Friday, November 22, 2024
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जब एक पादरी के इशारे पर 900 लोगों ने मौत को लगाया गले… कहानी जोंसटाउन वाले जिम जोंस की: सांसद तक की गोली मार हत्या, कहता था – दुनिया की हर लड़की लेस्बियन

वो सपने देखता था कि प्रलय की स्थिति में वो सभी नस्ल के लोगों को एक साथ बचाएगा। फिर वो अपने परिवार और 70 अनुयायियों के साथ उत्तरी कैलिफोर्निया के रेडवुड वैली चला गया। इसके बाद उसका साम्राज्य 1970 का मध्य आते-आते सैन फ्रांसिस्को और लॉस एंजेल्स में फैल गया।

अमेरिका के न्यूयॉर्क स्थित ‘वर्ल्ड ट्रेड सेंटर’ (WTC) पर 11 सितंबर, 2001 को घातक हवाई हमला किया गया, जिसमें वहाँ मौजूद 2977 लोगों की मौत हो गई। अलकायदा के 17 हमलावर आतंकी भी इस हमले में मारे गए थे। ये अमेरिका में अब तक की सबसे बड़ी अप्राकृतिक त्रासदी है मौतों के हिसाब से। आपको जान कर आश्चर्य होगा कि इससे पहले 23 वर्षों तक अमेरिका में सबसे अधिक हताहतों वाली जो अप्राकृतिक घटना थी, उसे किसी आतंकी ने अंजाम नहीं दिया था, बल्कि एक पादरी के कारण हुआ था, एक ईसाई कल्ट के कारण।

ये सारा मामला साइन फ्रांसिस्को स्थित एक समूह ‘Peoples Temple’ से जुड़ा हुआ है। तब 900 लोगों ने अपने मजहबी नेता के कहने पर ज़हर पी लिया था और मौत को गले लगा लिया था। उस ईसाई पादरी का नाम था जिम जोन्स। दक्षिण अमेरिका के एक जंगल में स्थित एक जगह पर ये घटना हुई थी। इस घटना की विचलित करने वाली तस्वीरें भी ली गई थीं, जिसमें बच्चों तक को घास में मृत पड़े हुए देखा गया। इस घटना पर कई किताब लिखी जा चुकी हैं, दस्तावेज बने हैं, लेख लिखे गए हैं।

जोंसटाउन की ये कहानी जोंस से शुरू होती है, जो कि एक श्वेत मंत्री था। उसने अमेरिकी-अफ़्रीकी बहुलता वाली सभा में रूढ़ि-विरुद्ध और प्रगतिशील विचारों को फैलाया। 1970 के दशक में जब ‘पीपल्स टेम्पल’ अपनी लोकप्रियता के शिखर पर था तब इसके अनुयायियों की संख्या हजारों में थी। अमेरिका में किसी भी सार्वजनिक पद पर बैठने वाले पहले समलैंगिक शख्स हार्वे मिल्क सहित कई नेताओं का इसे संरक्षण प्राप्त था। हार्वे मिल्क ‘सैन फ्रांसिस्को बोर्ड ऑफ सुपरवाइजर्स’ के सदस्य थे।

1977 आते-आते जोंस और उसके ‘पीपल्स टेम्पल’ की संदिग्ध गतिविधियों की मीडिया में जम कर चर्चा शुरू हो गई थी, इसीलिए उन्होंने गुयाना में एक खेती-बाड़ी वाली जगह पर अपनी पूरी व्यवस्था को स्थानांतरित कर दिया, वहीं निर्माण कार्य कराए गए। मीडिया स्क्रूटनी से बचने के लिए ये सब किया गया। घने जंगलों के लिए जाना जाने वाला गुयाना दक्षिण अमेरिका के उत्तरी अटलांटिक महासागर के तट पर स्थित है जो वेनेजुएला के पूर्व में है।

