Monday, October 21, 2024
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‘जिन्दा नहीं निकला अल्हम्दुलिल्लाह’: रामगोपाल मिश्रा की हत्या पर बहराइच की जमीन से सोशल मीडिया तक जश्न, आतंकियों को वकील दिलाने वाली जमीयत उलेमा की चिट्ठियों से शांति अपील

ऑपइंडिया ने इस घटना के दौरान मुस्लिम भीड़ द्वारा घायल किए गए कई हिन्दुओं से बात की। इन हिन्दुओं में 70 साल के वृद्ध व 90% दिव्यांग जन भी शामिल हैं। इन सभी ने हमें एक स्वर में बताया कि जब मुस्लिम भीड़ उन पर हमला कर रही थी, तब उसमें शामिल बच्चों और जवानों को उनके बुजुर्ग समझाने के बजाय ललकार रहे थे।

उत्तर प्रदेश के बहराइच में माँ दुर्गा की विसर्जन यात्रा के दौरान रामगोपाल मिश्रा की हत्या को लगभग 1 सप्ताह बीत चुके हैं। पिछले रविवार (13 अक्टूबर) को कट्टरपंथी मुस्लिमों की भीड़ ने उनकी हत्या कर दी थी। मिश्रा की मौत पर मुस्लिम समुदाय के कुछ लोग ख़ुशी मना रहे हैं। ये हरकत सोशल मीडिया पर भी की गई। वहीं, बहराइच पुलिस शांति बहाली के लिए आतंकियों को वकील दिलाने के लिए कुख्यात जमीयत उलेमा से अपील जारी करवा रही है।

जश्न हो रहा रामगोपाल की हत्या पर

खुद को चश्मदीद बताते हुए हरदी थाना क्षेत्र के चंद्रपाल कुमार मिश्रा ने ऑपइंडिया से बात की। उनका दावा है कि रामगोपाल मिश्रा की मौत पर मुस्लिम समुदाय के कई लोग ख़ुशी मना रहे हैं। बकौल चंद्रपाल, एक जगह उन्होंने कुछ मुस्लिमों को कहते सुना कि जो हुआ वो बहुत सही हुआ। जब चंद्रपाल ने उनसे पूछा कि ‘यही तुम्हारे घर में हुआ होता तो क्या कहते’? तब वो लोग बुरा मान गए।

बाजीराव पेशवा को अपना आदर्श मानने वाले महसी के आदित्य मिश्रा ने भी ऑपइंडिया से बात की। उन्होंने कहा कि कुछ स्थानीय मुस्लिमों ने रामगोपाल मिश्रा की हत्या को सेलिब्रेट किया। उन्होंने यह भी बताया कि अब तक जिले अथवा क्षेत्र का एक भी मुस्लिम नेता रामगोपाल की हत्या पर संवेदना नहीं व्यक्ति की। इसके उलट, सभी लोग मृतक को ही दंगाई साबित करने पर तुले हुए हैं।

आदित्य मिश्रा का कहना है कि असली दंगाई मुस्लिम भीड़ पर ये नेता सभी खामोश हैं। उन्होंने कहा कि रामगोपल के कत्ल का सेलिब्रेशन न सिर्फ जमीनी स्तर पर हुआ, बल्कि इसे सोशल मीडिया पर भी देखा जा सकता है। सबूत के तौर पर आदित्य मिश्रा ने ऑपइंडिया को सोशल मीडिया का एक लिंक शेयर किया। यह लिंक ‘बहराइच क्वीन 786’ नाम के एक इंस्टाग्राम हैंडल का है।

इस हैंडल पर वो वीडियो शेयर हुआ है जिसमें रामगोपाल मिश्रा अब्दुल हमीद की छत पर खड़े दिख रहे हैं। कैप्शन के तौर पर इसमें बहराइच क्वीन ने लिखा, “वसीम जिस दिन मैदान में हम आएँगे।” इस वीडियो को इंस्टाग्रम पर अब तक सवा लाख से अधिक लोग देख चुके हैं। इसी जगह 800 से अधिक कमेंट हैं, जिनमें से अधिकतर मुस्लिम समुदाय से हैं।

इसी में तौफीक खान नाम के एक यूजर ने हरे रंग के दिल का निशान बनाया और लिखा, “जिन्दा नहीं निकला। इंशाअल्लाह।” जीशान ने हँसी की 2 इमोजी बनाकर लिखा, “इसको गोली मार दी गई।” कनीज़ फातिमा ने सलमान अज़हरी वाली लाइन दोहराई और लिखा, “आज कुत्तों का वक्त है। कल हमारा दौर आएगा। इंशाअल्लाह।”

इसी पोस्ट के कमेंट में रियाज़ पठान 2 इमोजी लगाकर लिखता है, “पेल दिया गया दंगाई।” शब्बू निशा नाम की महिला के हैंडल से लिखा गया, “सुना है यह कुत्ते की मौत मारा गया।” खातून शब्बू निशा ने हँसी की एक इमोजी भी शेयर की है। मेजीब भाई नाम के हैंडल से रामगोपाल मिश्रा को माँ की गाली दी गई है। इसके अलावा मायरा सहित कई अन्य हैंडलों से ‘इस्लाम जिंदाबाद’ व ‘पठान जिंदाबाद’ आदि लिखकर रामगोपाल के कातिलों का उत्साहवर्धन किया गया है।

चित्र साभार – Insta/bahraich_queen786

जमीयत उलेमा के उर्दू वाले पत्रों से शांति की अपील

इस बीच बहराइच पुलिस ने जिले में शांति बहाली के लिए आधिकारिक तौर पर जमीयत उलेमा संगठन का सहारा लिया है। पुलिस ने अपने आधिकारिक ग्रुप में जमीयत उलेमा के उर्दू व हिंदी में लिखे गए पत्र शेयर किए हैं। सोमवार (14 अक्टूबर 2024) को लिखे गए इन पत्रों में मौलाना कारी जुबेर अहमद ने लोगों से फिरकारस्त ताकतों को सफल न होने देने की अपील की है। बताते चलें कि जमीयत उलेमा कई आतंकियों को कानूनी मदद दिलाने की वजह से अक्सर चर्चा में रहती है।

चित्र- बहराइच पुलिस मीडिया सेल

हम रोकते हैं बच्चों को गलत बात से, वो लालकर रहे थे कत्ल के लिए

ऑपइंडिया ने इस घटना के दौरान मुस्लिम भीड़ द्वारा घायल किए गए कई हिन्दुओं से बात की। इन हिन्दुओं में 70 साल के वृद्ध व 90% दिव्यांग जन भी शामिल हैं। इन सभी ने हमें एक स्वर में बताया कि जब मुस्लिम भीड़ उन पर हमला कर रही थी, तब उसमें शामिल बच्चों और जवानों को उनके बुजुर्ग समझाने के बजाय ललकार रहे थे। हमसे दावा किया गया कि मस्जिद से हुए ऐलान के बाद भड़की हिंसा में मुस्लिम समुदाय के नाबालिग बच्चों से ले बुजुर्ग तक शामिल थे।

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राहुल पाण्डेय
राहुल पाण्डेयhttp://www.opindia.com
धर्म और राष्ट्र की रक्षा को जीवन की प्राथमिकता मानते हुए पत्रकारिता के पथ पर अग्रसर एक प्रशिक्षु। सैनिक व किसान परिवार से संबंधित।

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