कनौजिया द्वारा विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के सेनाध्यक्ष जनरल रावत की तुलना एक ऐसे व्यक्ति से की गई, जिसने भारतीय जनता का नरसंहार किया था। जनरल डायर का गुनाह इतना बड़ा था कि उन्हें अपनी ही सरकार द्वारा शुरू की गई जाँच का सामना करना पड़ा था।
"मेरी 10 साल से ज्यादा दोस्त रह चुकी लड़की ने, जो उच्च-मध्यम वर्ग की थी, अपने बर्थडे की पार्टी में नहीं बुलाया क्योंकि उसके नए-नए बने 'संघी' बॉयफ्रेंड को मुस्लिम पसंद नहीं। मेरे दोस्त ने खुद यह कबूल किया। उस दोस्त ने शादी में भी नहीं बुलाया।"
पुलिस द्वारा मामले की सच्चाई का पर्दाफाश करने के बाद पता चल चुका है कि बच्चा जय श्री राम के नारे वाली बात झूठ बोल रहा है। वो अलग-अलग बयान दे रहा है। पुलिस के मुताबिक बच्चे को देखकर लग रहा है जैसे उसे किसी ने ये सारी बातें सिखाई हैं।
गिरती लोकप्रियता के कारण BBC हाशमी दवाखाना के विज्ञापनों की तरह ही अपने होमपेज पर सेक्स ही सेक्स लिखते हुए घूम रहा है। हाशमी दवाखाना वालों के मार्केट पर इससे जरूर गहरी चोट लग सकती है।
राणा सफ़वी ने अपने लेख में भारत की जीडीपी के आँकड़े दिखा कर मुग़लों को महान साबित करने की कोशिश की है लेकिन उनकी चालाकी पकड़ी गई। हमारे घर में घुस कर हमारे मंदिर तोड़ने वाले मुग़लों की चापलूसी करने वाले कल को जलियाँवाला नरसंहार को भी सही ठहरा सकते हैं।
कारवाँ के कार्यकारी सम्पादक विनोद के. होज़े ने लंदन में भारत-विरोधी प्रेज़ेंटेशन दिया। उन्होंने दावा किया कि हिंदुस्तान के अल्पसंख्यकों पर अत्याचार हो रहे हैं। उन्होंने यह भी दावा किया कि "सैकड़ों ईसाईयों की हत्या हो रही है।" और "1984 का सिख हत्याकांड भी आरएसएस का रचा हुआ था।"
AIB ने यह साबित कर दिया है कि यह कुछ ऐसे लोगों का समूह है, जिनके पास रचनात्मकता के नाम पर ना ही पहले कुछ विशेष था और ना ही अब। आज के इस एडिटेड वीडियो से AIB ने जता दिया है कि उनसे नैतिक मूल्यों की उम्मीद करना आज भी अतार्किक ही है।
क्या किसी कार्यक्रम में 'जय श्री राम' का नारा लगने से माहौल दूषित हो जाता है? क्या 'जय श्री राम' बोलना आसपास के वातावरण को बिगाड़ देता है? सोशल मीडिया पर यूजर्स ने इंडिया टुडे से ऐसे कई सवाल पूछे।
“मीडिया का एक सेक्शन है जो दीमक की तरह हमारे देश में लगा है। ये जो दोगली मीडिया है, बिकाऊ मीडिया है, जो ख़ुद को लिबरल कहती है, सेकुलर कहती है और कुछ भी नहीं है दसवीं फेल है... ये लोग सूडो लिबरल हैं और ये लोग बिल्कुल भी सेकुलर नहीं हैं।”
1. हिंदू अपराध करे तो पूरा हिंदुस्तान 'लिंचिस्तान', Pak के मजहब वालों का पाप ढकने के लिए उन्हें 'एशियन' बताना 2. खुले में शौच के लिए हिन्दू धर्म शास्त्र ज़िम्मेदार 3. हिंदुओं पर स्टोरी के लिए मानव-माँस खाते अघोरियों को दिखाना - हिन्दूफ़ोबिया से ग्रसित अंतरराष्ट्रीय मीडिया को समझने के लिए ये तो बस कुछ उदाहरण हैं। इनके कारनामों की लिस्ट बहुत लंबी है।