जंगल में ही छावनी बना दी गई। इसके बाद अमेरिका के कैलिफोर्निया से ‘हाउस ऑफ रिप्रजेनटेटिव्स’ के तत्कालीन सदस्य लियो रेयान जंगल की उस छावनी में रह रहे लोगों की सुरक्षा व्यवस्था को चिंतित होने के बाद वहाँ जाँच के लिए पहुँचे। नवंबर 1978 में उन्हें वहीं ‘पेओप्लेस टेम्पल’ के सुरक्षाकर्मियों ने एयरस्ट्रिप पर गोली मार दी। उनके साथ-साथ 4 अन्य लोगों की भी हत्या कर दी गई थी। इस घटना के कुछ दिन बाद उक्त पादरी ने अपने अनुयायियों को सायनाइड पीने के लिए कहा।

इसमें सबसे पहले बच्चों को ज़हर पिलाया गया। जोंसटाउन में इसके बाद 900 लाशें बिछ गईं। खुद जिम जोंस भी मारा गया। बताया गया कि उसने या तो खुद अपना जीवन ले लिया होगा या फिर उसकी नर्स एन्नी मूरे ने आत्महत्या से पहले गोली मार कर उसकी हत्या कर दी। दशकों बाद भी उस समय के लोग इस घटना को याद करते हैं। ये ऐसे लोग थे जिन्होंने उस चर्च/संस्था को अपना पूरा जीवन दे दिया था। ‘पीपल्स टेम्पल’ का अपना एक अख़बार भी था।

कुछ लोगों ने कहा कि वो सब सही चीजें कर रहे थे, लेकिन गलत जगह पर और गलत नेता के साथ। जिम जोंस सामाजिक और नस्लीय एकता की बातें करता था, ऐसे में लोगों को आश्चर्य हुआ कि वो अचानक से इतना दुष्ट कैसे हो गया। जोंस के बारे में बताया गया कि वो लोगों को नियंत्रण में रखना चाहता था, धोखाधड़ी करता था, जो लोग उसे धोखा देते थे उनसे आक्रोशित रहता था। वो बचपन में इंडियाना में अकेला रहा था। सामान्यतः वो उस समय अपने दोस्तों को अपना दर्शक बना कर रखता था, एक बार उसने सबको बंद कर दिया था।

वो जानवरों के साथ भी एक्सपेरिमेंट्स करता था और उनका अंतिम संस्कार आयोजित करता था। उसके बचपन के दोस्त बताते हैं कि वो मजहब और मौत को लेकर आसक्त था। उसने एक बार एक बिल्ली को चाकू से मार डाला था। अप्रैल 1945 में जब जर्मनी के नाज़ी तानाशाह अडोल्फ हिटलर ने विरोधी सेना से बचने के लिए आत्महत्या की, तो इस घटना से जिम जोंस कभी प्रभावित हुआ था। 1955 में उसने इंडियानापॉलिस में ‘पीपल्स टेम्पल’ की स्थापना की।

उस समय अमेरिका में नस्लवाद का प्रभाव था, ऐसे में ‘Peoples Temple’ नामक चर्च ने बिना नस्ल देखे सदस्यता देनी शुरू की और यही इसकी लोकप्रियता का कारण बना। 1960 के दशक की शुरुआत में जिम जोंस के संज्ञान में एक लेख आया जिसमें दुनिया की 9 ऐसी सुरक्षित जगहों के बारे में बताया गया था जो परमाणु हमले की स्थिति में भी सुरक्षित रहेंगे। ‘Esquire’ नाम पत्रिका के इस लेख में ऐसी एक जगह कैलिफोर्निया के यूरेका का भी जिक्र था।

जिम जोंस ने अपने अनुयायियों को कैलिफोर्निया में शिफ्ट होने के लिए कहा और 15 जुलाई, 1967 को परमाणु हमला होने की आशंका जताई। क़यामत को लेकर जिम जोंस के जो विचार थे, वो चाहता था कि सब इसे मानें। वो सपने देखता था कि प्रलय की स्थिति में वो सभी नस्ल के लोगों को एक साथ बचाएगा। फिर वो अपने परिवार और 70 अनुयायियों के साथ उत्तरी कैलिफोर्निया के रेडवुड वैली चला गया। इसके बाद उसका साम्राज्य 1970 का मध्य आते-आते सैन फ्रांसिस्को और लॉस एंजेल्स में फैल गया।

