Thursday, September 19, 2024
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अंडमान की राजधानी पोर्ट ब्लेयर अब कहलाएगा ‘श्री विजयपुरम’, मोदी सरकार ने बदला नाम: चोल साम्राज्य का इस जगह से रहा है गहरा नाता

इससे पहले साल 2018 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब अंडमान निकोबार के दौरे पर गए थे तो उन्होंने यहाँ के तीन द्वीपों के नाम बदलने की घोषणा की थी। उन्होंने हैवलॉक द्वीप का नाम स्वराज द्वीप, नील द्वीप को इसी नाम से और रॉस द्वीप का नाम बदलकर नेताजी सुभाष चंद्र द्वीप कर दिया था।

केंद्र की नरेंद्र मोदी की सरकार ने अंडमान निकोबार द्वीप समूह की राजधानी पोर्ट ब्लेयर का नाम बदलकर ‘श्री विजयपुरम’ कर दिया है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार (13 सितंबर 2024) को इसकी जानकारी दी। पोर्ट ब्लेयर का चोल साम्राज्य से गहरा नाता रहा है। इसके साथ ही यह वीर सावरकर सहित कई स्वतंत्रता सेनाओं से जुड़ा है।

नाम बदलने की जानकारी देते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोशल मीडिया साइट X (पूर्व में ट्विटर) पर कहा कि देश को गुलामी के सभी प्रतीकों से मुक्ति दिलाने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संकल्प से प्रेरित होकर आज गृह मंत्रालय ने पोर्ट ब्लेयर का नाम ‘श्री विजयपुरम’ करने का निर्णय लिया है।

केंद्रीय गृह मंत्री ने आगे लिखा, “श्री विजयपुरम नाम हमारे स्वाधीनता के संघर्ष और इसमें अंडमान और निकोबार के योगदान को दर्शाता है। इस द्वीप का हमारे देश की स्वाधीनता और इतिहास में अद्वितीय स्थान रहा है। चोल साम्राज्य में नौसेना अड्डे की भूमिका निभाने वाला यह द्वीप आज देश की सुरक्षा और विकास को गति देने के लिए तैयार है।”

अपनी पोस्ट में अमित शाह ने सुभाषचंद्र बोस और विनायक दामोदर सावरकर को भी याद किया। उन्होंने आगे कहा, “यह द्वीप नेताजी सुभाष चंद्र बोस जी द्वारा सबसे पहले तिरंगा फहराने से लेकर सेलुलर जेल में वीर सावरकर व अन्य स्वतंत्रता सेनानियों के द्वारा माँ भारती की स्वाधीनता के लिए संघर्ष का स्थान भी है।”

दरअसल, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह का इतिहास भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के साथ-साथ प्राचीन चोल साम्राज्य से भी जुड़ा है। चोल साम्राज्य का यहाँ एक महत्वपूर्ण नौसैनिक अड्डा हुआ करता था। इस अड्डे से सैन्य संचालन के साथ-साथ समुद्री व्यापार मार्ग के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता था। चोल राजाओं ने यहाँ से अपने बड़े-बड़े नौसैनिक चलाए थे।

इस द्वीप की भौगोलिक एवं रणनीतिक स्थिति के कारण यह आज भी भारतीय उपमहाद्वीप के लिए एक महत्वपूर्ण मार्ग है। यह आज भी भारतीय सेना और नौसेना के लिए एक महत्वपूर्ण रणनीतिक केंद्र बना हुआ है। इसके अलावा, हाल के वर्षों में यह क्षेत्र पर्यटन की दृष्टि से भी तेजी से उभरा है। ऐसे में इसका महत्वपूर्ण योगदान बन जाता है।

बता दें कि साल 2018 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब अंडमान निकोबार के दौरे पर गए थे तो उन्होंने यहाँ के तीन द्वीपों के नाम बदलने की घोषणा की थी। उन्होंने हैवलॉक द्वीप का नाम स्वराज द्वीप, नील द्वीप को इसी नाम से और रॉस द्वीप का नाम बदलकर नेताजी सुभाष चंद्र द्वीप कर दिया था।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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