परेशान छात्रों ने ट्विटर पर घर वापसी के लिए #SendUsBackHome नाम से एक ट्रेंड चलाया, जिस पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने संज्ञान लेते हुए सुरक्षा ऐजेंसियों से बात की, लेकिन उन्हें निराशा हाथ लगी। वहीं अब बताया जा रहा है कि अब केंद्रीय एजेंसियों के कहने पर ही कोटा से बच्चों को निकालने की प्रक्रिया शुरू हुई है।
जनता कर्फ्यू के दिन घंटी-थाली बजाने पर पड़ोस में ही रहने वाले 7-8 मुस्लिम युवकों ने मृतक रेवत सिंह (रेवंत सिंह के घर जाकर उनके साथ धक्का-मुक्की करते हुए कहा था कि यहाँ किसी मोदी का नहीं, बल्कि उनका कानून चलता है। जैसा वो कहेंगे उन्हें मानना होगा।
सघन आबादी वाला यह मजहब विशेष बहुल इलाका संक्रमण का हॉटस्पॉट बना हुआ है। यहॉं मेडिकल टीम पर हमला हो चुका है। कर्फ्यू तोड़ भागने और प्रशासन को गुमराह करना तो आम बात है। जानिए, कैसे बिगड़े हालात।
महिला एक कोरोना पॉजिटिव शख्स के संपर्क में आई थी, जिसके बाद उसे अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड में रखा गया था। लेकिन अचानक यह महिला वार्ड में अस्पताल कर्मचारियों को छूने लगी, उनके गले पड़ने लगी। महिला की इस हरकत से वहाँ अफरा-तफरी की स्थिति हो गई।
थानाधिकारी मनोज सिकरवार ने बताया कि मामले के बाद नगर निगम की टीम को बुलाकर पूरे क्षेत्र को सैनेटाइज कराया गया है। साथ ही CCTV तस्वीरों के आधार पर इन महिलाओं की तलाश की जा रही है।
"पिछले कई दिनों से राज्य सरकार इस मॉडल का श्रेय लेने की कोशिश कर रही है, लेकिन मुझे तब दुख ज्यादा हुआ कि जब इसका श्रेय राहुल गाँधी को भी दिया जाने लगा। जबकि सच यह है कि भीलवाड़ा की जनता ने इसे एक मॉडल के रूप में स्थापित करने और कोरोना से लड़ने के लिए छोटी-छोटी बातों का कड़ाई से पालन किया और आत्मसंयम का परिचय दिया। हम लोग प्राधनमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा की गई अपील से बहुत प्रभावित हैं।"
एक जिला जहॉं 93 फीसदी आबादी हिंदू है, संक्रमण पर काबू पाने के तरीकों से मॉडल बन जाता है। एक इलाका जहॉं 90 फीसद मुस्लिम हैं वहॉं लॉकडाउन फेल हो जाता है। फिर कर्फ्यू और उसके बाद महाकर्फ्यू लगाना पड़ता है। बावजूद वह संक्रमण का एपिसेंटर बना हुआ है। जबाव कड़वा है, पर सच यही है।