Friday, October 18, 2024
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आज भी फैसले की प्रतीक्षा में कन्हैयालाल का परिवार, नूपुर शर्मा पर भी खतरा; पर ‘सर तन से जुदा’ की नारेबाजी वाले हो गए बरी भी: व्यवस्था का यह ‘न्याय’ आपको कचोटता नहीं?

जिस गली में कन्हैयालाल की दुकान थी और जहाँ उनका घर है, वहाँ आज भी दहशत का माहौल है। हर तरफ एक भयानक खामोशी फैली हुई थी। उस गली से गुजरने की आज भी कोई हिम्मत नहीं जुटा पाता है। वहाँ के हालात आज भी सामान्य नहीं हो पाए हैं। अगर कन्हैयालाल के हत्यारों को सजा मिल भी जाए और उनकी अस्थियों को प्रवाहित कर भी दी जाए तो गलियों का डर दशकों तक कंपकंपी पैदा करती रहेगी।

इस्लाम के पैगंबर मोहम्मद पर भाजपा की नेता नूपुर शर्मा द्वारा दिए गए बयान को मुद्दा बनाकर देश को झुलसाने की कोशिश की जा रही थी। 17 जून 2022 का दिन था। नूपुर शर्मा के बयान के विरोध में राजस्थान के अजमेर में मुस्लिमों द्वारा मौन जुलूस निकाला जा रहा था। लगभग 3000 लोगों वाली जुलूस जब अजमेर शरीफ दरगाह के पास पहुँचा तो वहाँ मजमा लगा दिया गया।

रिक्शे पर लाउडस्पीकर लगाकर भड़काऊ भाषण दिया जाने लगा। इस्लाम और रसूल की निंदा को करने को मौत की सजा की बात कही जाने लगी। इस दौरान लाउडस्पीकर से ‘सिर तन से जुदा’ के नारे लगाए गए। भीड़ भी उन्माद में आकर ‘सर तन से जुदा’ के नारे लगाने लगी। इस पूरे जुलूस का नेतृत्व कर रहा था अजमेर दरगाह के खादिम गौहर चिश्ती।

चिश्ती ने मौन जुलूस के नाम पर परमिशन लिया था। प्रशासन ने उसे समझाया भी था कि जुलूस में किसी तरह की भड़काऊ बयानबाजी या नारे नहीं लगने चाहिए। हालाँकि, गौहर चिश्ती ने इस चेतावनी को अपने पैरों की जूती पर लिया। जुलूस में जमकर भड़काऊ नारे लगाए गए। इसका वीडियो भी वायरल हुआ था। राजस्थान पुलिस के कॉन्स्टेबल जयनारायण जाट ने भी अपनी रिपोर्ट में इसका जिक्र किया था।

इसको लेकर वायरल वीडियो में दरगाह के बाहर गौहर ने कहा था, “हम अपने हुजूर की शान में गुस्ताखी कतई बर्दाश्त नहीं करेंगे। गुस्ताख-ए-रसूल की एक सज़ा… सर तन से जुदा, सर तन से जुदा। अपने आका की इज्जत के लिए हम सर कटाने को तैयार हैं। नूपुर ने हमारे आका की शान में गुस्ताखी की है, इसलिए उसे जीने का हक नहीं है। नूपुर शर्मा मुर्दाबाद।”

इस मामले में पुलिस ने मामला दर्ज करके गौहर चिश्ती सहित 7 आरोपितों को गिरफ्तार कर लिया था। हालाँकि, स्थानीय कोर्ट ने मंगलवार (16 जुलाई 2024) को कोर्ट ने इन सभी आरोपितों को बरी कर दिया। वहीं, एक अन्य आरोपित फरार है। उसे जमानत पर रिहा किया या था, लेकिन वह फरार हो गया। उसको लेकर कोर्ट ने अभी कोई निर्णय नहीं दिया है।  

इस तरह के छोटी-छोटी रैलियाँ और जुलूस देश के अलग-अलग हिस्से में हो रहे थे और देश में माहौल को गर्म रखने की कोशिश जारी थी। समय गुजरता जा रहा था, लेकिन इसका असर दिखता रहा। दिन था 28 जून 2022 का। उदयपुर में कन्हैयालाल नाम का एक दर्जी की गला काटकर सार्वजनिक रूप से हत्या कर दी गई थी।

इस दौरान आरोपित मोहम्मद रियाज़ अंसारी और मोहम्मद गौस ने गला काटने का वीडियो भी बनाया था। कन्हैयालाल की गलती सिर्फ इतनी थी कि उन्होंने नूपुर शर्मा का समर्थन करते हुए अपने ह्वाट्सऐप स्टेटस पर एक पोस्ट लगा दिया। हालाँकि, यह पोस्ट कन्हैया लाल के लड़के ने लगाया था। इसके बावजूद रियाज और गौस ने कन्हैयालाल की गला काटकर हत्या कर दी।

