गाँव-देहात के किसी चौपाल पर बैठिए, जहाँ पहले की सरकारों में चर्चा का विषय होता था- कितने करोड़ का घोटाला, कहाँ हत्या, लूटमार या जमीन-मकान पर कब्जा, कहाँ बलात्कार! वहीं योगी सरकार के कार्यकाल में जनता अब इन चौपालों पर चर्चा करती है - गाँव-गाँव बिजली, पानी और सड़क पहुँची, अपराधी प्रदेश छोड़कर भाग रहे और...
उत्तर प्रदेश में मुस्लिमों की जनसंख्या 20% के आसपास है। यानी लिबरलों व मीडिया के गिरोह विशेष के पास वहाँ के मुस्लिमों को भड़काने के ज्यादा मौके थे और इसके लिए पूरा प्रयास किया गया। लेकिन एक व्यक्ति, सिर्फ़ एक आदमी ने सभी साजिशों को ध्वस्त कर दिया।
उत्तर प्रदेश को पुराना गौरव वापस दिलाने के लिए हमारी सरकार कृति संकल्पित है। आदरणीय प्रधानमंत्री जी की प्रेरणा से शेष दो वर्ष में उत्तर प्रदेश प्रगति के नए आयाम लिखेगा।
"कोरोना वायरस के दुष्प्रभाव के चलते दिहाड़ी मजदूर भाई-बहनों को परिवार के भरण-पोषण में समस्या न हो, इस हेतु एक तय धनराशि मजदूर भाई-बहनों के बैंक खाते में प्रदान करने का निर्णय लिया है। इस संबंध में वित्तमंत्री की अध्यक्षता में गठित समिति 3 दिन में रिपोर्ट सौंपेगी।"
आज अगर हम 2016 से 2019 तक के ये घटते आँकड़े देखें। तो मालूम पड़ेगा कि योगी सरकार से पहले तक बच्चों का इस बीमारी से ग्रस्त होना एक रूटीन प्रक्रिया हो गई थी। लेकिन प्रशासन ने अपने प्रयासों से इस पर काबू पाया और लगातार बीमार होने वाले बच्चों की संख्या में गिरावट आई।
“तुम कागज नहीं दिखाओगे, और दंगा भी फैलाओगे, तो हम लाठी भी चलवाएँगे, घरबार भी बिकवाएँगे… और हाँ पोस्टर भी लगवाएँगे।” इसी ट्वीट को रिट्वीट करते हुए वकील अब्दुल हन्नान ने सीएम योगी को ‘आतंकवादी’ बता दिया।
'रावण' के झंडे का रंग भी नीला ही है जैसा कि बसपा का। चंद्रशेखर उसी दलित जाति 'जाटव' से संबंधित हैं जिससे मायावती, और उन्हीं की तरह वेस्ट यूपी ही जिसकी जन्मभूमि और कर्मभूमि रही है। चंद्रशेखर की जातीय पृष्ठभूमि और कार्य क्षेत्र को देखते हुए ही मायावती और उनकी बसपा ने भीम आर्मी चीफ को शुरू से एक प्रतिद्वंदी के तौर पर देखा।
मायावती ने रावण को बीजेपी का एजेंट करार देते हुए अपने समर्थकों को उससे दूर रहने को कहा था। बावजूद इसके उनकी पार्टी के कई पूर्व सांसद और विधायक नई पार्टी में शामिल हुए हैं।
ससुराल ले जाने के बहाने देवर मेराज ने नसरीन को बाइक पर बिठाया। घर न ले जाकर उसे अडगोड़वा के एक खेत में ले गया। वहॉं पहले से ही उसके दो अन्य साथी मौजूद थे। खेत में तीनों ने नसरीन के हाथ-पैर बॉंध सिर कलम कर दिया। इसके बाद सिर सरयू नदी में फेंक दिया।
इन पर पुलिस चौकी और वाहनों को फूॅंकने तथा सरकारी कार्यालयों में लूटपाट का आरोप है। साथ ही ‘हत्या के इरादे से’ पुलिस पर गोलीबारी के भी ये आरोपित हैं। इनमें से कई जेल में हैं। जो जमानत पर बाहर हैं उन्हें फिर से दबोचा जाएगा।