वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए संघीय बजट गत शनिवार को प्रस्तुत किया। जिसमें देश के करदाताओं के लिए वैकल्पिक कर प्रावधानों समेत कई विशेष कदम उठाए गए। हालाँकि जैसा अपेक्षित ही था बजट को लेकर कई तरह के संदेहों को दूर करने की जरूरत थी और उस दिशा में सरकार प्रयत्नशील है। सरकार के इन प्रयासों के बीच कॉंग्रेस बजट को लेकर कई तरह के झूठ और भ्रम फैलाने में लग गई है।
कॉंग्रेस ने सोमवार को अपने ट्विटर हैंडल से ट्वीट करते हुए कहा कि संघीय बजट में वित्तीय वर्ष 2019-20 की तुलना में 2020-21 में रेलवे के लिए आवंटित राशि में 3,279 करोड़ रुपए की कमी की गई। जो कि 94,071 करोड़ रूपए की जगह 90,792 करोड़ रुपए हो गया है। कॉन्ग्रेस इन झूठे आँकड़ों तक कैसे पहुँची, यह अभी तक स्पष्ट नहीं हो सका है।
कॉंग्रेस ने रेलवे के लिए आवंटन में हुई इस कथित कमी की क्रोनोलॉजी समझाते हुए दावा किया कि पहले बीजेपी सरकार रेलवे बजट में कमी करेगी… फिर रेलवे नुकसान में जाएगी..फिर वह इस बहाने रेलवे का निजीकरण कर अपने ‘दोस्तों’ को फायदा पहुँचाएगी।
जबकि वास्तविकता यह है कि रेलवे बजट पिछले वित्तीय वर्ष 2019-2020 के 67,837 करोड़ रूपए की तुलना में 3.19% बढ़ाकर 2020-21 में 70,000 करोड़ रुपए किया गया है।
जो आँकड़ें हैं ही नहीं, बजट में उन तक कॉन्ग्रेस कैसी पहुँची यह जादूगरी वही समझ सकती। ऐसा लगता है कि कॉन्ग्रेस भविष्य में मोदी सरकार द्वारा किसी भी विनिवेश प्रस्तावों के खिलाफ माहौल तैयार करने में जुटी हुई है।
बजट में रेलवे के लिए कुछ महत्वपूर्ण प्रावधान किये गए हैं, जिनमें 140 किमी लम्बी बेंगलुरु सबअर्बन ट्रेन के लिए 18600 करोड़ रूपए, कई और तेजस ट्रेनों की शुरुआत करना, तथा 4 स्टेशनों को पीपीपी मॉडल के आधार पर विकसित करने के साथ साथ रेलवे ट्रैक के साथ वाली रेलवे की जमीनों पर सौर ऊर्जा फैसिलिटीज की स्थापना भी शामिल है।
लेकिन कॉन्ग्रेस झूठ और भ्रम फैलाने की अपनी नीति पर कायम हुई जान पड़ती है। जिसने 2019 का पूरा आम चुनाव राफेल को लेकर खड़े किए झूठ पर लड़ा, वह अब रेलवे को लेकर झूठ बोलने में लगी हुई है जो राफेल विवाद, नागरिकता कानून (CAA) पर फैलाए गए भ्रम की ही अगली कड़ी जान पड़ती है।