असम के श्रीभूमि जिले में भारत-बांग्लादेश सीमा पर बांग्लादेशी सीमा रक्षक बल (बीजीबी) के जवानों द्वारा एक हिंदू मंदिर के जीर्णोद्धार को रोकने की घटना ने गंभीर विवाद खड़ा कर दिया है। इस घटना ने न केवल अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन किया, बल्कि इस्लामी कट्टरपंथ की जड़ें और बांग्लादेशी मानसिकता की हिंदू-विरोधी प्रवृत्ति को भी उजागर किया।
बांग्लादेशियों ने मंदिर को बताया इस्लाम के लिए ‘हराम’
कुशियारा नदी के किनारे स्थित हिंदू समुदाय के ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल मनसा मंदिर को असम सरकार द्वारा 3 लाख रुपये की धनराशि से पुनर्निर्मित किया जा रहा था। गुरुवार (5 दिसंबर 2024) को बीजीबी के जवान ज़ाकिंगंज सीमा चौकी से तेज़ स्पीडबोट के जरिए भारतीय क्षेत्र में घुस आए और मंदिर निर्माण कार्य को रोकने की धमकी दी। उनका तर्क था कि मंदिर की उपस्थिति बांग्लादेशी मुसलमानों को ‘आहत’ कर सकती है और इससे वहाँ हिंसा भड़क सकती है।
बीजीबी ने कथित तौर पर यह भी कहा कि मस्जिद से नमाज के बाद मंदिर दिखना ‘हराम’ है और उनके मजहब के खिलाफ है। उन्होंने स्थानीय हिंदुओं और मजदूरों को डरा-धमकाकर काम बंद करने को कहा।
बीएसएफ की सख्ती से वापस लौटे बांग्लादेशी फौजी
घटना की जानकारी मिलते ही भारतीय सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) मौके पर पहुँचा और स्थिति को संभाला। बीएसएफ ने बीजीबी को सख्ती से जवाब देते हुए कहा कि उन्हें भारतीय क्षेत्र में घुसने और भारतीय नागरिकों को धमकाने का कोई अधिकार नहीं है। बीएसएफ ने स्पष्ट किया कि मंदिर का पुनर्निर्माण जारी रहेगा और यह पूरी तरह भारतीय क्षेत्र में हो रहा है। स्थानीय ग्रामीणों और बीएसएफ की मजबूती के चलते बीजीबी के जवान पीछे हट गए।
बांग्लादेश ने किया अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन
बीजीबी का भारतीय सीमा में प्रवेश और हथियार लेकर धमकी देना अंतरराष्ट्रीय कानूनों और सीमा प्रोटोकॉल का घोर उल्लंघन है। इन प्रोटोकॉल के अनुसार, किसी भी सीमा रक्षक बल को दूसरे देश की सीमा में प्रवेश करने से पहले अनुमति लेनी होती है, और वे हथियार नहीं ले जा सकते।
घटना के बाद स्थानीय हिंदुओं ने विरोध प्रदर्शन किया और ‘बांग्लादेश मुर्दाबाद’ के नारे लगाए। उन्होंने बीजीबी की इस हरकत को भारतीय आत्मसम्मान और हिंदू संस्कृति पर हमला बताया। बीएसएफ ने मंदिर निर्माण कार्य को सुरक्षा प्रदान की और अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया गया।
इस घटना से साफ हो गया है कि बांग्लादेश में इस्लामी कट्टरता सिर्फ आम जनता तक सीमित नहीं है, बल्कि वहाँ की सरकारी एजेंसियाँ और सुरक्षा बल भी इससे प्रभावित हो चुके हैं। बांग्लादेशी मुस्लिमों की भावनाओं को हिंदू धर्मस्थलों के खिलाफ हथियार बनाना, वहाँ की कट्टर मानसिकता की गंभीरता को दर्शाता है। यह भारत के लिए एक चेतावनी भी है कि सीमा पार से कट्टरपंथी मानसिकता के हमले सिर्फ बांग्लादेश तक सीमित नहीं रहेंगे। भारत को अपने सीमा क्षेत्रों और हिंदू धार्मिक स्थलों की सुरक्षा को प्राथमिकता देनी होगी।