Monday, November 25, 2024
Homeराजनीतिराहुल गाँधी की देश-तोड़ू जाति-राजनीति पर कॉन्ग्रेस में ही विरोध, सीनियर नेता ने इंदिरा...

राहुल गाँधी की देश-तोड़ू जाति-राजनीति पर कॉन्ग्रेस में ही विरोध, सीनियर नेता ने इंदिरा को याद कर लिखा – ‘न जात पर, न पात पर…’

आनंद शर्मा ने पत्र में लिखा है कि राहुल गाँधी जिस जातिगत जनगणना के मुद्दे को जोरशोर से उठा रहे हैं और कॉन्ग्रेस पार्टी ने चुनाव में जीत के बाद जिस जातिगत जनगणना को कराने की बात कही है, वो कॉन्ग्रेस के ऐतिहासिक रुख से ठीक उलट है। इस नीति पर चलते से कॉन्ग्रेस को नुकसान ही होगा, क्योंकि विपक्षी भी उसे खूब निशाना बनाएँगे।

पूर्व केंद्रीय मंत्री और कॉन्ग्रेस की वर्किंग कमेटी के सदस्य, दिग्गज नेता आनंद शर्मा ने राहुल गाँधी पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने राहुल गाँधी की चुनाव केंद्रिय नीतियों पर सवाल उठाते हुए उसे इंदिरा गाँधी और राजीव गाँधी का अपमान करार दिया है, खासकर जातिगत जनगणना के मुद्दे पर। उन्होंने कॉन्ग्रेस पार्टी द्वारा घोषित जातिगत जनगणना को लेकर राहुल गाँधी पर हमला किया और बताया कि जातिगत जनगणना के मुद्दे पर जाने का मतलब है कि कॉन्ग्रेस अब अपने ऐतिहासिक रुख से पलट रही है, जो इंदिरा गाँधी और राजीव गाँधी की लीगेसी का अपमान भी है।

कॉन्ग्रेस के विद्रोही जी-23 टीम के सदस्य और वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने इंदिरा गाँधी और राजीव गाँधी के लोकप्रिय चुनावी नारों का भी हवाला दिया है। उन्होंने मंगलवार (19 मार्च 2024) को कॉन्ग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को एक पत्र लिखा है, जिसमें राहुल गाँधी द्वारा कॉन्ग्रेस पार्टी की ऐतिहासिक नीतियों का विरोध किया गया है। उन्होंने अपने पत्र में इंदिरा गाँधी और राजीव गाँधी के चुनावी नारे ‘न जात पर, न पात पर… मोहर लगेगी हाथ पर’ का जिक्र किया। बता दें कि इस नारे को सबसे पहले इंदिरा गाँधी ने साल 1980 में दिया था और ये नारा कुछ समय पहले तक इस्तेमाल भी होता रहा है, खासकर उन हिंदी भाषी राज्यों में, जहाँ जाति आधारित राजनीतिक पार्टियाँ सक्रिय हैं।

आनंद शर्मा ने पत्र में लिखा है कि राहुल गाँधी जिस जातिगत जनगणना के मुद्दे को जोरशोर से उठा रहे हैं और कॉन्ग्रेस पार्टी ने चुनाव में जीत के बाद जिस जातिगत जनगणना को कराने की बात कही है, वो कॉन्ग्रेस के ऐतिहासिक रुख से ठीक उलट है। इस नीति पर चलते से कॉन्ग्रेस को नुकसान ही होगा, क्योंकि विपक्षी भी उसे खूब निशाना बनाएँगे।

कॉन्ग्रेस नेता आनंद शर्मा का ये पत्र ऐसे समय पर सामने आया है, जब लोकसभा चुनाव में पार्टी उतर चुकी है। ये पत्र कॉन्ग्रेस के चुनाव प्रचार के लिए बेहद घातक सिद्ध हो सकता है, क्योंकि एक तरफ वो जातिगत जनगणना को मुद्दा बनाने की कोशिश कर रही है, तो दूसरी तरफ आनंद शर्मा ने इंदिरा गाँधी और राजीव गाँधी का नाम लेकर और कॉन्ग्रेस के सियासी इतिहास को सामने रखकर कॉग्रेस के दावों की हवा निकाल दी है।

आनंद शर्मा जी-23 नेताओं में से एक हैं। उन नेताओं ने साल 2021 में तत्कालीन कॉन्ग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी को तीखा पत्र लिखा था और पार्टी की संरचना और कार्यप्रणाली में बदलाव लाने की बात कही थी। इन नेताओं में कई नेता पार्टी छोड़ गए हैं, तो कईयों को हाशिये पर ढकेल दिया गया है। इस पत्र में भी कॉन्ग्रेस वर्किंग कमेटी में शामिल आनंद शर्मा ने पार्टी में समन्वय की कमी का मामला उठाया है। उन्होंने कहा है कि जिला और प्रदेश कॉन्ग्रेस कमेटियों की कोई पूछ नहीं है।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

60% मुस्लिम, कॉन्ग्रेस के हुसैन परिवार का दबदबा… कुंदरकी जैसी ही है सामागुरी में BJP की जीत भी: असम-मेघालय में NDA का क्लीन स्वीप

असम की सामागुरी सीट पर बीजेपी को मिली जीत खास चर्चा का विषय रही। यह सीट मुस्लिम बहुल क्षेत्र में आती है और इसे कॉन्ग्रेस का गढ़ माना जाता था।

दिल पर पत्थर रखो या पहाड़ आरफा बीबी, पर सच तो यही है कि मंदिरों पर गढ़ी गई हैं मस्जिदें, तुम्हारे पुरखे भी हैं...

संभल हिंसा मामले को नया मोड़ देने के लिए आरफा खानुम शेरवानी ने पत्थरबाजी करने वाली भीड़ की करतूत को जायज दिखाते हुए कोर्ट पर सवाल खड़े किए हैं।
- विज्ञापन -