वाले राठी-समर्थक उसकी बातों को फूल और बाकी बातों की बबूल ही समझते हैं। राठी ने तब आरोप लगाया था कि 'डर का माहौल' ऐसे बनाया जा रहा है, जैसे कोई 'जॉम्बी अपॉकलिप्स' (चलती-फिरती लाशों वाली तबाही) आ गया हो।
22 मार्च की सुबह से ही जनता कर्फ्यू के सन्नाटे के बावजूद भी कुछ लोगों ने आरती और शंख ध्वनियाँ शुरू कर दी थीं लेकिन शाम पाँच बजते ही मानो पूरा भारत एक मंदिर में तब्दील हो गया। यह पल इतना भावुक कर देने वाला था कि जिन लोगों ने यह पल महसूस किया है वो शायद ही कभी इसे भूल पाएँगे।
मोदी के समर्थन में लिबरल-सेक्युलर मीडिया गैंग के अलावा कॉन्ग्रेसी इकोसिस्टम का भी उतर आना वाकई सुखद आश्चर्य देता है, जिसने मोदी के जनता कर्फ्यू का दिल खोल कर स्वागत किया।
वैश्विक महामारी से निपटने के लिए लड़ रहे लोगों के प्रति आभार जताने के लिए पीएम मोदी ने जनता से एक अपील की। लेकिन, स्वयंभू महिला पत्रकारों को यह फिजूल की कवायद लग रही। इतना ही नहीं वे इस देश की जनता को भी बेवकूफ बता रही हैं।
सबा नकवी खुद को पत्रकार कहती हैं। लेकिन ऐसा लगता है कि सिंधिया के इस्तीफे से कॉन्ग्रेस से ज्यादा उन्हें दर्द हुआ है। भाजपा के खिलाफ अक्सर जहर उगलने वाली सबा नकवी को उम्मीद है कि कमलनाथ सब ठीक कर देंगे।
सोशल मीडिया पर चाँदबाग की वो वीडियो सैलाब की तरह तैर रही है, जिसमें मुस्लिम महिलाओं ने पुलिस अधिकारियों पर पत्थर से हमला कर उन्हें घायल किया। लेकिन, इसके बाद भी सुशांत सिंह पूछते हैं कि दिल्ली की हिंसक भीड़ में औरतें थीं क्या? मैंने तो नहीं सुना। सोचिए कितना शर्मसार करने वाला है सुशांत का ये ट्वीट।
कट्टरपंथियों के घर के ऊपर युद्ध लड़ने के मकसद से पेट्रोल बम, एसिड, पत्थर और आग लगाने का सामान इकट्ठा दिख रहा है, और फिर भी आपको बताया जा रहा है कि ये 'हिन्दुओं द्वारा मुस्लिमों के सफाए की साजिश है', 'ये मुस्लिमों का पोगरोम है', 'ये मुस्लिमों का नरसंहार है'।