Sunday, May 5, 2024
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कॉन्ग्रेस विधायक के खिलाफ FIR दर्ज, मुफ्त राशन देने के नाम पर भीड़ इकट्ठा करने का आरोप

“जब मैं अपने आवास पर पहुँचा तो वहाँ बहुत बड़ी संख्या में लोगों की भीड़ जमा थी। मैंने पुलिस को फोन करके भीड़ को तितर-बितर करने के लिए कहा। मैं बस जरुरतमंद लोगों की मदद करने की कोशिश कर रहा था, इसमें कुछ भी गलत नहीं है।”

कोरोना वायरस की चपेट में आने से लोगों को बचाने के लिए पीएम मोदी ने देश भर लॉकडाउन किया है। वो लगातार लोगों से सोशल डिस्टेंसिंग की अपील कर रहे हैं, लेकिन कई लोग ऐसे हैं जो सब कुछ जानकर भी अनसुना कर रहे हैं। छत्तीसगढ़ में एक ऐसा ही मामला सामने आया है, जहाँ बिलासपुर कॉन्ग्रेस विधायक शैलेष पांडेय ने धारा 144 लागू होने के बावजूद भीड़ को इकट्ठा किया। जिसके बाद पुलिस ने सरकारी आदेश का उल्लंघन करने के मामले में कॉन्ग्रेस विधायक शैलेश पांडे के खिलाफ FIR दर्ज कर लिया है। उन्होंने बिलासपुर में मुफ्त राशन देने की घोषणा की जिसके बाद उनके घर के बाहर भीड़ इकट्ठा हो गई।

अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक ओपी शर्मा ने कहा, “हमें जानकारी मिली थी कि बड़ी संख्या में लोग आवश्यक वस्तुओं को लेने के लिए विधायक के आवास पर एकत्र हुए हैं। वहाँ पर लगभग एक हजार लोग थे। यह राज्य सरकार द्वारा लगाई गई धारा 144 का उल्लंघन है। भारतीय दंड संहिता की धारा 188 और 279 के तहत कार्रवाई की जाएगी।”

कोरोनोवायरस के प्रसार को रोकने के लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली सरकार ने राज्य में धारा 144 लगाई हुई है। अपने ऊपर लगे आरोपों पर सफाई देते हुए पांडे ने कहा, “जब मैं अपने आवास पर पहुँचा तो वहाँ बहुत बड़ी संख्या में लोगों की भीड़ जमा थी। मैंने पुलिस को फोन करके भीड़ को तितर-बितर करने के लिए कहा। मैं बस जरुरतमंद लोगों की मदद करने की कोशिश कर रहा था, इसमें कुछ भी गलत नहीं है। उस वक्त पुलिस ने भीड़ को रोका क्यों नहीं? यह अपराध कैसे हो सकता है? मैंने लोगों को आने के लिए नहीं कहा था।”

विधायक का कहना है कि लोग वहाँ पर इसलिए आए क्योंकि कर्फ्यू में ढील दी गई। पुलिस को लोगों को रोकना चाहिए था। उन्होंने इस घटना के पीछे भाजपा का हाथ होने का आरोप लगाते हुए कहा कि उन्हें नहीं पता कि पुलिस ने यह कार्रवाई क्यों की? दरअसल लॉकडाउन के बीच विधायक शैलेष पांडेय लोगों की मदद के लिए खाना बाँट रहे थे, जिससे उनके आवास पर भारी भीड़ एकत्रित हो गई। खाना वितरित करते समय सोशल डिस्टेंसिंग का भी ख्याल नहीं रखा गया। इसीलिए सिविल लाइन पुलिस ने मौके पर पहुँच कर उन पर धारा 279 और 188 के तहत केस दर्ज कर लिया।

यह सच है कि लॉकडाउन का सबसे बुरा असर गरीबों और दिहाड़ी मजदूरों पर पड़ा है। इसके बावजूद सोशल डिस्टेंसिंग की गंभीरता को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। सरकार उनके लिए सारी सुविधाएँ उपलब्ध करवा रही है। ऐसे हालात में कॉन्ग्रेस विधायक लोगों को डोर-टू-डोर सर्विस दे सकते थे। इसके अलावा जो भी लोग इकट्ठा हुए थे उनको एक मीटर की दूरी बनाकर राशन बाँटा जा सकता था। कोरोना वायरस जैसी खतरनाक बीमारी, जिसका अभी तक कोई इलाज नहीं निकला है, समाज के प्रत्येक व्यक्ति को इसे रोकने के लिए अपनी भागीदारी निभानी होगी। वरना वो समाज का नुकसान तो करेंगे ही, खुद को भी नहीं बचा पाएँगे।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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