Sunday, September 8, 2024
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श्रद्धालुओं के लिए दुनिया का सबसे विशाल मंदिर तैयार, 10 साल से चल रहा था निर्माण

संस्था का कहना है कि इस मंदिर में हर धर्म, जाति-संप्रदाय और समुदाय के लोग आ सकते हैं, किसी के लिए भी मंदिर के दरवाजे बंद नहीं रहेंगे। इस्कॉन ने लोगों से आह्वान किया है कि वो इस मंदिर में आएँ और 'संत कीर्तन मूवमेंट' का हिस्सा बनें।

पश्चिम बंगाल के नदिया जिले में स्थित मायापुर में विश्व के सबसे बड़े मंदिर परिसर का पहला फ्लोर बन कर तैयार हो गया है। इसके अगले महीने श्रद्धालुओं के लिए खोले जाने की योजना बनाई गई है। ‘द टेम्पल ऑफ वैदिक प्लैनेटेरियम’ अपने-आप में दुनिया का सबसे अनोखा मंदिर है। इसे आप आधुनिक समय का एक विशाल महल कह सकते है, जो अनोखे झूमरों से सुशोभित है। तकनीक के इस्तेमाल से यहाँ हो रहे पूजा-पाठ और अन्य धार्मिक कार्यक्रमों का दुनिया-भर में सीधा लाइव प्रसारण होगा।

मंदिर का ‘पुजारी फ्लोर’ आकर्षण का विषय है। 1 लाख स्क्वायर फ़ीट में फैले परिसर में 2022 तक निर्माण कार्य पूरी तरह ख़त्म कर लिया जाएगा। मयापुर इस्कॉन (इंटरनेशनल सोसाइटी ऑफ कृष्णा कन्शियनस) का मुख्यालय है और यहाँ इस मंदिर का निर्माण भी उसी का एक भाग है। इस मंदिर के निर्माण का कामकाज आज से एक दशक पहले शुरू हुआ था। इसका मुख्य गुम्बद विश्व के किसी भी मंदिर का सबसे बड़ा गुम्बद होगा। मंदिर के निर्माण में अब तक 2 करोड़ किलो सीमेंट का प्रयोग किया जा चुका है। फ़िलहाल मंदिर के ‘पुजारी सेवा केंद्र’ को खोला गया है।

इस मंदिर का उद्देश्य है कि तकनीक के माध्यम से पूरी दुनिया में वैदिक ज्ञान का प्रचार-प्रसार किया जाए। 380 फ़ीट के इस मंदिर में स्पेशल ब्लू बोलिवियन मार्बल का प्रयोग किया जा रहा है। इससे इसे पश्चिमी कलाकृतियों के नमूने की भी झलक मिलेगी। मंदिर के मैनेजिंग डायरेक्टर सदभुजा दास ने बताया कि ये मंदिर पूर्वी और पश्चिमी कलाकृतियों का मिश्रण होगा। इसमें वियतनाम के अलावा भारतीय पत्थरों का प्रयोग भी किया गया है। मंदिर के फ्लोर का डायमीटर 60 मीटर का है। देवी-देवताओं की प्रतिमाएँ भी विशेष कक्षों में रखी जाएँगी।

इस्कॉन मंदिरों की ख़ासियत रही है कि यहाँ एक बार में कई श्रद्धालु भजन-कीर्तन में मगन करते हैं, कई ध्यान करते रहते हैं, कुछ नृत्य में आनंद पाते हैं और कई पूजा-पाठ में भी व्यस्त रहते हैं। इस मंदिर में एक समय में एक फ्लोर पर 10,000 श्रद्धालु पूजा-पाठ, नृत्य, ध्यान और भजन-कीर्तन का कार्य कर सकते हैं। इस्कॉन के पदाधिकारियों का कहना है कि संस्था के संस्थापक आचार्य प्रभुपाद हमेशा से चाहते थे कि मायापुर में कुछ ऐसा हो, जो पूरी दुनिया को आकर्षित कर यहाँ खींच लाए। यही वो क्षेत्र है, जहाँ चैतन्य महाप्रभु का जन्म हुआ था। मंदिर में एक साथ 20,000 लोगों के रुकने-ठहरने की व्यवस्था होगी।

संस्था का कहना है कि इस मंदिर में हर धर्म, जाति-संप्रदाय और समुदाय के लोग आ सकते हैं, किसी के लिए भी मंदिर के दरवाजे बंद नहीं रहेंगे। इस्कॉन ने लोगों से आह्वान किया है कि वो इस मंदिर में आएँ और ‘संत कीर्तन मूवमेंट’ का हिस्सा बनें। ताज़ा आँकड़ों के अनुसार, मायापुर में 70 लाख लोग प्रत्येक वर्ष आते हैं। इस्कॉन का कहना है कि मंदिर के पूर्णरूपेण तैयार हो जाने के बाद पश्चिम बंगाल के उस क्षेत्र में पर्यटन उद्योग को भी बढ़ावा मिलेगा। हाल ही में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मायापुर को ‘हेरिटेज सिटी’ घोषित किया है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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