विकसित देशों में इमीग्रेशन आज एक बड़ी समस्या बन चुका है। किसी देश में बाहर से आकर बसने वाले अपने साथ अपनी संस्कृति, खानपान, भाषा, पहनावा, उपासना पद्धति और रहन सहन का हर वो तरीका लेकर आते हैं जो उस देश से भिन्न होता है जहाँ वे जाते हैं।
कानून व्यवस्था और राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे मुद्दों पर देश ने कभी किसी रिलिजियस आइडेंटिटी को ऊपर नहीं माना है। राष्ट्रीय सुरक्षा के मामले में इंदिरा गाँधी ने स्वर्ण मंदिर में मिलिट्री ऑपरेशन करने की भी इजाज़त दे डाली थी।
एक ऐसा व्यापारी जिसके बारे में 1990 में ही सरकार को पता चल गया था कि वह आतंकियों का वित्तीय पोषण करता है लेकिन उसे बार-बार गिरफ़्तार कर के छोड़ दिया गया। आज 30 वर्षों बाद वही घाव अब नासूर बन चुका है।
यह बात चौंकाने वाली है कि भविष्य में देश का नेतृत्व करने की इच्छा रखने वाले राहुल गाँधी को ऐसी राष्ट्रीय आपात स्थितियों के दौरान आतंकी समूहों के साथ होने वाली जटिल वार्ताओं के बारे में पूरी और सही जानकारी अब तक नहीं है।
अपने विरोध प्रदर्शन में खालिस्तानियों ने भारत-विरोधी नारे भी लगाए। इस दौरान उन्होंने भारतीय ध्वज को उखाड़ने के लिए अपने कदम आगे बढ़ाए। यह विरोध लंदन में भारतीय उच्चायोग के सामने हुआ।
संयुक्त राष्ट्र की 1267 सेंक्शन कमेटी को हाल ही में जैश ए मोहम्मद के सरगना मसूद अज़हर पर प्रतिबंध लगाने का अनुरोध भी प्राप्त हुआ है। जैश ए मोहम्मद ने पुलवामा में हुए आतंकी हमले की जिम्मेदारी ली थी।
सन 1989-90 के दौरान कश्मीरी पंडितों को घाटी से पलायन करने पर मजबूर करने के लिए की गयी यह पहली हत्या थी। पंडितों के सर्वमान्य नेता पं० टपलू को मार कर अलगाववादियों ने स्पष्ट संकेत दे दिया था कि अब कश्मीर घाटी में ‘निज़ाम-ए-मुस्तफ़ा’ ही चलेगा।
पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने पाकिस्तान के एक वरिष्ठ पत्रकार को दिए इंटरव्यू में आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद को लेकर सनसनीखेज खुलासा किया है।
उमा भारती ने कहा कि कॉन्ग्रेस पार्टी को शर्म आनी चाहिए क्योंकि इन्होने 1984 एवं 1991 में लोकसभा चुनाव में इंदिरा गाँधी और राजीव गाँधी की शहादत को राजनीतिक रूप से भुनाने की कोशिश की थी।