Sunday, September 8, 2024
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…16 साल पुराना मनमोहन सिंह का वो वीडियो, CAA पर भ्रम फैलाने से पहले कॉन्ग्रेस को देखना चाहिए

जो कॉन्ग्रेस आज नागरिकता क़ानून के विपक्ष में खड़ी है, उसने 2003 में नागरिकता क़ानून की पैरवी क्यों थी? इससे कॉन्ग्रेस की मंशा साफ़ हो जाती है कि असल में वो देश की जनता के हित से परे बेवजह के मुद्दों का केवल राजनीतिकरण करने में विश्वास रखती है।

नागरिकता संशोधन क़ानून को विपक्षी धड़े ने बेवजह ही तूल दे रखा है। एक तरफ़ देश भर में विरोध-प्रदर्शन जारी हैं तो वहीं, दूसरी तरफ़ वामदलों ने आज भारत बंद का आह्वान किया है, जिसका समर्थन कॉन्ग्रेस समेत अन्य विपक्षी पार्टियों ने भी किया है। इस बीच, बीजेपी कॉन्ग्रेस को आइना दिखाने के मक़सद से एक ऐसे वीडियो को सामने लेकर आई है, जिसमें ख़ुद पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह बांग्लादेश में धार्मिक आधार पर हिंसा के शिकार हुए शरणार्थियों के लिए सरकार को सहानुभूतिपूर्ण रवैया अपनाने का सुझाव देते नज़र आ रहे हैं।

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दरअसल, यह वीडियो 2003 का है जब केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में NDA की सरकार थी और संसद के उच्च सदन राज्यसभा में डॉ मनमोहन सिंह ने शरणार्थियों के सन्दर्भ में इस प्रकार का बयान दिया था। उस दौरान संसद में उपस्थित तत्कालीन उप-प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी को संबोधित करते हुए डॉ मनमोहन सिंह ने कहा था,

“मैं शरणार्थियों के संकट को आपके सामने रखना चाहता हूँ। बँटवारे के बाद हमारे पड़ोसी देश बांग्लादेश में धार्मिक आधार पर नागरिकों का उत्पीड़न किया गया। अगर ये प्रताड़ित लोग हमारे देश में शरण के लिए पहुँचते हैं तो इन्हें शरण देना हमारा नैतिक दायित्व है। इन लोगों को शरण देने के लिए हमारा व्यवहार उदारपूर्ण होना चाहिए। मैं गंभीरता से नागरिकता संशोधन विधेयक की ओर डेप्युटी पीएम का ध्यान इस ओर दिलाना चाहता हूँ।”

ऐसे में यह सवाल उठना लाज़मी बन पड़ता है कि जो कॉन्ग्रेस आज नागरिकता क़ानून के विपक्ष में खड़ी है, उसने 2003 में नागरिकता क़ानून की पैरवी क्यों थी? इससे कॉन्ग्रेस की यह मंशा साफ़ हो जाती है कि असल में वो देश की जनता के हित से परे बेवजह के मुद्दों का केवल राजनीतिकरण करने में विश्वास रखती है। आज नागरिकता संशोधन क़ानून पर जहाँ-तहाँ हिंसात्मक विरोध-प्रदर्शन हो रहे हैं, जबकि सच्चाई यह है कि इस क़ानून का विरोध करने जैसी कोई बात ही नहीं है। आए दिन होने वाले विरोध-प्रदर्शनों में जुटी भीड़ को वास्तव में इस क़ानून के बारे में कुछ पता ही नहीं है, जो इसका सबसे दु:खद पहलू है।

केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने छात्रों से अपील भी की थी कि वो वेबसाइट पर जाकर नागरिकता संशोधन क़ानून के बारे में पढ़ें, जानें और समझें। इससे उन्हें पता चलेगा कि आख़िर यह क़ानून है क्या, क्योंकि इस क़ानून के बारे में छात्रों को सही जानकारी नहीं है और वो भ्रमित हैं।

नागरिकता क़ानून को लेकर हो रहे लगातार विवादों के बीच भारत सरकार ने पाकिस्तान से आई एक मुस्लिम महिला हसीना बेन को बिना किसी तामझाम के केवल मेरिट और मानवता के आधार पर भारत की नागरिकता प्रदान की है। हसीना बेन ने दो साल पहले ही भारत की नागरिकता के लिए गुजरात में द्वारका के कलेक्टर को पत्र लिखा था। द्वारका के कलेक्टर डॉ नरेंद्र कुमार मीणा ने उन्हें भारतीय नागरिकता का प्रमाणपत्र प्रदान किया।

यह भी पढ़ें: Pak मुस्लिम महिला हसीना बेन को मिली भारतीय नागरिकता: CAA के विरोध पर आँख खोलती खबर

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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