‘पीपल्स टेम्पल’ के लोग सिर्फ एक आदमी की बात मानते थे और वो था जिम जोंस। इसमें सभी नस्ल के लोग थे जो चर्च की विविधता और एक्टिविज्म वाली विचारधारा से प्रभावित थे। कुछ लोगों को ड्रग्स और अपराध की दुनिया से वापस मुख्यधारा में लाया गया था। कइयों को परोपकारी कार्य से जोड़ा गया। चर्च से जुड़े सभी लोग एक परिवार की तरह महसूस करते थे। जिम जोंस अपने साम्राज्य के विस्तार के लिए विवादित अश्वेत इंजीलवादी पादरी फादर डिवाइन से भी मिलता-जुलता था, जो ‘पीस मिशन मूवमेंट’ का संस्थापक था।

1880 के दशक में जन्मे फादर डिवाइन ने 1910 के दशक में अपना मजहबी अभियान शुरू किया था और लोग उसे गॉड के रूप में देखने लगे थे। उसे सार्वजनिक उपद्रव के लिए जेल की सज़ा भी सुनाई गई थी, लेकिन ऐसा करने वाला जज ही अचानक से मर गया। वो पेंसिलवानिया के एक एस्टेट में अपनी बीवी मदर डिवाइन के साथ रहता था। वो भी नस्लीय भेदभाव में यकीन नहीं रखता था। 1965 में उसकी मौत के बाद जिम जोंस ने उसकी संस्था पर कब्ज़ा करने की असफल कोशिश भी की।

हालाँकि, थोड़े-बहुत अनुयायियों को वहाँ से अपने साथ ले गया था। दिसंबर 1973 में जिम जोंस को लॉस एंजेल्स के एक फिल्म थिएटर में अशिष्ट आचरण के लिए गिरफ्तार किया गया था। जोंसटाउन में अपने अंतिम दिनों में वो फार्मास्युटिकल ड्रग्स के प्रति भी आसक्त हो गया था। वो शादीशुदा था, उसने अलग-अलग नस्लों के बच्चों को गोद लिया था। इसके बावजूद उसके कुछ महिला और पुरुष अनुयायियों के साथ उसके यौन संबंध थे।

जिम जोंस दुनिया की सभी महिलाओं को लेस्बियन (पुरुष के साथ-साथ महिलाओं के प्रति भी यौन आकर्षण रखने वाली) बताता था और कहता था कि वो दुनिया का एकमात्र Heterosexual (विपरीत लोग के प्रति आकर्षण) शख्स है। साथ ही वो सभी पुरुषों को समलैंगिक बताता था। वो ‘पीपल्स टेम्पल’ में रोमांटिक रिश्तों को पसंद नहीं करता था क्योंकि उसे लगता था कि ये उद्देश्य में बाधक है। जिम जोंस ने एक पालतू चिम्पांजी भी रखा था जिसका नाम ‘मिस्टर मग्स’ था, वो दावा करता था कि उसे वैज्ञानिक परीक्षण से बचा कर लाया गया है।

हालाँकि, अटकलें ये थीं कि उसने इसे किसी दुकान से खरीदा है। इंडियाना के अपने दिनों में जिम जोंस घर-घर जाकर बन्दर बेचा करता था। ‘मिस्टर मग्स’ एक तरह से ‘पीपल्स टेम्पल’ का मैस्कॉट बन गया था। ‘पीपल्स टेम्पल’ के अख़बार में बताया गया था कि 18 महीने की उम्र में ही उस चिम्पांजी की बच्ची 4 साल के बच्चे वाली थी, वो जिम जोंस की हर बात मानता था। जो 900 लोगों की मौत की त्रासदी जो हुई, उसकी शुरुआत 6 साल के एक बच्चे से हुई थी।

असल में ‘पील्स टेम्पल’ के अनुयायियों में पति-पत्नी टिम और ग्रेस भी शामिल थे। टीम चर्च का अटॉर्नी था, वहीं ग्रेस जिम के करीबी लोगों में शामिल थी। 1972 में उनके बेटे जॉन विक्टर स्टोएन का जन्म हुआ। जिम जोंस ने उसके पिता होने का दावा किया, इसकी सहमति जताते हुए टिम को एक एफिडेविट पर भी हस्ताक्षर करना पड़ा। ग्रेस ने 1976 में चर्च छोड़ दिया और बेटे को जिम जोंस के पास ही रहने दिया, क्योंकि उसे अपनी और टिम की जान का खतरा था।

