स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने यह भी बताया कि बीते दो दिनों में ही अब तक तबलीगी जमात के सदस्यों की वजह से 647 कोरोना संक्रमित मरीज सामने आ चुके हैं जो देश के 14 राज्यों में फैले हुए हैं। इसके अलावा पिछले 24 घंटों में कोरोना संक्रमण के कारण हुई 12 मौतों में से भी कई तबलीगी जमात से जुड़े हुए हैं।
इससे पहले भी आरएसएस के स्वयंसेवक सिर पर काली टोपी और खाकी हाफ नेकर पहने हाथ में सेनेटाइजर लेकर लोगों के हाथ साफ कराने में लगे हुए थे। वहीं दूसरी दूसरी तस्वीर में स्वयंसेवक हाथ में लाउडस्पीकर लिए लोगों को कोरोना से बचाव के उपाय बता रहे थे। साथ ही लोगों को घरों से न निकलने की अपील कर रहे थे। इतना ही नहीं स्वयंसेवक घर-घर जाकर लोगों को मास्क भी बाँटे।
बुजुर्ग की मौत सोमवार को ही मरकज के पास वाली गली में हो गई थी। अब उसकी जाँच रिपोर्ट सामने आई है, जिसमें मृतक के कोरोना पॉजिटिव होने की पुष्टि हुई और साथ ही कहा गया कि उसकी मौत इसी जानलेवा वायरस की वजह से हुई। इस दुकानदार की मौत इसलिए ज्यादा अहम है क्योंकि इसी दुकान से जमात के कई लोग सामान खरीदते थे।
संक्रमित लोगों का आँकड़ा पिछले 3 दिनों में तेजी से बढ़ा है। संक्रमित लोगों में 295 वह हैं, जो पिछले महीने दिल्ली के निजामुद्दीन के तबलीगी जमात में शामिल हुए थे। मंगलवार से लेकर अब तक 485 संक्रमित मामलों में 60% वह लोग हैं, जो तबलीगी जमात का हिस्सा रहे थे।
ये लोग सुबह से किसी की नहीं सुन रहे थे और खाने की चीजों की अनुचित माँग कर रहे थे। उन्होंने क्वारंटाइन सेंटर में कर्मचारियों के साथ दुर्व्यवहार किया। यही नहीं, उन्होंने वहाँ पर मौजूद डॉक्टरों समेत अन्य काम करने वाले सभी लोगों पर थूकने लगे।
देश में घोषित किए गए लॉकडाउन के बीच 28 मार्च से उत्तरी दिल्ली के मजनू-का-टीला गुरुद्वारा में फँसे सिखों को दिल्ली सरकार ने नेहरू विहार के एक स्कूल में शिफ्ट करने का फैसला किया है। साथ ही सरकार ने फैसला लिया है कि सभी लोगों को क्वारंटाईन करके जाँच के लिए उनके सैंपल लिए जाएँगे।
इससे पहले एक मामला दिलशाद गार्डन स्थित दिल्ली स्टेट कैंसर हॉस्पिटल से भी सामने आया था, जहाँ से एक कैंसर विशेषज्ञ डॉक्टर को कोराना पॉजिटिव पाया गया था। हालाँकि, संक्रमित डॉक्टर की कोई ट्रैवल हिस्ट्री भी नहीं मिली थी।
"चाहे वह सफाई कर्मचारी हो, डॉक्टर हो या फिर नर्स, कोरोना के खिलाफ जंग में अगर उनकी जान चली जाती है तो उनका सम्मान करते हुए उनके परिवार को 1 करोड़ रुपए दिए जाएँगे। चाहे वे प्राइवेट हॉस्पिटल के हों या सरकारी इससे फर्क नहीं पड़ेगा।"
पुलिस ने मौलाना साद, डॉ जीशान, मुफ्ती शहजाद, मोहम्मद सैफी युनूस और मो सलमान के ख़िलाफ़ एफआईआर दर्ज की। पुलिस ने बताया कि संख्या ज्यादा होने के कारण जगह को खाली कराने में 5 दिन लगे। वहीं ये भी मालूम हुआ कि 28 मार्च को पुलिस द्वारा नोटिस मिलने के बाद से इस कार्यक्रम को आयोजित करने वालों में से एक मोहम्मद साद फरार है। पुलिस इनकी तलाश में जुटी है।
"दिल्ली व पंजाब के दोनों मुख्यमंत्रियों से हाथ जोड़ कर आग्रह है कि मजनू का टीला में फँसे लोगों को निकालें। इनमें से कई लोगों को सर्दी-बुखार भी है और कई खाँस भी रहे हैं। इन सबकी मेडिकल जाँच करानी ज़रूरी है।"