सर्वसम्मति की आवश्यकता इसलिए है क्योंकि हमारा शत्रु एक है- ‘आतंकवाद’। जो भी देश आतंक का भरण पोषण करता है वह हमारे लिए आतंकी देश होना चाहिए। यह विचार भारत के प्रत्येक संस्थान और व्यक्ति द्वारा बिना किसी रिलिजियस अथवा सामुदायिक भेदभाव के अंगीकार किया जाना चाहिए।
रहमान मलिक का आरोप है कि अंतराष्ट्रीय न्यायालय में लंबित कुलभूषण जाधव के मसले से ध्यान हटाने के लिए भारत की ख़ुफ़िया एजेंसी रॉ ने ख़ुद ही हमले कराए हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने कई परियोजनाओं का शिलान्यास किया। उन्होंने कहा कि ये परियोजनाएँ ग़रीबों से जुड़ी, सड़कों से जुड़ी, रेलवे से जुड़ी, रोज़गार से जुड़ी हई हैं।
फ़िल्म अभिनेत्री कंगना रनौत ने कहा, “अब जो भी शांति और अहिंसा की बात करेगा उस पर कालिख पोत कर, गधे पर बैठा कर चौराहे पर खड़ा कर देना चाहिए ताकि जो भी आए थप्पड़ मार कर जाए।”
भारी मात्रा में विस्फोटक सामग्री लाना, उसे वाहन पर असेम्बल करना, कई दिन पहले से इलाके की रेकी करना और पूरा प्लान बनाने में अच्छा-खासा समय लगता है। यह स्थानीय सहायता के बिना संभव ही नहीं है।
आतंकियों को पाकिस्तानी सत्ता के संरक्षण का जीता-जागता उदाहरण। 5 साल पीछे। मसूद अज़हर की वो रैली जहाँ से पठानकोट और पुलवामा हमले की पटकथा का लिखा जाना शुरू हो गया था।
लगातार धर्म की आड़ में आतंकियों को पालने वाले पाकिस्तान को अच्छे से यह बात मालूम है कि जो आतंक का बीज़ वो अपनी धरती पर लगाता है, उसकी जड़ें भी बनेंगी और वो फैलेंगी भी।