नई दिल्ली से वाराणसी के बीच चलने वाली ‘वन्दे भारत एक्सप्रेस’ ने अपने पहले ही साल में अच्छी कमाई की है। इस ट्रेन को पिछले वर्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हरी झंडी दिखा कर रवाना किया था। एक साल में ‘वन्दे भारत एक्सप्रेस’ ने 3.8 लाख किलोमीटर की यात्रा तय की है और 92.29 करोड़ रुपए की कमाई की है। ‘उत्तर रेलवे’ ने मंगलवार (फरवरी 18, 2020) को जानकारी दी कि ट्रेन में अब तक 100% ऑक्यूपेंसी रही है, जो इसकी सफलता को बयाँ करती है।
ये भारत की पहली स्वदेशी ट्रेन है, जिसे पूर्णरूपेण देश में ही बनाया गया है। इसे फरवरी 15, 2019 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र को समर्पित किया था। ‘वन्दे भारत एक्सप्रेस’ ने नई दिल्ली से वाराणसी तक का कमर्शियल रन फरवरी 17, 2019 से शुरू किया था। इस हिसाब से सोमवार (फरवरी 17, 2020) को ‘वन्दे भारत एक्सप्रेस’ की पहली सालगिरह थी। नई दिल्ली से वाराणसी के बीच की दूरी को यह ट्रेन 8 घंटे में पूरा करती है। मंगलवार और गुरुवार के अलावे ये सप्ताह के बाकी 5 दिन चलती है।
इस ट्रेन में 16 कोच हैं। ‘वन्दे भारत एक्सप्रेस’ के सभी कोच जीपीएस पर आधारित ऑडियो-विज़ुअल पैसेंजर इन्फॉर्मेशन सिस्टम पर काम करते हैं। ट्रेन में वाईफाई की सुविधा है और सीटिंग अरेंजमेंट भी काफ़ी आरामदायक है। इसे ‘उत्तर रेलवे’ के दिल्ली भाग द्वारा कार्यान्वित किया जाता है। अगर पूरे ऑक्यूपेंसी की बात करें तो ट्रेन पिछले एक साल में 112% से भी अधिक ऑक्यूपेंसी के साथ चलती रही है। पिछले साल अक्टूबर में नई दिल्ली से कटरा के बीच भी एक ‘वन्दे भारत एक्सप्रेस’ ट्रेन की शुरुआत की गई। इस ट्रेन के कारण दिल्ली और कटरा के बीच की दूरी 8 घंटे घट गई है।
इस ट्रेन की डिजाइन और निर्माण करने वाली इंटीग्रल कोच फैक्ट्री के सुधांशु मणि ने बताया था कि इसे 100 करोड़ रुपए की लागत से बनाया गया था। यानी, ट्रेन ने अब तक इसमें से 92.29 करोड़ रुपए पहले ही साल में जुटा लिए हैं। बता दें कि ‘वन्दे भारत एक्सप्रेस’ पर तीन बार पत्थरबाजी की गई थी। इसके शुरुआती दिनों में ही उत्तर प्रदेश के टूंडला में पथरबाजी की गई थी।
राहुल गाँधी ने भी इस ट्रेन को लेकर ‘मेक इन इंडिया’ का मजाक बनाया था। केंद्रीय रेल मंत्री पीयूष गोयल ने उनके बयान की आलोचना करते हुए कहा था कि भारतीय इंजीनियरों की मेहनत का मखौल न उड़ाएँ। पीएम मोदी ने भी भारतीय इंजीनियरों की मेहनत को सलाम करते हुए विपक्षी नेताओं को सलाह दी थी कि वे स्वदेशी सेमी-स्पीड ट्रेन का सम्मान करें।