इसके 1 साल बाद टिम ने भी चर्च को अलविदा कह दिया। दोनों ने फिर अमेरिकी कोर्ट का रुख किया, और अपने बेटे को वापस करने की माँग की। कोर्ट के आदेश के बावजूद जिम जोंस ने जॉन को सौंपने से इनकार कर दिया। असल में जोंस को डर था कि जॉन विक्टर स्टोएन को वापस किए जाने के बाद जोंसटाउन के जो अन्य लोग हैं, वो भी अपने परिजनों को वापस माँगने लगेंगे। साथ ही ‘पीपल्स टेम्पल’ के विरोधी भी इसे मुद्दा बना रहे थे, ऐसे में ये उसकी शक्तियों और पहुँच के कम होने का संकेत होगा।

‘Peoples Temple’ में 900 मृतकों में 304 ऐसे थे जिनकी उम्र 17 वर्ष से कम थी, उनमें एक जॉन विक्टर स्टोएन भी शामिल था। लियो रेयान नामक जिस नेता की हत्या हुई थी, उन्हें लेकर लोगों में सकारात्मक विचार थे। एक बार जेल के भीतर स्थितियों की जाँच के लिए वो फॉल्सम स्टेट परिजन में पहुँच गए थे। बेबी सील्स का शिकार रोकने के लिए वो कनाडा गए। शुरू में ‘पीपल्स टेम्पल’ का दौरा करने की उसकी माँग को नकार दिया गया था, लेकिन अंत में मान लिया गया।

इसके बाद वो कुछ संबंधियों और पत्रकारों के साथ जोंसटाउन का दौरा करने पहुँचे। वहाँ मौजूद कुछ लोगों ने उन्हें बताया कि वो वापस अपने घर लौटना चाहते हैं, जिम जोंस इसे ‘धोखा’ मानता था। वापस जाने के लिए जब ये लोग पोर्ट कैटूमा एयरस्ट्रिप पर प्लेन का इंतजार कर रहे थे, उसी दौरान चर्च के सुरक्षाकर्मी एक ट्रक में भर कर आए और उन्होंने गोलीबारी शुरू कर दी। रेयान व 4 अन्य लोगों की मौत हो गई। 1983 में रेयान को कॉन्ग्रेसनल गोल्ड मेडल मिला, वहीं 2009 में कैलिफोर्निया के सैन मातेओ में एक डाकघर का उनके नाम पर नामकरण किया गया।

इसके बाद जिम जोंस ने अपने सभी अनुयायियों को आदेश दिया कि वो आत्महत्या करें, वरना गुयाना की सेना आएगी और उनके बच्चों को ले जाएगी। कुछ लोग किसी तरह वहाँ से किसी न किसी बहाने बाहर निकलने में भी कामयाब रहे थे। एक बुजुर्ग महिला सोई थी, जब वो उठी तो उसे चारों तरफ लाशें ही दिखीं। कुछ लोग इसे मास मर्डर भी बताते हैं, वो कहते हैं धोखे से ड्रिंक लोगों को पिलाया गया। ईसाई कल्ट से जुड़ी ये घटना आज तक लोगों को दहलाती है।

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अनुपम कुमार सिंह
अनुपम कुमार सिंहhttp://anupamkrsin.wordpress.com
भारत की सनातन परंपरा के पुनर्जागरण के अभियान में 'गिलहरी योगदान' दे रहा एक छोटा सा सिपाही, जिसे भारतीय इतिहास, संस्कृति, राजनीति और सिनेमा की समझ है। पढ़ाई कम्प्यूटर साइंस से हुई, लेकिन यात्रा मीडिया की चल रही है। अपने लेखों के जरिए समसामयिक विषयों के विश्लेषण के साथ-साथ वो चीजें आपके समक्ष लाने का प्रयास करता हूँ, जिन पर मुख्यधारा की मीडिया का एक बड़ा वर्ग पर्दा डालने की कोशिश में लगा रहता है।

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