Sunday, September 8, 2024
Homeराजनीतिजन्मदिन विशेष: प्रिय लालू यादव जी, आप 120 साल जीएँ, ऐसे ही फोटो में...

जन्मदिन विशेष: प्रिय लालू यादव जी, आप 120 साल जीएँ, ऐसे ही फोटो में हमेशा दिखें

बिहार की बर्बादी के जनक लालू प्रसाद यादव का लम्बे समय तक जीवित रहना अत्यावश्यक है ताकि वो अपनी आँखों से देखे और शरीर के हर अंग से महसूस करे कि जो बर्बादी उसने लिखी थी उसका कर्मफल कैसा मिल रहा है

आज बिहार के सबसे ‘बड़े’ नेता लालू प्रसाद यादव का जन्मदिन है। बड़े लोगों का जन्मदिन मनाना भी चाहिए। मैं बिहार के उस दौर को याद करके सोचता हूँ कि गोलियों से बींधी हुई दीवार को देख कर भी एक बच्चे के रूप में मुझे सामान्य क्यों लगता था? मैं सोचता हूँ कि आखिर मुझे घर छोड़कर भागना क्यों पड़ा? मैं वो दिन याद करता हूँ जब पिताजी घर से बाहर न जाने की सलाह देते थे।

अपना आधा नाम छुपाना, बदल लेना, खुद को कहीं और का बताना… ये सब शर्म की वो परतें हैं जो हर बिहारी कभी न कभी झेलता है। जो पहचान राष्ट्र के सबसे अच्छे विद्वानों, शासकों, कूटनीतिज्ञों, महापुरुषों की जन्म और कर्मस्थली रहा है, वो आखिर पंद्रह साल में ऐसी गर्त में कैसे गई कि वो अब एक गाली है?

कभी कोई टोक देता है, तो आप उसे कुछ कह नहीं सकते कि वापस क्यों नहीं जा रहे… कुछ कर क्यों नहीं पा रहे अपने राज्य के लिए, वहाँ के लोगों के लिए! एक विवशता है कि आप कुछ करना भी चाहें तो तंत्र आपको वैसा करने ही नहीं देगा। आपका मनोबल टूट जाता है और आप हार मान लेते हैं।

लालू प्रसाद यादव ने स्वयं की ‘मसीहाई’ से वो आतंक के दिन बिहार को दिखाए हैं कि आत्मा सिहर जाती है। इसे जो मसीहा कहते हैं, वो शायद राजनैतिक मजबूरियों के कारण कहते होंगे, क्योंकि कोई भी सामान्य बुद्धि-विवेक से चलने वाला व्यक्ति इस आदमी के लिए घृणा के अलावा और कोई भाव ला ही नहीं सकता।

बिहार की बर्बादी के जनक लालू प्रसाद यादव का लम्बे समय तक जीवित रहना अत्यावश्यक है ताकि वो अपनी आँखों से देखे और शरीर के हर अंग से महसूस करे कि जो बर्बादी उसने लिखी थी उसका कर्मफल कैसा मिल रहा है।

आदरणीय लालू प्रसाद जी के जन्मदिन पर मेरा स्नेह सन्देश:

एक बिहारी का लालू प्रसाद यादव के जन्मदिन पर सन्देश
Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

अजीत भारती
अजीत भारती
पूर्व सम्पादक (फ़रवरी 2021 तक), ऑपइंडिया हिन्दी

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

ग्रामीण और रिश्तेदार कहते थे – अनाथालय में छोड़ आओ; आज उसी लड़की ने माँ-बाप की बेची हुई जमीन वापस खरीद कर लौटाई, पेरिस...

दीप्ति की प्रतिभा का पता कोच एन. रमेश को तब चला जब वह 15 वर्ष की थीं और उसके बाद से उन्होंने लगातार खुद को बेहतर ही किया है।

शेख हसीना का घर अब बनेगा ‘जुलाई क्रांति’ का स्मारक: उपद्रव के संग्रहण में क्या ब्रा-ब्लाउज लहराने वाली तस्वीरें भी लगेंगी?

यूनुस की अगुवाई में 5 सितंबर 2024 को सलाहकार परिषद की बैठक में यह निर्णय लिया गया कि इसे "जुलाई क्रांति स्मारक संग्रहालय" के रूप में परिवर्तित किया जाएगा।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -