Monday, November 18, 2024
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‘समन का जवाब देना है तो हमारी अनुमति लो’: ED-CBI के लिए झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार का फरमान, अपने अधिकारियों को बचाने के लिए खेला दाँव

ED के सात समन का जवाब ना देने वाले झारखंड के मुख्यमंत्री ने राज्य के अधिकारियों को जाँच से बचाने के लिए नई जुगत भिड़ाई है। हेमंत सोरेन के मंत्रिमंडल ने एक कैबिनेट बैठक में निर्णय लिया है कि राज्य के अधिकारियों को बाहर से आने वाले समन का जवाब देने से पहले झारखंड सरकार की अनुमति लेनी होगी।

प्रवर्तन निदेशालय (ED) के सात समन का जवाब नहीं देने वाले झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने राज्य के अधिकारियों को जाँच से बचाने के लिए नई जुगत भिड़ाई है। हेमंत सोरेन के मंत्रिमंडल ने एक कैबिनेट बैठक में निर्णय लिया है कि राज्य के अधिकारियों को बाहर से आने वाले समन का जवाब देने के लिए झारखंड सरकार की अनुमति लेनी होगी।

इसके पीछे झारखंड सरकार ने तर्क दिया है कि बाहरी एजेंसियों (ED, CBI) के समन अधिकारियों को सीधे भेजे जाते हैं, जिससे सरकार का काम प्रभावित होता है। झारखंड सरकार का कहना है कि अधिकारियों को सीधे जाँच एजेंसियों के समन आने से भ्रम की स्थिति भी उत्पन्न होती है।

एजेंसियों से बचने के लिए हेमंत सरकार ने यह भी तर्क दिया है कि कभी कभार एजेंसियाँ, जो कागज माँगती हैं वह अपूर्ण होते हैं। इससे जाँच एजेंसियों को भी परेशानी होती है। इस सम्बन्ध में पहले से कोई नियम नहीं है। इसलिए अब यह नियम लाया गया है। अब कानूनी सलाह लेकर इसका जवाब दाखिल किया जाएगा।

इस निर्णय के अनुसार, जब भी राज्य के किसी भी अधिकारी को किसी बाहरी जाँच एजेंसी पेश होने के लिए समन करेगी तो उसे इसका जवाब सीधे ना देकर अपने विभागाध्यक्ष को बताना होगा। इसके बाद विभागाध्यक्ष इस जानकारी को आगे कैबिनेट सचिवालय को देगा। कैबिनेट सचिवालय इस पूरी प्रक्रिया के लिए नोडल एजेंसी बनाया गया है।

कैबिनेट सचिवालय अधिकारी को भेजे गए समन पर कानूनी सलाह लेगा और आगे की कार्यवाही का संचालन करेगा। इसमें अधिकारी को पेश होने की अनुमति देने से लेकर एजेंसी को कौन-कौन से दस्तावेज देने होंगे, इस सम्बन्ध में निर्णय लेगा। सरकार का कहना है कि इससे उसके काम में भी बाधा नहीं पड़ेगी और साथ ही एजेंसियों को भी जाँच करने में आसानी होगी।

हालाँकि, झारखंड सरकार कुछ भी कहे लेकिन इसे दूसरे तरीके से देखा जा रहा है। बीते कुछ समय में झारखंड के कुछ अधिकारियों पर केन्द्रीय जाँच एजेंसियों ने अपना शिकंजा कसा है। साल 2022 में झारखंड में वरिष्ठ आईएएस अधिकारी पूजा सिंघल और साल 2023 में आईएएस अधिकारी छवि रंजन को गिरफ्तार किया गया था।

कई बार ऐसा भी होता है कि एक अधिकारी की गिरफ्तारी से बड़ा घोटाला खुलता है, जिसमें कई राजनीतिक चेहरे भी शामिल पाए जाते हैं। अब झारखंड सरकार ने नए नियम निकाल कर जाँच एजेंसियों से अधिकारियों को बचाने का इंतजाम किया है।

गौरतलब है कि ED ने झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को अब तक 7 बार पूछताछ के लिए समन भेजा है। हालाँकि, वह एक बार भी जांच एजेंसी के सामने पेश नहीं हुए हैं। उनको एक जमीन की खरीद फरोख्त के बारे में पूछताछ करने के लिए बुलाया जा रहा है। बीते कुछ दिनों में उनके अपनी कुर्सी खाली करके पत्नी कल्पना सोरेन को मुख्यमंत्री बनाने को लेकर चर्चाएँ भी तेज हुई हैं।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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