फसल को इसलिए कटवाया जा रहा है ताकि मायावती का विमान आसमान से वहाँ पर उतरे और उनका चुनावी भाषण जोर-शोर से वोटर्स को सुनाया जा सके। चिंता की बात यह भी है कि अभी फ़सल पकने का समय नहीं है, ऐसे में यह फ़सल मवेशियों के चारे के अलावा किसी काम में नहीं आ सकेगा।
प्रियंका जी को बताया गया है कि आप इंसान नहीं बल्कि लगभग अवतार हैं, कि लोग आपको सुनने नहीं बल्कि वे आपके कपड़े, नाक देखने आते हैं, वे यह भी देखने आते हैं कि भारत जैसे उष्णकटिबंधीय देश में आपकी त्वचा में प्रचूर मॉइस्चराइजेशन आखिर कैसे बना रहता है।
आज बिहार औरतों की मुक्ति की प्रस्तावना लिखने जा रहा है। यह 'मौन-क्रांति' ही है, जो अब किसी भी बिहार की बेटी को दहेज और घरेलू -हिंसा के खातिर आत्महत्या के दहलीज तक नहीं पहुँचने देगी।
2004, 2009 और 2014 के चुनावों में पहले तीन स्थान पर जो पार्टियाँ थीं, 2015 के विधानसभा चुनावों में वामपंथी पार्टी को जितनी सीटें (शून्य) मिलीं, और बेगूसराय के भूमिहारों द्वारा कमल छाप पर मुस्लिम को भी जिताने का पैटर्न, कन्हैया कुमार को तीसरे पोजिशन से आगे नहीं ले जाता दिखता।
खानदान विशेष के एहसानों और पुरस्कारों के बोझ तले दबा यह मीडिया गिरोह 2014 में सवाल नहीं पूछ पाया था, शायद तब तक कभी गाँधी परिवार ने इसे एहसास भी नहीं होने दिया था कि मीडिया का काम सवाल पूछना भी हो सकता है। सवाल पूछ पाने की यह वैचारिक क्रांति इस मीडिया गिरोह में 2014 के बाद ही देखने को मिली है।
पीएम मोदी ने मेरठ की रैली में कहा "4 दशक से हमारे सैनिक वन रैंक वन पेंशन माँग रहे थे, उसको पूरा करने का काम भी इसी चौकीदार ने किया। देश के क़रीब 12 करोड़ किसान परिवारों को 75 हज़ार करोड़ रुपए की सीधी वार्षिक मदद का काम भी हमने किया है।"
कॉन्ग्रेस महासचिव की मानें तो देश में दियासलाई से लेकर मिसाइल तक बना कर देने का काम कॉन्ग्रेस ने किया है। उनका कहना है कि प्रधानमंत्री मोदी सिर्फ़ विश्व का भ्रमण कर रहे हैं।
"शारीरिक रूप से भले ही कॉन्ग्रेसी कार्यकर्तागण अपनी पार्टी के लिए प्रचार-प्रसार करें लेकिन मानसिक रूप से वो सभी मेरे साथ हैं। वो मुझे फोन करके बताते हैं कि मैं लोकसभा चुनाव जरूर जीतूँगा। उनका कहना है कि वह मेरे साथ हैं।"