Saturday, September 28, 2024

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नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री ने ‘The Print’ की लगाई लंका

एक लाइन के ई-मेल में, डेटन ने लिखा है कि उनका इस मामले या किसी अन्य मामले के सम्बन्ध में कॉन्ग्रेस से कोई संपर्क नहीं है।

मीडिया ने प्रियंका गाँधी को बनाया तैमूर

जब तैमूर हाथ हिलाकर अभिवादन करना सीख ही रहा था कि मीडिया राम मंदिर, कन्हैया, बजट, सीबीआई और ममता जैसे बेकार के मुद्दों पर ध्यान लगाने लगी।

पत्रकारिता के समुदाय विशेष के लोगो! मोदी के वीडियो से जलता है बदन क्या?

अगर वहाँ एक भी व्यक्ति था, चाहे वो कश्मीर का हो, या कहीं बाहर का, उसे देखकर मोदी ने अभिवादन किया तो इन पत्रकारों की देह में आग क्यों लग रही है?

‘द प्रिंट’ का नया फ़र्ज़ीवाड़ा: ऐसी कोई ‘IB रिपोर्ट’ मौजूद नहीं है, जो संस्थानों के मोदी-विरोधी होने की बात करती हो

EEC का गठन मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा संस्थानों का चयन करने के लिए किया गया है। आज (जनवरी 29, 2019) समिति ने सुझाव दिया कि 20 के वर्तमान प्रस्ताव से बढ़ाकर IoE की संख्या 30 की जानी चाहिए।

प्रतीक सिन्हा की घटिया करतूत और इस्लामी कट्टरपंथियों की धमकी के पीड़ित नवयुवक का ट्विटर अकाउंट सस्पैंड

जिस पीड़ित पर हिंसक हत्या से लेकर परिवार को भद्दी गालियाँ देते हुए कई ट्विटर अकाउंट साफ़ दिख रहे हैं, उसी को ट्विटर ने सस्पैंड कर दिया है। ट्विटर की कार्यप्रणाली लोगों की समझ से बाहर है!

उत्तेजित मीडिया मोशाय, शांत हो जाइए; प्रियंका कभी अपने ही गढ़ में फेल हो चुकी हैं

2012 में 15 दिनों से भी ज्यादा दिन के गहन प्रचार-प्रसार के बाद प्रियंका ने अकेले अपने दम पर अमेठी-रायबरेली में कॉन्ग्रेस के सीटों की संख्या 7 से 2 पहुँचा दी थी।

इम्तियाज़ और अब्दुल ने कॉन्स्टेबल प्रकाश को पिकअप ट्रक चढ़ाकर मार दिया, कहीं ख़बर पढ़ी?

अब आप इसी हत्या की कहानी के नाम बदल दीजिए, प्रकाश को ट्रक पर बिठा दीजिए, फ़ैयाज़ और क़ुरैशी को पुलिस बना दीजिए। तब ये घटना, भले ही इसमें घृणा का एंगल न हो, साम्प्रदायिक हो जाएगी।

मैं तो बस एक झूठ लेकर चला था, ‘वायर’ जुड़ते गए, और ‘कारवाँ’ बनता गया…

कारवाँ एक ऐसा मैगजीन है जिसके बारे में आप तभी सुनते हैं जब रवीश कुमार फ़ेसबुक पर लेख लिखकर जताते हैं कि उस शाम के प्राइम टाइम में क्या कवर किया जाएगा।

नक़ाबपोश एक्सपर्ट के समर्थकों, तुम्हारे कपड़ों का ही नक़ाब उसने पहना है!

आख़िर सवाल यह है कि क्यों करा ली जाए जाँच? क्या लगातार हो रहे चुनावों में अलग-अलग पार्टियों की जीत इस सवाल का स्वतः जवाब नहीं दे देती?

विवेक डोभाल ने दायर किया कारवाँ पत्रिका और जयराम रमेश के ख़िलाफ़ मानहानि का केस

विवेक डोभाल ने यह कहते हुए मानहानि का मुकदमा दायर किया है कि सभी आरोप झूठे हैं और उनका व्यवसाय वैध है, न कि ब्लैकमनी से जुड़ा हुआ।

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