कन्हैयालाल की हत्या के तार गौहर चिश्ती से जुड़े भी सामने आए थे। मीडिया रिपोर्ट में कहा गया था कि कन्हैयालाल की हत्या के बाद रियाज और गौस भागकर ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह के खादिम गौहर चिश्ती के पास अजमेर ही आ रहे थे। हालाँकि, शक्ति सिंह और प्रह्लाद सिंह नाम के दो युवकों ने इन दोनों आरोपितों को दौड़कर पकड़ लिया था और पुलिस के हवाले कर दिया था।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया था कि गौहर चिश्ती 17 जून 2022 को उदयपुर भी गया था। वहाँ उसने ‘सर कलम करने’ के नारे लगवाए थे। वहाँ उसकी मोहम्मद रियाज से मुलाकात की बात भी कही गई थी। बताया जा रहा है कि गौहर चिश्ती ने ही रियाज और गौस को कन्हैयालाल के कत्ल का वीडियो बनाने को भी कहा था। हालाँकि, रास्ते में ये दोनों पकड़े गए थे।

गौहर चिश्ती के इन कारनामों के दो साल बाद आखिरकार कोर्ट ने उसे सारे आरोपों से मुक्त कर दिया। इतना ही नहीं, गौहर चिश्ती के साथ ही उसके पाँच अन्य आरोपितों को भी रिहा कर दिया गया। इस मामले में अदालत के निर्णय का अभी पूरा निर्णय सामने नहीं आया है, लेकिन दोनों के पक्ष के वकीलों की बातों से साफ लगता है कि मामला साक्ष्य की कमजोरी का है।

आरोपितों की ओर से पेश कोर्ट में पेश वकील अजय वर्मा का कहना है कि भड़काऊ नारे वाले जो भी वीडियो सामने आए थे, उनका सत्यापन नहीं हो पाया है। पुलिस ने मौके का नक्शा नहीं बनाया और जो पुलिसकर्मी मौके पर मौजूद थे, वे भी अपनी मौजूदगी के दस्तावेज पेश नहीं कर पाए। वकील ने कहा कि कोर्ट ने इस संबंध में पर्याप्त साक्ष्य नहीं पाया और सभी आरोपितों को बरी कर दिया।

इससे साफ लगता है कि पुलिस ने इस मामले की पैरवी ढंग नहीं कर पाई। जो वीडियो वायरल हुआ, उसका सत्यापन नहीं करा पाना भी एक बड़ी नाकामी है। जिस पुलिसकर्मी जयनारायण जाट ने इस मामले में रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि वे घटना के दिन ड्यूटी निजाम गेट पर थी। इस बात को भी जाट एवं अन्य पुलिसकर्मी पेश नहीं कर पाए।

इस मामले में दो साल पूरा होते ही इन आरोपितों के मामले में फैसला हो गया और वे दोषमुक्त होकर बाहर आ गए। हालाँकि, सरकार इस फैसले को आगे हाई कोर्ट में चुनौती देती है तो वो अलग बात है। हालाँकि, कन्हैयालाल के परिजन आज भी न्याय की आस में बैठे हैं। कन्हैयालाल के बेटे ने ऐलान किया है कि जब तक उसके पिता को न्याय नहीं मिलता, तब तक वह नंगे पैर रहेगा।

इतना ही नहीं, मृत कन्हैयालाल की हत्या के दो साल बाद भी उनकी अस्थि कलश विसर्जन की बाट जोह रही है। उनके हत्यारों को सजा हो तो परिवार उनकी अस्थि को पवित्र नदियों के जल में प्रवाहित करे। हालाँकि, नजदीकी भविष्य में इसकी गुंजाइश कम दिखती है। उधर, मामला सामने आने के बाद अजमेर दरगाह पर लोगों की आवाजाही कम हो गई थी, लेकिन फिर से वहाँ चहल-पहल बढ़ गई है।

जिस गली में कन्हैयालाल की दुकान थी और जहाँ उनका घर है, वहाँ आज भी दहशत का माहौल है। हर तरफ एक भयानक खामोशी फैली हुई थी। उस गली से गुजरने की आज भी कोई हिम्मत नहीं जुटा पाता है। वहाँ के हालात आज भी सामान्य नहीं हो पाए हैं। अगर कन्हैयालाल के हत्यारों को सजा मिल भी जाए और उनकी अस्थियों को प्रवाहित कर भी दी जाए तो गलियों का डर दशकों तक कंपकंपी पैदा करती रहेगी।

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सुधीर गहलोत
सुधीर गहलोत
प्रकृति प्रेमी

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