जो आंबेडकर, जगजीवन राम, सीताराम केसरी के साथ हुआ वही 2014 में नरेंद्र रावत के साथ हुआ था। अब फूल सिंह बरैया के साथ हुआ है। समय बदला पर कॉन्ग्रेस का दलितों के साथ व्यवहार नहीं।
इस अप्रकाशित पुस्तक में यह भी खुलासा किया गया है कि जामवंत ने हनुमान को नहीं बल्कि जवाहरलाल नेहरू को उनका बल याद दिलाया था, इसके बाद ही वो स्वतंत्रता संग्राम में कूदे थे। साथ ही बताया गया था कि रावण ने मारीच नहीं बल्कि दिग्विजय सिंह को स्वर्ण मृग बनाकर सीता माता के पास भेजा था।
कमलनाथ सरकार पर मौजूदा संकट की बड़ी वजह माने जा रहे दिग्विजय सिंह ने बागी विधायकों से मुलाकात को लेकर हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। हाई कोर्ट ने ऐसा कोई आदेश जारी करने से इनकार करते हुए उनकी याचिका खारिज कर दी।
इतिहास का यह पन्ना सन् 57 से भी पुराना है। तब सम्पूर्ण भारतवर्ष में मराठा शासन का प्रभाव चरम पर था। मुगलों से अपने तलवे चटवाने वाला एक सिंधिया भी था। पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह के पूर्वजों की बगावत को कुचलने वाला भी सिंधिया ही था।
कमलनाथ सरकार का संकट गहराता ही जा रहा है। कॉन्ग्रेस ने जिन विधायकों को छुड़ाकर लाने का दावा किया है वे ही बंधक बनाए जाने की खबरों को नकार रहे हैं। साथ ही कह रहे हैं कि यह कॉन्ग्रेस की अंदरूनी लड़ाई है।
विवादित नेता दिग्विजय सिंह ने कहा कि आज कुछ लोग महात्मा गाँधी के हत्यारों को राष्ट्रभक्त कह रहे हैं। उन्होंने कहा कि हिन्दू मुस्लिम एकता के लिए गाँधी ने बहुत कुछ किया है लेकिन आज गाँधी को हिन्दू विरोधी साबित करने की कोशिश ही रही है।
भगवा आतंकवाद की थ्योरी गढ़ने वाले दिग्विजय सिंह विवादित टिप्पणियों को लेकर खासे मशहूर रहे हैं। पिछले दिनों उन्होंने कहा था कि भाजपा के लोग आईएसआई के लिए जासूसी करते हैं। उन्होंने भगवा पहनकर बलात्कार किए जाने की बात भी कही थी।
"मोदी-शाह कहते हैं कि उन पर विश्वास करो। अमित शाह हिंदुस्तान के मुस्लिमों को कहते हैं कि उन पर विश्वास करो। यदि गोधरा कांड, सोहराबुद्दीन कांड, असम की एनआरसी सूची और उनके मुसलमानों के खिलाफ बयान देखें तो क्या वे बयान और मोदी शाह के कदम मुसलमानों में विश्वास पैदा करते हैं?"