प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने कार्यकाल में कई योजनाओं को लागू किया। जिसका लोगों को काफी लाभ मिल रहा है। इन्हीं योजनाओं में से एक है प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत योजना। ये देश के गरीब लोगों के लिए हेल्थ इंश्योरेंस स्कीम है। इसके तहत देश के 10 करोड़ परिवारों को सालाना ₹5 लाख का स्वास्थ्य बीमा मिल रहा है।
अब इसके लाभार्थियों के लिए एक और ख़ुशख़बरी है। इसके लाभार्थी जल्द ही देश के बड़े कैंसर विशेषज्ञों से सलाह ले पाएँगे। देश भर के कैंसर विशेषज्ञों को ग्रिड से जोड़ने की तैयारी की जा रही है। कैंसर विशेषज्ञों के ग्रिड से जुड़ने के बाद मरीज बड़े विशेषज्ञों के नेटवर्क से डिजिटल माध्यम से जुड़ जाएँगे।
नैशनल हेल्थ अथॉरिटी पार्टनरशिप के लिए नैशनल कैंसर ग्रिड से बातचीत कर रहा है, जो कि मुंबई के टाटा मैमोरियल हॉस्पिटल से वर्चुअल ट्यूमर बोर्ड संचालित करता है। बता दें कि यह बोर्ड ग्रिड के माध्यम से (डिजिटल नेटवर्क से जुड़े हॉस्पिटल्स में) जटिल कैंसर केसों को सुलझाता है और यह आयुष्मान भारत के लाभार्थियों के लिए भी सर्वोत्तम इलाज मुहैया करा सकता है।
अधिकारियों का कहना है कि अगर इस प्रस्ताव के लागू हो जाने से कुछ अस्पतालों में एक से अधिक प्रकार के इलाज उपलब्ध नहीं होने की समस्या से राहत मिलेगी। कैंसर विशेषज्ञ कहते हैं कि भारत में कैंसर के लगभग एक चौथाई मामले ही ‘जटिल’ होते हैं, जिसका इलाज करना सरल नहीं होता।
इस मामले पर आयुष्मान भारत के डिप्टी सीईओ दिनेश अरोड़ा ने कहा, “हम 2-3 सप्ताह में नैशनल कैंसर ग्रिड से समझौता होने की उम्मीद कर रहे हैं। इससे ना केवल इलाज तक पहुँच आसान होगी, बल्कि यह सभी प्रकार के कैंसर के लिए स्टैंडर्ड ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल्स और गाइडलाइन्स बनाने में भी मददगार होगा।”
बता दें कि अब तक प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत कैंसर केयर के लिए 2.20 लाख लोग भर्ती हुए थे। इसमें से 1,53,000 मेडिकल ऑन्कोलॉजी के केस थे, जबकि 44,479 ने रेडियोथैरेपी, अन्य सर्जरी और पीडियाट्रिक ऑन्कोलॉजी से थे।