Thursday, May 9, 2024

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NITISH KUMAR

बड़े डिफॉल्टरों के अख़बार में नाम छाप दो, लोन लेकर वापस न करने वालों पर बिहार सरकार सख्त

बिहार के छोटे ऋण लेने वाले कर्ज अदा कर देते हैं, लेकिन जो बड़ी रकम लेते हैं वो आना-कानी करते हैं। बैंकर्स की शिकायत को मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री ने गंभीरता से सुना और आश्वासन दिया कि उनकी सरकार बैंको को लोन वापसी में मदद करेगी।

‘जिया हो बिहार के लाला, पुलिस की 22 बंदूक में से एक भी गोली नहीं चली’- ट्विटर पर लोगों ने लिए मजे

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, अधिकारियों ने भी पुलिस की समस्या जानने की कोशिश की कि फॉयरिंग क्यों नहीं हो पा रही है, लेकिन जब कोई उपाय नहीं नज़र आया तो बिना सलामी के ही अंत्येष्टि प्रक्रिया सम्पन्न की गई।

अपने ही घर से भागे बिहार के ‘छोटे सरकार’, कभी हाथ जोड़े खड़े रहते थे नीतीश कुमार

अनंत सिंह केवल अपने आपराधिक इतिहास के लिए ही चर्चित नहीं रहे हैं। उनके शौक भी अजीबोगरीब हैं। अजगर पालने की सनक को लेकर वे विवादों में रह चुके हैं। एक बार उन्होंने पटना के अपने घर में एक पत्रकार को भी बंधक बना लिया था।

बिहार: न पीने को पानी-न खाना, ग्रामीणों ने कहा-मरेंगे तो साथ-साथ

बाढ़ से बिहार में अब तक करीब सौ लोगों की मौत हो चुकी है। राज्य के 12 जिलों के करीब 26 लाख लोग इससे प्रभावित हैं। राज्य सरकार ने प्रभावित परिवारों के खाते में भेजने के लिए 6000 करोड़ रुपए मुहैया कराए हैं।

पटना: समान काम के लिए समान वेतन मॉंग रहे शिक्षकों पर बरसाई लाठियाँ

विधानसभा के पास प्रदर्शन कर रहे संविदा शिक्षकों को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने न सिर्फ़ आँसू गैस के गोले छोड़े, बल्कि वाटर कैनन का भी इस्तेमाल किया। इसके बाद शिक्षकों पर लाठियाँ भाजी गईं। उनकी जम कर पिटाई की गई।

भाई-बहन के साथ डूबा 3 महीने का अर्जुन, तीनों एक ही चिता पर जले, पर साहेब हैं कि मानते नहीं

बिहार सरकार के आँकड़ों की ही मान लें तो अब तक बाढ़ से 67 लोगों की मौत हो चुकी है। ज्यादातर शव स्थानीय लोगों ने अपनी जान जोखिम में डाल तलाशे हैं। सरकारी अमला जिन गोताखोरों और बचाव दल की तैनाती का दावा कर रहा है वे नजर नहीं आ रहे।

RSS और उससे जुड़े 18 संगठनों पर नीतीश की नजर, पदाधिकारियों की कुंडली तैयार कर रही पुलिस

पटना विशेष शाखा के एसपी ने बीते साल मई में सभी डीएसपी को पत्र भेज कर एक सप्ताह के भीतर संघ और उससे जुड़े संगठनों के पदाधिकारियों का ब्यौरा उपलब्ध कराने को कहा था। हालॉंकि सरकार के इस फैसले की वजह क्या थी यह अब तक स्पष्ट नहीं हो पाया है।

बिहार: पानी के लिए हाहाकार, चमकी बुखार और अब बाढ़, गिरोह को था इसी का इंतजार

फिर से यह सारा दोष नेपाल के मत्थे मढ़ा जाएगा। लेकिन, बता दूॅं कि नेपाल किसी बराज से पानी नहीं छोड़ता। नेपाल से राज्य में आने वाली केवल दो नदियों गंडक और कोसी पर बराज है। दोनों की डोर बिहार के जल संसाधन विभाग के हाथों में ही है और पटना से आदेश के बाद ही बराज के फाटक खुलते हैं। इस विभाग के मुखिया वही संजय झा हैं जो बाढ़ आने से पहले दावा कर रहे थे कि सरकार अबकी बार पूरी तरह तैयार है।

बाढ़ से बेहाल मिथिलांचल में जान-माल भगवान भरोसे, राहत-बचाव की तो पूछिए मत

आपदा के 72 घंटे बाद राज्य सरकार ने पीड़ितों के लिए 196 राहत केंद्र और 644 सामुदायिक रसोई खोलने का दावा किया है। इनमें 148 केंद्र सीतामढ़ी जिले में खोले गए हैं और मधुबनी में केवल तीन। जबकि, मधुबनी और सीतामढ़ी दोनों जिलों के 15-15 प्रखंड बाढ़ प्रभावित हैं। सरकार की तरफ से बताया गया है कि एनडीआरएफ-एसडीआरएफ की 26 टुकड़ियां लोगों को बचाने में जुटी है।

बिहारी पत्रकारों, नीतीश कुमार की काहिली को डिफेंड कर रहे हो? इसी बाढ़ में डूब क्यों नहीं जाते?

बाढ़ सरकारी महकमे के अफसरों और नेताओं के लिए उत्सव है। ये वो समय है जब राहत पैकेज के रूप में भ्रष्टाचार का पैकेज आता है। आखिर लगभग पंद्रह साल से सत्ता में रही पार्टी इस समस्या का कोई हल ढूँढने में विफल क्यों रही है? अगर कोसी द्वारा अपने पुराने बहाव क्षेत्र में वापस आने वाले साल को छोड़ दिया जाए, तो बाकी के हर साल एक ही समस्या कैसे आ जाती है?

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