एक बलिदानी पुलिसकर्मी के परिवार को दर-दर की ठोकर खाने को मजबूर करने वाली दिल्ली सरकार क्या कोरोना काल में भी मजहब देख कर मदद करती है? अगर मुआवजा देना ही नहीं था तो झूठा वादा कर के परिवार को उम्मीद ही क्यों दी गई?
"हर बार की तरह 'टोपी-कुर्ता-दाढ़ी' वाला शख्स ही हैवानियत का शिकार होता दिखेगा। BJP सरकार भले ही विकास करने में असमर्थ रही हो, लेकिन नफ़रत फैलाने में अव्वल साबित हुई। दुःखद!"